भारतीय संस्कृति में महापुरूषो के निर्माण में माता-पिता का योगदान रहा है- श्री वाजपेयी ; मातृ पितृ दिवस पर संगोष्ठी सम्पन्न
भारतीय संस्कृति में महापुरूषो के निर्माण में माता-पिता का योगदान रहा है- श्री वाजपेयी
मातृ पितृ दिवस पर संगोष्ठी सम्पन्न
ईश्वर की परमसत्ता के जन्म में माता-पिता का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। रामायण के उदाहरणों से भगवान राम एवं माताओं के संबंध में बताया। श्रीराम जी माता पिता एवं गुरू को प्रातः उठकर सर्वप्रथम प्रणाम करते रहे है। आदर्श माता पिता के अनेक उदाहरण प्रस्तुत किये। हमारे देश में जन्मदाताओं का भारतीय संस्कृति में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।
उपरोक्त विचार संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री हरेराम वाजपेयी ने व्यक्त किये। संस्था की कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शैलचन्द्रा ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि माता-पिता का जीवन में सबसे ऊँचा स्थान हमेशा रहेगा। बच्चो को संस्कार देना माता पिता ही दे सकते है। ईश्वर के समान माता पिता है। भारतीय संस्कृति में माता-पिता का सम्मान है।
राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने संस्कृति के रूप से भारत परिपूर्ण राष्ट्र है। विदेशी आंक्रांताओं ने संस्कृति नष्ट करने का प्रयास किया । विशेष अतिथि डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा कि शिवाजी की माता जीजाऊ माँ, भगवान रामजी की माता कौशल्या जी, लवकुश की माता सीताजी का आदर्श भारतीय संस्कृति में निहित है। राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमती गरिमा गर्ग(पंचकूला) एवं सुश्री रेनू शब्दमुखर (जयपुर) ने संबोधित करते हुए कविता प्रस्तुत की।
संगोष्ठी का शुभारम्भ में डॉ. मुक्ता कौशिक ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। स्लाईड से संस्था परिचय श्रीमती पूर्णिमा कौशिक नें दिया एवं स्वागत भाषण डॉ. रश्मि चौबे ने दिया।
संगोष्ठी की प्रस्तावना डॉ. शेख ने प्रस्तुत की। संगोष्ठी में विशेष अतिथि डॉ. रश्मि चौबे ने भी अपने विचार व्यक्त किये। राष्ट्रीय उप महासचिव डॉ. आशीष नायक ने भी उद्बोधन दिया। संगोष्ठी का संचालन डॉ. मुक्ता कौशिक ने किया एवं आभार पूर्णिमा कौशिक(रायपुर) ने माना।
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