राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में "स्वामी विवेकानंद का राज दर्शन" विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया।
समन्वयक डॉ. वीरेंद्र चावरे के अनुसार, इस वेब व्याख्यान की अध्यक्षता डॉ नलिनी रेवड़ीकर, अध्यक्ष, म.प्र. सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान, उज्जैन ने की। मुख्य वक्ता शासकीय माधव महाविद्यालय, उज्जैन के प्रोफेसर हरिसिंह कुशवाह रहे। स्वागत भाषण विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दीपिका गुप्ता ने दिया।
कार्यक्रम का संचालन व्याख्यान के समन्यवक डॉ. वीरेंद्र चावरे ने किया।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर कुशवाह ने कहा किकिताबों के अभाव में स्वामी विवेकानंद के राज दर्शन को नही पढ़ा जा सकता।उनके विचारों पर उनके गुरु श्री रामकृष्ण परम हंस का प्रभाव दिखता हैं। उनके अनुभव का प्रभाव भी उनके राजनीतिक चिंतन पर दिखता हैं। उनके सत्ताईस भाषणों की श्रृंखला में उनके राजनीतिक विचारों को देखा जा सकता हैं। उनके दर्शन में प्लेटो, अरस्तु और मार्क्स जैसे दार्शनिकों का प्रभाव देखने को मिलता हैं। स्वामी जी साध्य और साधन की पवित्रता पर बल देते थे। उन्होंने आदर्श राज्य की परिकल्पना की थी। आपने स्वामी जी के विचारों में आध्यात्मिक राष्ट्रवाद, व्यक्ति के निर्माण, नैतिकता, चरित्र, धर्म, कर्म, योग, अध्यात्म, सहिष्णुता, मानवतावाद, शिक्षा, नेतृत्व क्षमता, समय प्रबंधन, विचार प्रबंधन आदि बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
डॉ नलिनी रेवड़ीकर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी जी के राजनीतिक और आध्यात्मिक विचारों का विश्लेषण किया।
राष्ट्रीय वेब व्याख्यान में डॉ. निशा वशिष्ठ, डॉ.रश्मि श्रीवास्तव, डॉ. यतिन सिंह सिसोदिया, डॉ. आशीष भट्ट, डॉ. तपस दलपति,डॉ निवेदिता वर्मा, डॉ. नलिन सिंह पंवार, डॉ मेघा पांडेय, डॉ कनिया मेड़ा, डॉ शिव कुशवाह, डॉ जितेंद्र शर्मा, डॉ वंदना पंडित, डॉ अजय भदौरिया, शोधार्थी, विद्यार्थी, एवं उत्तरप्रदेश,बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगालआदि राज्यों के लगभग सौ प्रतिभागियों ने भी हिस्सा लिया।
Comments