श्री कृष्णाजीराव पवार शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय देवास में स्नातक तृतीय वर्ष (नियमित / स्वाध्यायी / पूर्व / पूरक प्राप्त) एवं स्नातकोत्तर स्तर चतुर्थ सेमेस्टर (नियमित / स्वाध्यायी / पूर्व / एटीकेटी प्राप्त) की (खुली किताब परीक्षा प्रणाली) परीक्षा के संबंध में अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.एस.एल.वरे द्वारा आहूत बैठक में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति डॉ.ए.के.पाण्डेय एवं अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा उज्जैन संभाग उज्जैन डॉआर.सी.जाटवा ने भागीदारी की ।
देवास (नि.प्र.) - श्री कृष्णाजीराव पवार शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय देवास में स्नातक तृतीय वर्ष (नियमित / स्वाध्यायी / पूर्व / पूरक प्राप्त) एवं स्नातकोत्तर स्तर चतुर्थ सेमेस्टर (नियमित / स्वाध्यायी / पूर्व / एटीकेटी प्राप्त) की (खुली किताब परीक्षा प्रणाली) परीक्षा के संबंध में अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.एस.एल.वरे द्वारा आहूत बैठक में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति डॉ.ए.के.पाण्डेय एवं अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा उज्जैन संभाग उज्जैन डॉआर.सी.जाटवा ने भागीदारी की | इस बैठक में देवास जिले के समस्त शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालय के प्राचार्यो एवं परीक्षा प्रभारी उपस्थित थे । महाविद्यालय के संस्कार हॉल में आयोजित बैठक में कुलपति डॉ.पाण्डेय द्वारा विश्वविद्यालयीन परीक्षा के सफल संचालन, उत्तरपुस्तिकाओं का एकत्रीकरण, उनका मूल्यांकन एवं परीक्षा परिणाम को शीघ्र अति शीघ्र तैयार करने के बारे में विस्तृत चर्चा की गई |
देवास महाविद्यालय में कुलपति प्रो पांडेय जी का स्वागत करते हुए प्राचार्य |
डॉ.पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में प्राध्यापकों में आपसी समानता बनाये रखने पर बल देते हुए कहा कि शोध के बिना शिक्षक जीवन अधूरा है, आप कितने भी वरिष्ठ हो सकते है किन्तु शोध कार्य के बिना शिक्षा के विकास में योगदान असंभव है इसलिये किसी भी महाविद्यालय में शोध-केन्द्र प्रारंभ करने के लिये उनके प्रस्ताव एवं आवेदन सहर्ष आमंत्रित है | साथ ही शोध-केन्द्र प्रारंभ करने में लगने वाला शुल्क भी कम करने के लिये शुल्क समिति द्वारा शुल्क का पुनरीक्षण कार्य प्रगति पर है | महाविद्यालय सीधे तौर पर मुझसे संपर्क कर अपनी समस्याओं का निराकरण प्राप्त कर सकते है । उन्होंने महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ.एस.पी.एस.राणा को अंग्रेजी विषय में डी.लिट्. उपाधि प्राप्त करने पर बधाई एवं शुभकामनाएं प्रदान की तथा विभिन्न स्तरों पर डॉअजय काले द्वारा मास्टर ट्रेनर का कार्य संपन्न कराने हेतु भी बधाईयां दीं | इसी अनुक्रम में प्रोःसंजय गाड़गे की पीएच. डी. की मौखिकी शीघ्र करवाने का भी आश्वासन दिया | चलते-चलते विद्यार्थियों ने उनसे मुलाकात कर जो समस्या उनके समक्ष रखी उसका निराकरण भी किया |
डॉ.आर.सी.जाटवा, अतिरिक्त संचालक ने प्राचार्यों को संबोधित करते हुए कहा कि समस्त महाविद्यालय एकता एवं समयबद्धता का परिचय देते हुए परीक्षा के कार्य को प्राथमिकता से लें, साथ ही कोविड-19 के प्रोटोकॉल का भी पूर्णतः पालन करें एवं स्वयं को सुरक्षित रखें । परीक्षा के विभिन्न चरणों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने आह्वान किया कि किसी भी विद्यार्थी की उत्तरपुस्तिका प्राप्त न होने पर संबंधित महाविद्यालय विशेष रूचि लेकर विद्यार्थी से संपर्क करे ताकि “खुली किताब पद्धति” से होने वाली इस परीक्षा के मूल्यांकन से वह वंचित न रहे । उन्होंने भी महाविद्यालयों में शोध-केन्द्र प्रारंभ करने हेतु बल दिया | इनके साथ डॉ.के.एम.शर्मा भी बैठक में उपस्थित रहे |
अग्रणी प्राचार्य डॉ.एस.एल.वरे ने शिक्षक की भूमिका एवं शोध पर प्रकाश डालते हुए आप जाल साझा किये और बताया कि उन्होंने 21 पीएच.डी. का सफल निर्देशन किया है तथा वर्तमान में 05 का वे निर्देशन कर रहे हैं । वर्तमान में महाविद्यालय में 03 विषयों में शोध केन्द्र है तथा 02 विषयों में शोध केन्द्र और प्रारंभ किये जायेगें ताकि विद्यार्थियों को बाहर जाकर शोध कार्य हेतु अधिक व्यय न करना पड़े । बैठक के अंत में डॉ.पाण्डेय द्वारा प्राचार्यो की ओर से जिज्ञासाएं आमंत्रित की गई एवं उनका समाधान किया गया |
इस अवसर पर देवास जिले के शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य यथा डॉ.अजय कुमार चौहान, डॉ.वंदना मिश्रा, डॉ.एन.के. श्रीवास्तव, डॉ.पी.मूंदडा, डॉ.पुष्पलता मिश्रा, डॉ.अर्चना श्रीवास्तव, डॉ.अभय जैन, प्रो. बी.एस.पटेल, प्रो.बृजेश प्रसाद, प्रोः.संजय खेड़े आदि उपस्थित थे | साथ ही श्री किशोर चौधरी, श्री जितेन्द्र राजपूत एवं जितेन्द्र यादव ने बैठक के आयोजन में अमूल्य सहयोग दिया । बैठक के अंत में डॉ.पाण्डेय एवं डॉ. जाटवा ने डॉ.एस.पी.एस.राणा द्वारा रचित कविता संकलन “मंथन” का विमोचन किया एवं अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.एस.एल.वरे द्वारा अतिथिद्दय को स्मृति चिन्ह भेंट किये गये ।
बैठक का संचालन एवं आभार डॉ.एस.पी.एस.राणा ने किया ।
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