प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और इतिहास विषय के पाठ्यक्रम पर परिचर्चा ; भूतपूर्व छात्रों को दिया गया पद्मश्री डॉ.विष्णुभरीधर वाकणकर स्मृति सम्मान 2021
प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और इतिहास विषय के पाठ्यक्रम पर परिचर्चा
भूतपूर्व छात्रों को दिया गया पद्मश्री डॉ.विष्णुभरीधर वाकणकर स्मृति सम्मान 2021
विक्रम विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व अध्ययनशाला में आज दिनांक- 17.03.2021, प्रातः 11:00 बजे पद्मश्री डॉ.विष्णुश्रधर वाकणकर स्मृति सम्मान 2021 के अन्तर्गत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा इतिहास विषय के पाठ्यक्रम पर परिचर्चा की गयी। जिसकी उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय डॉ.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने की। कुलपति ने अपने उद्बोधन में प्राचीन एवं आधुनिक इतिहास के गौरवमय पृष्ठों को प्रकाश में लाने तथा डॉ.वाकणकर की खोजों और उनकी उपलब्धियों को पाठ्यक्रम में लाने का आग्रह किया। साथ ही नवनियुक्त सहायक प्राध्यापकों फील्ड वर्क करने और अपने महाविद्यालय में शोध केन्द्र खोलने तथा समस्त प्राचार्य को इसमें रूचि लेने का आग्रह किया।
इस अवसर पर विभाग के भूतपूर्व छात्र अतिथि डॉ.नारायण व्यास, भोपाल, डॉ.प्रशान्त पुराणिक, उज्जैन, डॉ.हर्षवर्धन सिंह तोमर, भोपाल डॉ.ललित शर्मा, झालावाड़, डॉरमेश यादव, भोपाल, एवं डॉ. नीरज त्रिपाठी, अजमेर को पद्ठाश्री डॉ.विष्णुश्रीघर वाकणकर स्मृति सम्मान 2021 प्रदान किया गया।
साथ ही इस अवसर पर डॉ.रामकुमार अहिरवार की पुस्तक मालवा की बौद्ध संस्कृति तथा भारतीय साहित्य एवं कला में गौण एवं लोक देवी-देवता, डॉ.रितेश लोट के ग्रंथ मालवा का शैलोत्कीर्ण स्थापत्य एवं मुर्तिशिल्प तथा डॉ.बिन्दु शर्मा के ग्रंथ मालवा क्षेत्र के गौण देवी-देवताओं का प्रतिमा शास्त्रीय अध्ययन एवं डॉ.मुकेश कुमार शाह के ग्रंथ प्राचीन मालवा में विज्ञान एवं तकनीकी ग्रंथ का लोकार्पण हुआ।
इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के 40 महाविद्यालयों के इतिहास के 60 प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक और अतिथि विद्वान सम्मिलित हुए। जिन्होंने इतिहास विषय पर मंथन कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पाद्यक्रम को तैयार करने पर परिचर्चा हुई। जिसे आगामी अध्ययन बोर्ड की बैठक में इसे प्रस्तुत किया जायेगा। स्वागत भाषण डॉ.रामकुमार अहिरवार ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.विश्वजीत सिंह परमार, डॉ.प्रीति पाण्डे, डॉअंजना सिंह गौर, डॉ.रितेश लोट, डॉ.हेमन्त लोदवाल, डॉ.रमण सोलंकी तथा आभार डॉ.धीरेन्द्र सोलंकी ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर विशेष रूप से प्रो.एच.पी.सिंह, प्रो. मुसलगांवकर, डॉ.आर.सी.ठाकुर, प्रो.अल्पना दुभाषे, प्रो. ऊषा अग्रवाल, प्रो. रंजना व्यास, डॉ.अंजलि अग्रवाल, डॉ. दीपिका रायकवार तथा अनेक प्राध्यापक एवं शोधार्थी उपस्थित थे।
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