राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की आभासी बैठक में संरक्षक डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, मार्गदर्शक श्री हरेराम वाजपेयी, डॉ. हरिसिंह पाल एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा तथा राष्ट्रीय संयोजक डॉ. शहाबुद्दीन शेख की सहमति से राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने आगामी एक वर्ष हेतु 12 प्रदेशों के संयोजक एवं प्रदेश प्रभारी को मनोनीत किया जिसमें मध्यप्रदेश श्री अनिल ओझा एवं डॉ. अखिल शुक्ला, राजस्थान डॉ. उर्वशी उपाध्याय श्री अविनाश शर्मा, उत्तर प्रदेश डॉ. विद्यासागर मिश्र, डॉ. चेतना उपाध्याय, बिहार डॉ. ममता झा श्री रमेशकुमारसिंह, पंजाब डॉ. राजेन्द्रसिंह साहिल, श्री मोहनलाल वर्मा, महाराष्ट्र डॉ. शैलचन्द्रा, श्रीमती लता जोशी, कर्नाटक श्री बालासाहेब तोरस्कर, श्रीमती जी.सरोज, असम डॉ. दीपिका सुतोदिया, डॉ. सुनीता मंडल, छत्तीसगढ़ डॉ. जी.डी. अग्रवाल, डॉ. हंसा शुक्ला, दिल्ली डॉ. भावना शुक्ल, डॉ. कविता रायजादा हरियाणा डॉ. राकेश छोकर, श्रीमती सुनीता गर्ग, समस्त प्रदेश संयोजक एवं प्रभारी को मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष सुवर्णा जोशी मुख्य प्रवक्ता डॉ. मुक्ता कौशिक आदि ने बधाई दी है।
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्
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