दयानंद सरस्वती ने स्त्री विषयक रूढ़ मान्यताओं को समाप्त करने की राह दिखाई ; नारी सशक्तीकरण में महर्षि दयानन्द की भूमिका पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न ; नार्वे में मनाया गया महर्षि दयानन्द सरस्वती का जन्मदिन
दयानंद सरस्वती ने स्त्री विषयक रूढ़ मान्यताओं को समाप्त करने की राह दिखाई
नारी सशक्तीकरण में महर्षि दयानन्द की भूमिका पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न
नार्वे में मनाया गया महर्षि दयानन्द सरस्वती का जन्मदिन
ओस्लो, नार्वे में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी का जन्मदिन भारतीय तिथि के अनुसार 10 मार्च की पूर्व संध्या पर अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी के माध्यम से मनाया गया। भारत - नॉर्वेजियन सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम, ऑस्लो द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी एवं काव्य पाठ का शुभारम्भ वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार सुरेशचंद्र शुक्ल की कविता से हुआ, जिसकी पंक्तियाँ हैं, वेद का ज्ञान हो, हिन्दी का मान हो। हम जहाँ भी रहें मेरा हिन्दुस्तान हों।
नारी सशक्तीकरण में महर्षि दयानन्द की भूमिका पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डीन, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के सचिव डॉ हरिसिंह पाल और आर्य लेखक परिषद् के सचिव अखिलेश आर्येन्दु ने वक्तव्य दिया।
लेखक एवं आलोचक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने स्त्री विषयक रूढ़ मान्यताओं और आडम्बरों को समाप्त करने की राह दिखाई। उन्होंने शिक्षा का व्यापक दर्शन प्रस्तुत किया है। वे महान समाज सुधारक के साथ शिक्षा शास्त्री भी थे। उन्होंने स्त्री पुरुष समानता पर बल दिया। उनके द्वारा स्थापित आर्य समाज द्वारा स्त्री शिक्षा के लिए सैकड़ों की संख्या में कन्या पाठशाला और गुरुकुल प्रारंभ किए गए। वे समस्त प्रकार की उन्नति के मूल में स्त्री और पुरुषों की शिक्षा, विज्ञान बोध और विवेकशीलता आवश्यक मानते हैं।
वेब पटल पर आयोजित कार्यक्रम में काव्यगोष्ठी संपन्न हुई। काव्य गोष्ठी में नार्वे से एच एस. प्रोमिला देवी, संगीता शुक्ल, गुरु शर्मा और सुरेशचन्द्र शुक्ल, अमेरिका से इला प्रसाद और बाबू राम गौतम, ब्रिटेन से जय वर्मा, आयरलैंड से अभिजीत त्रिपाठी, स्वीडन से सुरेश पांडेय और भारत से डॉ. वीर सिंह मार्तण्ड, प्रो. सुवर्णा जाधव, इलाश्री, विशाल चन्द्र पांडेय और शरद चंद्र पांडेय ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को प्रभावित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई ने की और मुख्य अतिथि लेखक एवं आलोचक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा थे।
आयोजन में नागरी लिपि में मोबाइल और वॉट्सऐप पर सन्देश भेजने के लिए निवेदन किया गया। सोशल मीडिया पर भी नागरी लिपि में ही विदेशों में हिन्दी के प्रचार पर बल दिया गया। केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा और केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली द्वारा विदेशों में रहने वाले लोगों के लिए की गई घोषणाओं का स्वागत किया गया, जिसमें विदेशों में रहने वाले हिन्दी लेखकों की पुस्तकें, शब्दकोष और पत्रिकाओं के लिए प्रकाशन और सहयोग की व्यवस्था की गयी है।
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