Skip to main content

प्राचीन साहित्य में विज्ञान और संस्कृति से जुड़े पाठ्यक्रम शुरु किये जायेंगे - कुलपति प्रो. पाण्डेय ; प्रो शर्मा डॉ श्यामसुंदर स्मृति सम्मान से अलंकृत

विक्रम विश्वविद्यालय और अश्विनी शोध संस्थान के बीच हुआ एमओयू



अश्विनी शोध संस्थान, महिदपुर, उज्जैन द्वारा किला जैन मंदिर परिसर में तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध के 204 वर्ष पूर्ण होने की स्मृति में होने वाले कार्यक्रम के अंतर्गत एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया तथा संस्कृति एवं पुरातत्व के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा को डॉ. श्यामसुन्दर निगम सम्मान से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में देश के विशिष्ट इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और साहित्यिक जनों ने सहभागिता की। कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय और अश्विनी शोध संस्थान के बीच एक एम.ओ.यू. साइन किया गया । इसके अंतर्गत दोनों संस्थान  समझौता ज्ञापन के माध्यम से शोध कार्य, क्रियान्वयन एवं शोधार्थियों के हितार्थ कार्य करने के लिए सहमत हुए हैं। 

शहीद दिवस के कार्यक्रम में  गऊघाट स्थित शहीद वीरांगना महारानी तुलसाबाई होल्कर की समाधि पर  अश्विनी शोध संस्थान के पदाधिकारियों और प्रबुद्धजनों ने श्रद्धासुमन अर्पित किये और दो मिनिट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। किला मंदिर परिसर में हुए विचार संगोष्ठी कार्यक्रम में क्षेत्र के विधायक बहादुर सिंह चौहान, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय, मध्य क्षेत्र के संगठन मंत्री हर्षवर्धन सिंह तोमर, सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, विक्रम विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष डा. रामकुमार अहिरवार ने अपना उद्बोधन दिया। 



विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय में श्रीरामचरित मानस एवं महाभारत जैसे प्राचीन ग्रन्थों में विज्ञान और संस्कृति प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम शुरु किये जाएंगे, जो देश में संभवतः पहला विश्वविद्यालय होगा। 

अतिथि परिचय संस्था के अध्यक्ष डॉ. आर.सी. ठाकुर ने दिया। संस्था की गतिविधियों पर संस्था के सचिव रमण सोलंकी ने प्रकाश डाला। स्वागत भाषण पत्रकार शांतिलाल छजलानी ने देते हुए महिदपुर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और प्राचीनता का उल्लेख करते हुए अतिथियों के आगमन पर हर्ष व्यक्त किया। आमन्त्रित अतिथियों का सम्मान शांतिलाल छजलानी, कैलाश सूर्यवंशी, नरेंद्र पांचाल, संजय सेवक, सुभाष ठाकुर, डॉ. गिरीश जोशी , अनिल आंचलिया ने किया। इस अवसर पर भारत छोड़ो आंदोलन की अर्धशताब्दी पर प्रकाशित स्मारिका युग-युगीन महिदपुर की प्रतियां अतिथियों को भेंट की गई। कार्यक्रम का संचालन डा. हेमन्त शर्मा ने किया। महिदपुर महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के छात्र छात्राओं ने अतिथियों के आगमन पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। 


इस अवसर पर शास महाविद्यालय के प्राचार्य डा. व्हाय.के.मुखिया, प्रो. पद्मसिंह पटेल, प्रो. मिश्रा, अभिभाषक संघ अध्यक्ष सुरेश छजलानी, नगरपालिका पूर्व उपाध्यक्ष कैलाश राठी, कांवेरी शोध संस्थान के संस्थापक डाॅ. श्यामसुन्दर निगम की पत्नी श्रीमती निगम , भाजपा नगर मण्डल अध्यक्ष श्रीमती उमा पाण्डे, भाजपा  कोषाध्यक्ष ललित गार्डी, होल्कर महाराज  के मामा परिवार के चन्द्रकांत गावड़े, एसडीओ  कैलाशचन्द्र ठाकुर, तहसीलदार विनोद शर्मा, पूर्व पार्षद ओम सोलंकी, डा. अजय शर्मा, डा. किरण सोलंकी, डा. चन्द्रशेखर ठाकुर, योगेन्द्र पालीवाल, अजय मूणत, विमल मेहता, देवेन्द्र उद्धव, श्रीमती शिरोमणी मेहता, अमरसिंह ठाकुर, प्रभुदयाल शर्मा, बाबूलाल कुमावत, अर्जुन ठाकुर, विशाल शर्मा, स्वस्तिक ठाकुर, भगवानसिंह पंवार, नारायणसिंह डोडिया सहित राष्ट्रीय सेवा योजना के पदाधिकारीगण, पत्रकार, साहित्यकार एवं नगर के प्रबुद्धजन उपस्थित थे। आभार पारस लुणावत ने माना। कार्यक्रम के पश्चात सभी अतिथियों ने डॉ. आर .सी. ठाकुर के निवास पर पुरातात्विक मुद्राओं और वस्तुओं के संग्रहालय का अवलोकन किया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं