जीवन के सभी क्षेत्रों में है नारी का योगदान – श्री गुर्जर ; प्रथम सभ्यता के केंद्र में नारी की अनुपम भूमिका – प्रो शर्मा ; मातृशक्ति संचेतना महोत्सव का हुआ शुभारंभ
जीवन के सभी क्षेत्रों में है नारी का योगदान – श्री गुर्जर
प्रथम सभ्यता के केंद्र में नारी की अनुपम भूमिका – प्रो शर्मा
मातृशक्ति संचेतना महोत्सव का हुआ शुभारंभ
देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा शिवाज् योग नेचुरोपैथी संस्थान, जयपुर के सहयोग से वर्धमान भवन, जयपुर में आयोजित दो दिवसीय मातृशक्ति संचेतना महोत्सव एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। आयोजन के मुख्य अतिथि राजस्थान के पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री कालूलाल गुर्जर, भीलवाड़ा थे। सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कला संकायाध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। अध्यक्षता हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान, जयपुर के अध्यक्ष डॉ अखिल शुक्ल ने की। विशिष्ट अतिथि डॉ सुनीता मंडल, कोलकाता, डॉ ममता झा, मुंबई, श्री मोहनलाल वर्मा, उदयपुर, डॉ देवनारायण गुर्जर, जयपुर, डॉ प्रभु चौधरी, उज्जैन एवं डॉ शिवा लोहारिया, जयपुर थीं। आयोजन में देश के विभिन्न भागों के संस्कृतिकर्मी एवं साहित्यकारों ने भाग लिया। महोत्सव के अंतर्गत संगोष्ठी सत्र में राष्ट्रीय देव चेतना परिषद के सहयोग से लोकदेवता देवनारायण : समाज, साहित्य और संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में पर विद्वानों ने विचार प्रस्तुत किए। रात्रि को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
महोत्सव के प्रमुख अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री कालूलाल गुर्जर ने कहा कि जीवन के सभी क्षेत्रों में नारी शक्ति का योगदान दिखाई दे रहा है। भारतीय परम्परा में नारी की विशिष्ट महिमा मानी गई है। नए युग में नारी सशक्तीकरण के लिए जरूरी है कि स्त्री की शिक्षा और जन प्रतिनिधि के रूप में उनकी समुचित भूमिका के लिए विशेष प्रयास किए जाएँ।
सारस्वत अतिथि लेखक एवं आलोचक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि प्रथम सभ्यता के केंद्र में नारी की अनुपम भूमिका रही है। आज स्त्री जन्म के पहले से लेकर पालन - पोषण और विकास के दौर में कई चुनौतियों से टकरा रही हैं। पितृसत्तात्मक समाज में नारी के प्रति रूढ़िवादी रवैये से मुक्त होने की आवश्यकता है। नए दौर के साहित्य में नारी के अंतर्बाह्य संघर्ष और परिवर्तनकारी प्रयत्नों की आहट को महसूस किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन में लोकदेवता देवनारायण जी ने अविस्मरणीय भूमिका निभाई है
अध्यक्षीय भाषण में श्री अखिल शुक्ल ने नारी जागरण के लिए वर्तमान दौर में किए जा रहे विशेष प्रयासों की चर्चा की।
संस्था के महासचिव डॉ प्रभु चौधरी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में स्त्री शक्ति की महिमा सदियों से रही है। विशिष्ट अतिथि डॉ सुनीता मंडल, कोलकाता, डॉ ममता झा, मुंबई, श्री मोहनलाल वर्मा, उदयपुर, डॉ देवनारायण गुर्जर, जयपुर ने भी विचार व्यक्त किए।
स्वागत भाषण डॉ शिवा लोहारिया, जयपुर ने दिया। अतिथियों को साफा पहनाकर स्वागत श्री अविनाश शर्मा, जयपुर ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना की प्रस्तुति से डॉ पूर्णिमा कौशिक, रायपुर ने किया। मोक्षा लोहाड़िया ने गणेश वंदना नृत्य की प्रस्तुति की।
कार्यक्रम में कविता पाठ सत्र की अध्यक्षता डॉ चेतना उपाध्याय, अजमेर ने किया। प्रमुख अतिथि प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। कविता पाठ डॉ मुक्ता कौशिक, रायपुर, डॉ सुनीता चौहान, मुंबई, हेमलता शर्मा, इंदौर, अपर्णा जोशी, इंदौर डॉ गरिमा गर्ग, पंचकूला, नेहा नाहटा, दिल्ली, डॉ निरुपमा चतुर्वेदी, जयपुर, पायल परदेशी, महू, अपर्णा तिवारी, इंदौर, डॉ मनीषा सिंह, मुंबई, डॉ आर्यावर्ती सरोजा, लखनऊ, मंजूबाला श्रीवास्तव, जोबट, डॉक्टर रोहिणी डाबरे, अकोले, श्रीमती पूर्णिमा कौशिक, रायपुर आदि ने किया। महोत्सव में अनेक शिक्षाविद एवं गणमान्यजन ने भाग लिया।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा प्रकाशित परिचय पुस्तिका संपर्क का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
सत्रों का संचालन कवि श्री सुंदरलाल जोशी सूरज, नागदा एवं डॉ प्रभु चौधरी ने किया। आभार प्रदर्शन राजस्थान प्रदेश महासचिव रेणु शब्दमुखर, जयपुर ने किया।
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