Skip to main content

भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश की राज्य कार्यकारिणी की बैठक सम्पन्न


भोपाल : भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश राज्य प्रशिक्षण केन्द्र गांधीनगर भोपाल में निर्विरोध निर्वाचन पश्चात्‌ प्रथम राज्य कार्यकारिणी की बैठक निर्विघ्न सम्पन्न हुई। बैठक का संचालन श्री अशोक जनवदे राज्य सचिव भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश द्वारा किया गया। बैठक में मुख्य रूप से भारत स्काउट एवं गाइड म.प्र. के अध्यक्ष माननीय श्री इन्दर सिंह जी परमार शिक्षा मंत्री म.प्र. शासन, राज्य मुख्य आयुक्त श्री पारस चन्द्र जी जैन, राज्य आयुक्त स्काउट श्री डी.एस. राघव, उपाध्यक्ष श्री आलोक जैन, श्री प्रकाश चित्तौडा, श्रीमती लता गुड्डू बानखेडे, श्रीमती मीना डागोर, श्री विराम जैन, श्रीमती दीपिका बैरागी, श्री रमेश अग्रवाल, श्री तरूण अग्रवाल, श्री ओमप्रकाश गुप्ता, श्री तुकाराम धुर्वे, श्री अजय मिश्रा, कोषाध्यक्ष श्री रमेश शर्मा सहित संस्था के अन्य पदाधिकारी, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

भारत स्काउट एवं गाइड मध्यप्रदेश के राज्य मीडिया प्रभारी श्री राधेश्याम चौऋषिया ने जानकारी देते हुए बताया कि, निर्वाचन पश्चात्‌ यह प्रथम कार्यकारिणी की बैठक थी, जिसका आयोजन वृहद स्तर पर किया जाकर समस्त जिला एवं संभागों से जिला मुख्य आयुक्त एवं जिला शिक्षा अधिकारी सहित पदाधिकारियों ने सम्मिलित होकर बैठक को सकारात्मक रूप प्रदान किया।

साथ ही राज्य मुख्य आयुक्त श्री पारस चन्द्र जैन ने उपस्थित सभी को अपने उद्बोधन में स्काउट-गाइड संगठन को नई ऊचाईयां प्रदान करने हेतु सकारात्मक प्रयास किये जाने हेतु आव्हान किया और एक जुट होकर कार्य करने की बात पर बल दिया।





तत्पश्चात्‌ राज्य प्रशिक्षण केन्द्र गांधीनगर भोपाल के शारदा हॉल में उपस्थित सभी महानुभवों का भव्य स्वागत समारोह भी आयोजित किया गया, जिसमें संस्था के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उपस्थित सभी पदाधिकारियों का पुष्प गुच्छ एवं स्कार्फ से स्वागत किया गया। इस स्वागत कार्यक्रम का संचालन श्री बी.एल. शर्मा राज्य प्रशिक्षण आयुक्त द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में अध्यक्ष श्री इन्दर सिंह जी परमार शिक्षा मंत्री म.प्र. शासन द्वारा संगठन को एकजुट होकर नई दिशा प्रदान करने एवं संगठन की समस्याओं का समाधान करने की बात कही। साथ ही संगठन की नवीन योजनाओं को मूर्त रूप प्रदान करने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान किये जाने पर सहमति व्यक्त की।

परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम भी किया गया ।

कार्यक्रम के अंत में श्रीमती अनिता अंकुलनेकर ने बैठक में पधारे समस्त पदाधिकारियों एवं अधिकारियों का आभार व्यक्त किया। बैठक में राज्य मुख्यालय से राज्य सचिव श्री अशोक जनवदे, संयुक्त संचिव श्रीमती अनिता अंकुलनेकर, राज्य संगठन आयुक्त स्काउट श्री हरिदत्त शर्मा, राज्य संगठन आयुक्त (गाइड) श्रीमती चन्द्रकांता उपाध्याय, राज्य प्रशिक्षण आयुक्त (स्काउट) श्री बी.एल. शर्मा, राज्य प्रशिक्षण आयुक्त (गाइड) श्रीमती उषा यादव एवं राज्य मीडिया प्रभारी श्री राधेश्याम चौऋषिया सहित राज्य मुख्यालय में सेवारत समस्त स्टॉफ उपस्थित रहा।

Comments

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर

मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

MALVI BHASHA AUR SAHITYA: PROF. SHAILENDRAKUMAR SHARMA पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या Book Review : Dr. Shweta Pandya  मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई दिशा  लोक भाषा, लोक साहित्य और संस्कृति का मानव सभ्यता के विकास में अप्रतिम योगदान रहा है। भाषा मानव समुदाय में परस्पर सम्पर्क और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसी प्रकार क्षेत्र-विशेष की भाषा एवं बोलियों का अपना महत्त्व होता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़े विशाल वाङ्मय में मालवा प्रदेश, अपनी मालवी भाषा, साहित्य और संस्कृति के कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ की भाषा एवं लोक-संस्कृति ने  अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। मालवी भाषा और साहित्य के विशिष्ट विद्वानों में डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। प्रो. शर्मा हिन्दी आलोचना के आधुनिक परिदृश्य के विशिष्ट समीक्षकों में से एक हैं, जिन्होंने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं के साथ-साथ मालवी भाषा, लोक एवं शिष्ट साहित्य और संस्कृति की परम्परा को आलोचित - विवेचित करने का महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक प्रयास किया है। उनकी साहित्य

हिंदी कथा साहित्य / संपादक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा

हिंदी कथा साहित्य की भूमिका और संपादकीय के अंश : किस्से - कहानियों, कथा - गाथाओं के प्रति मनुष्य की रुचि सहस्राब्दियों पूर्व से रही है, लेकिन उपन्यास या नॉवेल और कहानी या शार्ट स्टोरी के रूप में इनका विकास पिछली दो सदियों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। हिंदी में नए रूप में कहानी एवं उपन्यास  विधा का आविर्भाव बीसवीं शताब्दी में हुआ है। वैसे संस्कृत का कथा - साहित्य अखिल विश्व के कथा - साहित्य का जन्मदाता माना जाता है। लोक एवं जनजातीय साहित्य में कथा – वार्ता की सुदीर्घ परम्परा रही है। इधर आधुनिक हिन्दी कथा साहित्य का विकास संस्कृत - कथा - साहित्य अथवा लोक एवं जनजातीय कथाओं की समृद्ध परम्परा से न होकर, पाश्चात्य कथा साहित्य, विशेषतया अंग्रेजी साहित्य के प्रभाव रूप में हुआ है।  कहानी कथा - साहित्य का एक अन्यतम भेद और उपन्यास से अधिक लोकप्रिय साहित्य रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना - सुनना मानव का स्वभाव बन गया। सभी प्रकार के समुदायों में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में तो कहानियों की सुदीर्घ और समृद्ध परंपरा रही है। वेद - उपनिषदों में वर्णित यम-यम