05 मार्च 2021 को डॉ प्रभु चौधरी की पुस्तक ' देवनागरी लिपि,तब से अब तक ' का लोकार्पण करते हुए- केंद्रीय हिंदी संस्थान,भारत सरकार के उपाध्यक्ष श्री अनिल शर्मा जोशी, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रशासनिक अधिकारी श्री नत्थीसिंह बघेल, नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ डॉ जय-जयराम अरुणपाल, वरिष्ठ कवि श्री बाबा कानपुरी, आकाशवाणी के पूर्व सहनिदेशक श्री अरुण कुमार पासवान, रक्षा मंत्रालय भारत सरकार के पूर्व हिंदी अधिकारी श्री ओमप्रकाश आचार्य और डॉ रश्मि चौबे।
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्
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