Skip to main content

युवाओं में कौशल को बढ़ावा देने प्रैक्टिस और ट्रेनिंग पर ध्यान देने की जरूरत: श्रीधर श्रीवास्तव ; पीएसएस केन्द्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान में राष्ट्रीय संगोष्ठि का शुभारंभ

युवाओं में कौशल को बढ़ावा देने प्रैक्टिस और ट्रेनिंग पर ध्यान देने की जरूरत: श्रीधर श्रीवास्तव

पीएसएस केन्द्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान में राष्ट्रीय संगोष्ठि का शुभारंभ


भोपाल, दिनांक 25.03.2021 | व्यावसायिक शिक्षा  व प्रषिक्षण में उत्कृष्टता के लिए बदलाव और चुनौतियों को लेकर पीएसएस केन्द्रीय व्यावसायिक शिक्षा  संस्थान में गुरुवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठि का आनलाइन शुभारंभ हुआ। 

यूनेस्को-यूनिवाक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र जर्मनी तथा सीपीएससी फिलिपिंस और पीएसएससीआईवीई के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस संगोष्ठि में देश-विदेश के करीब 1000 से ज्यादा शिक्षा  विषेशज्ञ ऑनलाइन सम्मिलित हुए। इस दौरान उन्होंने बदलते समय में पारंपरिक शिक्षा  के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा की भूमिका और उसकी मजबूती को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। संस्था के संयुक्त निदेशक राजेश पुं. खंबायत के स्वागत उद्बोधन के बाद कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ। 

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एनसीईआरटी के निदेशक डाॅ. श्रीधर श्रीवास्तव ने व्यवसायिक शिक्षा की चुनौतियों को लेकर कहा कि चुनौतियां शब्द बहुत महत्वपूर्ण है। युवाओं में कौशल को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय उद्योग के संयोजन द्वारा निरंतर प्रैक्टिस एवं ट्रेनिंग जैसी योजनाओं पर यथार्थ और जमीनी स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया और आशा व्यक्त की, कि सम्मेलन के विचार-विमर्श उन मुद्दों को हल करने में उपयोगी होंगे और भविष्य के लिए दिशा भी प्रदान करेंगे। सरकारी एवं निजी संस्थान एक होकर इस मार्ग पर बढ़े, जिससे नवाचार, रचनात्मकता, संयोजन आदि को बढ़ावा मिल सके। 

नई शिक्षा नीति-2020 के व्यवसायिक शिक्षा के संबंध में जो बिंदु दिए गए हैं वह अत्यंत महत्वपूर्ण है। सम्मेलन का संयोजन प्रो. पी. वीरैया, प्रो. वी.एस. मेहरोत्रा और ए. पलानीवेल ने किया। इस अवसर पर संगोष्ठि हैंडबुक ‘‘गाइडलाइन्स ऑफ ऑन द जॉब ट्रेनिंग फॉर स्कूल स्टूडेंट्स" नाम से पुस्तिक का विमोचन भी किया गया।

युवाओं को कौशलयुक्त बनाने पीएसएससीआईवीई अग्रसरः खंबायत

संस्था के संयुक्त निदेशक राजेश पुं. खंबायत ने कहा कि अन्य देषों की तुलना में भारत सबसे युवा देश है। व्यावसायिक शिक्षा  के योगदान से इन युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में पीएसएससीआईवीई महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज समय तकनीकी रूप में बदल रहा है। इसे देखते हुए युवाओं को भी कौशल और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की आवष्यकता है, इसी को लेकर पीएसएससीआईवीई अग्रसर है। इस अवसर पर वाधवानी फाउंडेशन, बैंगलोर के सुनील दाहिया ने व्यावसायिक शिक्षा  के क्षेत्र के उभरते हुए माॅडल पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसके लिए डिजिटल स्किल, टीमवर्क, संयोजन, संचार आदि बिंदू महत्वपूर्ण है। 

ग्रीन स्किल पर ध्यान देने की जरूरतः थंगराज

कार्यक्रम में एनआईटीटीटीआर भोपाल के निदेशक डाॅ. सी. थंगराज विषिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि  आज देश में कौशल विकास की आवश्यकता है। भविष्य में आने वाले विभिन्न क्षेत्रों में ग्रीन स्किल एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। व्यवसाय कौशल में भविष्य में ग्रीन स्किल को भी शामिल किया जाएगा। 

डिजिटल कौशल की मांगों के अनुसार बदलाव की जरूरतः सू. हुआंग चोई

अंतर्राष्ट्रीय केंद्र यूनेस्को-यूनिवाॅक बोन, जर्मनी की निदेशक सुश्री सू. हुआंग चोई ने अपने विषेष संबोधन में कहा कि टीवीईटी में डिजिटल कौशल की बढ़ती मांगों के अनुसार बदलाव करने की जरूरत है और उन श्रमिकों की मदद करने की भी जरूरत है जो श्रम बाजार को फिर से बनाने के लिए अपनी नौकरी खो चुके हैं। 

ऑनलाइन षिक्षण को बढ़ावा देने की जरूरतः स्टीवन मेकी

एमेरिटस, वल्र्डडीडेक के अध्यक्ष डाॅ. स्टीवेन मेकी ने कौशल विकास पर जोर देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था, क्षेत्रीय विकास, रोजगार के अवसर, शहरीकरण का विकास, मूलतः हम सभी क्षेत्रों में देखते हैं कि कौशल की कमी है। षिक्षक एवं स्कूलों को तकनीकी रूप से सक्षम होना होगा। आॅनलाइन षिक्षण को आज हर स्कूल को उपलब्ध कराने की जरूरत है। तकनीकी स्तर पर मजबूत होना होगा।  

डाॅ. लमिचाने ने ‘4सी‘ से दिया साॅफ्ट स्किल का मंत्र 

कोलंबो प्लान स्टाफ काॅलेज मनीला, फिलिपिंस के प्रबंध संचालक डाॅ. रामहरि लमिचाने ने 21वीं सदी में व्यावसायिक शिक्षा  और प्रषिक्षण पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हमें साॅफ्ट स्किल पर बात करनी होगी। इसमें बहुत सारी चुनौतियां है, जिसके लिए एक फ्रेमवर्क बनाना होगा। आर्थिक, व्यवसायिक, औद्योगिक स्तर पर पारंपरिक शिक्षा  को जोड़ना होगा। इस दौरान उन्होंने ‘4सी‘ यानी संचार, सहयोग, रचनात्मकता और गहन-चिंतन का मंत्र भी दिया। 

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं