Skip to main content

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक में लिए गए अनेक निर्णय


राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की त्रैमासिक अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक का आयोजन श्री ब्रजकिशोर शर्मा (राष्ट्रीय अध्यक्ष) की अध्यक्षता में हुई। जिसमें आगामी माह के प्रमुख आयोजनों के बारे में विचार विमर्श के पश्चात् अनेक प्रमुख निर्णय लिये गये। बैठक में संरक्षक डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा (उज्जैन), डॉ. हरिसिंह पाल (दिल्ली), श्री हरेराम वाजपेयी (इन्दौर), विशिष्ट अतिथि डॉ. शहाबुद्दीन शेख (राष्ट्रीय मुख्य संयोजक) एवं राष्ट्रीय मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती सुवर्णा जाधव, राकेश छोकर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री जी.डी. अग्रवाल, इंदौर, कोषाध्यक्ष श्री अनिल ओझा, महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी मंचासीन थे।


संगोष्ठी के शुभारम्भ में सरस्वती वंदना श्रीमती पूर्णिमा कौशिक ने एवं बैठक की प्रस्तावना डॉ. मुक्ता कौशिक, रायपुर ने प्रस्तुत की। स्वागत भाषण श्रीमती सुवर्णा जाधव (राष्ट्रीय मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष) ने दिया। संस्था प्रतिवेदन में डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की स्थापना के पश्चात् अभी तक लगभग दो सौ सदस्य है। इस वित्तीय वर्ष में अनेक नवीन त्रैवार्षिक सदस्य एवं आजीवन सदस्य ने सदस्यता ली है। शिक्षक सम्मान समरोह का 2 दिवसीय आयोजन उज्जेन में 28 व 29 अगस्त 2021 को होगा। इस अवसर पर श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान भी होगा। 


 संस्था का मासिक समाचार पत्र ‘संचेतना‘ का प्रकाशन जुलाई के प्रथम सप्ताह समारोह में विमोचन होगा। हिन्दी सप्ताह में हिंदी सेवा सम्मान समारोह प्रयागराज में दि. 11 एवं 12 सितम्बर में प्रस्तावित है।


राष्ट्रीय बैठक में डॉ. मुक्ता कौशिक (राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता), श्री मोहनलाल वर्मा, डॉ. ममता झा, गरिमा गर्ग, डॉ. आशीष नायक, डॉ. वीरेन्द्र मिश्रा, डॉ. मंजू रस्तोगी, लता जोशी, डॉ. शिवा लोहारिया (राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला इकाई) ने बैठक में आगामी मातृशक्ति सम्मान समारोह का आयोजन मुम्बई में रखने का प्रस्ताव रखा। इस अवसर पर महाराष्ट्र प्रदेशाध्यक्ष डॉ. भरत शेणकर, डॉ. रजिया शेख, बाला साहेब, डॉ. अर्चना झा, डॉ. शैलचन्द्रा, महासचिव डॉ. रश्मि चौबे, डॉ. पूर्णिमा कौशिक, डॉ. रेनू सिरोया ने भी संबोधित किया।

संगोष्ठी का संचालन डॉ. रोहिणी डावरे ने किया एवं आभार श्रीमती लता जोशी ने माना।


Comments

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर

मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

MALVI BHASHA AUR SAHITYA: PROF. SHAILENDRAKUMAR SHARMA पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या Book Review : Dr. Shweta Pandya  मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई दिशा  लोक भाषा, लोक साहित्य और संस्कृति का मानव सभ्यता के विकास में अप्रतिम योगदान रहा है। भाषा मानव समुदाय में परस्पर सम्पर्क और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसी प्रकार क्षेत्र-विशेष की भाषा एवं बोलियों का अपना महत्त्व होता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़े विशाल वाङ्मय में मालवा प्रदेश, अपनी मालवी भाषा, साहित्य और संस्कृति के कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ की भाषा एवं लोक-संस्कृति ने  अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। मालवी भाषा और साहित्य के विशिष्ट विद्वानों में डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। प्रो. शर्मा हिन्दी आलोचना के आधुनिक परिदृश्य के विशिष्ट समीक्षकों में से एक हैं, जिन्होंने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं के साथ-साथ मालवी भाषा, लोक एवं शिष्ट साहित्य और संस्कृति की परम्परा को आलोचित - विवेचित करने का महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक प्रयास किया है। उनकी साहित्य

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं द