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मौलिकता और प्रामाणिकता जरूरी है शोध कार्य में – डॉ जैन


उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय के शलाका दीर्घा सभागार, माधव भवन में कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय की अध्यक्षता में दिनांक 4 जनवरी 2021 को अपराह्न 3.00 बजे प्लेगेरिज्म एंड एकेडमिक डिसआनेस्टी : स्ट्रेटजीस एंड अंडरस्टैंडिंग विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। 

अध्यक्षीय उद्बोधन में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि शोध प्रबंध लेखन और गुणवत्ता वृद्धि की दृष्टि से विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा निरन्तर प्रयास किए जाएँगे। इस दिशा में व्यापक जागरूकता के लिए विशेष कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। वैज्ञानिक क्षेत्रों में शोध उन्नयन और स्तरीयता के लिए भी अलग से कार्यशालाएँ आयोजित की जाएंगी।  

विशेष व्याख्यान सह प्रस्तुतीकरण देते हुए ग्रंथालय एवं सूचना विज्ञान अध्ययनशाला के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार जैन ने कहा कि अकादमिक और शैक्षणिक संस्थानों का दायित्य है कि वे शिक्षण और शोध में गुणवत्ता और स्तरीयता के साथ कार्य करें। शोध कार्य में मौलिकता और प्रामाणिकता होनी चाहिए। पूर्व प्रकाशित या अप्रकाशित सामग्री की नकल प्लेगेरिज्म मानी जाती है।  वर्तमान में शोध में नकल गम्भीर समस्या बन गई है। साहित्यिक चोरी पर अंकुश लगाने के लिए अनेक प्रकार के सॉफ्टवेयर प्रचलित हैं।  जब भी हम किसी उद्धरण को अपने शोध में लाते हैं,  तब उसके लिए उद्धरण चिह्न का प्रयोग किया जाना चाहिए। साथ ही उसके स्रोत का उल्लेख होना चाहिए। स्वयं के द्वारा लिखे गए शोध पत्र को बिना पूर्व प्रकाशन की सूचना के पुनः प्रकाशन सेल्फ प्लेगेरिज्म की श्रेणी में आता है। डॉ जैन ने अपने व्याख्यान में प्लेगेरिज्म के विभिन्न पहलुओं, उसकी रोकथाम के उपायों और उरकुंड सॉफ्टवेयर की प्रणाली पर विस्तार से प्रकाश डाला। 

प्रारम्भ में प्रस्तावना आईक्यूएसी के डायरेक्टर प्रो पी के वर्मा ने प्रस्तुत की। 

प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि,  व्याख्यान में पूर्व कुलपति प्रो पी के वर्मा,  पूर्व कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा, प्रो एच पी सिंह, प्रो लता भट्टाचार्य, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डॉ एस के मिश्रा आदि सहित विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं के विभागाध्यक्षगण, शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने सहभागिता की। 

संचालन एवं आभार प्रदर्शन डीएसडब्ल्यू डॉ रामकुमार अहिरवार ने किया। 

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