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युवा पीढ़ी सुमन जी के काव्य से प्रेरणा ले - कुलपति प्रो पांडेय ; कविवर पद्मभूषण डॉ शिवमंगलसिंह सुमन जयंती पर हुआ विशिष्ट परिसंवाद

युवा पीढ़ी सुमन जी के काव्य से प्रेरणा ले  - कुलपति प्रो पांडेय

कविवर पद्मभूषण डॉ शिवमंगलसिंह सुमन जयंती पर हुआ विशिष्ट परिसंवाद


उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला द्वारा कविवर पद्मभूषण डॉ शिवमंगलसिंह सुमन की जयंती पर विशिष्ट परिसंवाद का आयोजन किया गया। यह परिसंवाद डॉ सुमन के व्यक्तित्व एवं साहित्यिक अवदान पर केंद्रित था। परिसंवाद की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ प्रमोद त्रिवेदी एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा थे।

परिसंवाद में अपने विचार व्यक्त करते हुए कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि सुमन जी के साहित्य में नई पीढ़ी के लिए अनेक संदेश निहित हैं। उन्होंने देश और समाज को जाग्रत करने का आह्वान अपनी कविताओं के माध्यम से किया है। युवा पीढ़ी सुमन जी के काव्य से प्रेरणा ले। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में सुमन जी ने अविस्मरणीय योगदान दिया। मुझे उनकी गौरवशाली परंपरा से जुड़ने का सौभाग्य मिला है। उज्जैन सदियों से साहित्यिक नगरी है, नगरवासियों को इसका गौरव होना चाहिए।

मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ प्रमोद त्रिवेदी ने कहा कि सुमन जी निरंतर परिवर्धमान कवि रहे। वे छतनार वृक्ष की तरह हैं, जिसकी छाया में बैठकर हम प्राणवायु और शीतल छांह प्राप्त करते हैं। कोई भी वस्तु यदि जड़ीभूत हो जाती है तो वह पीछे छूट जाती है। इसलिए सुमन जी हमें निरंतर चलने की प्रेरणा देते हैं। साहित्य अनवरत प्रक्रिया है, जिससे बेहतर मनुष्य बनने की प्रेरणा मिलती है। सुमन जी जन के कवि थे। उनकी कविताएं सुनते हुए हजारों लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे।


विक्रम विश्वविद्यालय के कला संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने सुमन जी के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन  मानवता और अविराम सर्जना को अर्पित किया था। उनके रचनामय व्यक्तित्व के माध्यम से हम लगभग  आठ दशकों के वैश्विक युग-जीवन और साहित्य धाराओं से  संवाद का  अनुभव पाते हैं। उनकी रचनाओं में हमारे  समाज, संवेदना और चिंतन का इतिहास सजीव हो गया है। सुमन जी बहती हुई धारा के नहीं, उसके प्रतिरोध के कवि हैं। वे आजीवन नियति के आगे पराजित और संकल्पों को समर्पित करते मनुष्य को उसके विरुद्ध टकराने का आह्वान करते हैं।


हिंदी अध्ययनशाला के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने कहा कि सुमन जी उत्तर छायावादी काव्य धारा के महत्वपूर्ण कवि हैं। संवेदना, शिल्प और भाषा के स्तर पर हिंदी कविता को नवीन रूप देने में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही है। प्रेम, राष्ट्रीयता और यथार्थवादी चेतना के विविध स्वर उनकी कविताओं में सुनाई देते हैं।


कार्यक्रम में विभाग की आचार्य डॉ गीता नायक ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर वरिष्ठ चित्रकार डॉ आर सी भावसार द्वारा बनाए गए डॉ सुमन जी के व्यक्ति चित्र पर उपस्थित अतिथियों और शोधार्थियों ने पुष्पांजलि अर्पित की।


कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया।



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