प्रख्यात भाषा एवं लिपि सेवी डॉ. पांचाल और संस्कृतविद् डॉ. पांडेय को श्रद्धांजलि अर्पित ; राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की ओर से श्रद्धाजंलि सभा
प्रख्यात भाषा एवं लिपि सेवी डॉ. पांचाल और संस्कृतविद् डॉ. पांडेय को श्रद्धांजलि अर्पित
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की ओर से श्रद्धाजंलि सभा
स्वर्गीय डॉक्टर परमानंद पांचाल नई दिल्ली |
स्वर्गीय डॉक्टर कौशल किशोर पांडेय |
नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के संरक्षक और पूर्व अध्यक्ष एवं महामंत्री तथा संपादक, नागरी संगम डॉक्टर परमानंद पांचाल तथा वरिष्ठ साहित्यकार, संस्कृतविद् एवं पूर्व संयुक्त संचालक शिक्षा, भोपाल डॉ. कौशल किशोर पांडेय को देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि सभा के प्रमुख वक्ताओं में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल, प्राचार्य डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, संस्था के अध्यक्ष एवं शिक्षाविद् श्री बृजकिशोर शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर, संस्था के महासचिव डॉ प्रभु चौधरी, श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुबंई, डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर आदि सम्मिलित थे।
नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल ने कहा कि डॉ. पांचाल जी के मार्गदर्शन से ही नागरी लिपि परिषद् का कार्य अत्यंत सुचारू रूप से चल रहा है। डॉ. परमानंद पांचाल जी नागरी लिपि के पर्याय थे। वे उर्दू, अरबी व फारसी के भी विद्वान थे। उनके मन में युवा बैठा था। चालीस वर्षों से वे नागरी लिपि से जुडे़ रहे। डॉ.कौशल किशोर पांडेय जी के व्यक्तित्व में चुबंकीय आकर्षण था। इन दोनों विभूतियों के निधन से अपूरणीय क्षति हुई हैं।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के संरक्षक एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कला संकायाध्यक्ष प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि डॉ. पांचाल जी और डॉ. पांडेय जी वे दोनों ही पुण्यात्मा अत्यंत सरल एवं उदारमना थे। डॉ. परमानंद पांचाल जी नागरी लिपि परिषद् के आधार स्तंभ थे। वे आजीवन हिंदी भाषा, साहित्य तथा देवनागरी लिपि के क्षेत्र में गतिशील रहे। दक्खिनी हिंदी पर उन्होंने अत्यंत प्रामाणिक कार्य किया था। संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान डॉ. कौशल किशोर पांडेय निरंतर संस्कृत और संस्कृति की समाराधना में तल्लीन रहे। उन्होंने अनेक पीढि़यों को प्रेरित और समृद्ध किया।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के मुख्य संयोजक तथा नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि डॉ. परमानंद पांचाल जी व डॉ. कौशल किशोर पांडेय जी के निधन से हम सभी शोक में डूबे हुए हैं। डॉ. पांचाल जी राष्ट्रलिपि देवनागरी तथा राजभाषा हिंदी के प्रबल हिमायती थे। सभी के साथ उनका व्यवहार आत्मीयता पूर्ण रहा। वे उत्कृष्ट वक्ता व लेखक थे। पिछले चालीस वषों से वे नागरी लिपि की सेवा में लगे रहें। विगत छत्तीस वर्षों से मेरा उनसे घनिष्ठ संपर्क रहा।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि वर्तमान में हम अपार दुख की अनुभूति से ग्रसित है। डॉ. पांचालजी एवं डॉ. पांडेय जी ने विभिन्न पदों पर रहते हुए जीवन को सार्थक बनाया। डॉ. पांडेय जी के मन मे सभी के प्रति सद्भभाव उमड़ता था।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के मार्गदर्शक श्री हरेराम बाजपेयी, इंदौर ने कहा कि वे दोनों विभूतियां, भाषा, समाज व संस्कृति के जीते जागते उदाहरण थे।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने श्रद्धांजलि सभा में उद्बबोधन देते हुए कहा कि डॉ. परमानंद पांचाल एवं डॉ. कौशल किशोर पांडेय इन दोनों महान विभूतियों ने अपने - अपने क्षेत्र के माध्यम से देश और समाज की सेवा की हैं। इन दोनों के चले जाने से सर्वत्र शोक की लहर व्याप्त हो गई।
श्री ओमप्रकाश शर्मा, भोपाल ने कहा कि राजनीति से अलिप्त डॉ. कौशल किशोर पांडेय जी के रग- रग में वैष्णवता थीं। धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में उनकी गहरी पैंठ थीं।
विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज के सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने कहा कि डॉ. पांचाल जी से बारह वर्षों से हम पत्राचार के माध्यम से जुड़े रहे। नागरी लिपि के क्षेत्र में उनका कार्य वास्तव में प्रशंसनीय है।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की मुख्य राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुबंई ने कहा कि डॉ.पांचाल जी एवं डॉ. पांडेय जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे।
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श्रद्धांजलि सभा का संचालन कर रही राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक , रायपुर , छ.ग. ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि दोनों महान विभूतियों का कार्य हमेशा के लिए स्वर्णिम पटल पर याद किया जाएगा।
वेब पटल पर आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा में प्राध्यापिका लता जोशी, मुबंई, श्रीमती इरा पांडेय, घनश्याम सोनी, मोहन नागर, बालासाहेब तोरस्कर, डॉ. शैलचन्द्रा, छ.ग., डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, डॉ. सुनीता मंडल, कोलकत्ता, डॉ. संगीता विनायका ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
अंत में दो मिनट का मौन धारण करके दोनों पुण्य आत्माओं को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
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