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दांतों की सड़न – कारण, लक्षण, बचाव व उपचार

अंग्रेजी में एक कथन है – Oral health is overall health. 

मतलब मुख का स्वास्थ्य ही सम्पूर्ण स्वास्थ्य का सूचक है। 


आज हम मुख के स्वास्थ्य से जुडी हुई एक आम समस्या के बारे में जानेंगे और सीखेंगे कि कैसे थोड़ी सी सावधानी और जागरूकता से हम दांतों की सड़न और तकलीफ से बच सकते हैं।

दातों की सड़न 

हमारे दांत कैल्शियम ,फॉस्फोरस और अन्य खनिज से मिलजुलकर बने होते है।हलाकि इंसानी शारीर का सबसे कठोर भाग उसके दांत ही होते है परन्तु लापरवाही और जागरूकता ना होने की वजह से येह भी सड़न का शिकार हो जाते हैं।
दांतों की सड़न की वजह से दांतों में दर्द होता है और खाना खाने में तकलीफ होती है, सामने के दांत सड़ जाएँ तो मुख की सुन्दरता में दाग लग जाता है और आत्मविश्वाश में कमी आती है।
तो आईये दांतों की सड़न के कारण और इससे कैसे बचा जाये इसके बारें में जानते हैं।

दांतों की सड़न का कारण :

दांतों की सड़न एक बहुत ही आम समस्या है परन्तु यह हमरे मुंह के अन्दर होती है और किसी को दिखती नहीं इसलिए हम इसे नजर अंदाज करते जाते है।

दांतों की सड़न के 3 मुख्य कारण होते है –

1. खान पान : 

वह खाद्य प्रदार्थ जिनमे कार्बोहायड्रेट और शक्कर की मात्रा अधिक हो उससे दांतों की सड़न होने का खतरा ज्यादा रहता है, अगर खाद्य प्रदार्थ चिपचिपा हो जैसे की टॉफ़ी, मिठाई, पोटैटो चिप्स तो फिर सड़न का खतरा और भी ज्यादा रहता है।

2. दांतों की सफाई और उनकी बनावट : 

दांतों की ठीक तरह से सफाई ना करना सड़न को न्योता देने जैसा है। रोजाना दांतों को दो वक्त साफ़ करना जरुरी है। इस तरह से से आप मुंह मे मौजूद बैक्टीरिया की बढ़त को कम कर सकते है और साथ ही फंसे हुए खाद्य प्रदार्थ को भी साफ़ कर सकते हैं। दांतों को साफ़ रखने के लिए आपको सहीं तरीके से ब्रश करना, फ्लॉस करना और माउथवाश का प्रयोग करना चाहिए।

3. मुख में मौजूद बैक्टीरिया : 

कोई कितनी भी सफाई करे हर किसी के मुह में बैक्टीरिया होते हैं। परन्तु हम अपने मुख की सफाई कितनी अच्छी तरह से करते है यह तय करता है की बैक्टीरिया की तादात बढेगी या कम होगी। और अगर तादात बढेग तो क्या उनके लिए सड़न पैदा करने वाले कारक मौजूद है।

जैसे ही आप खाना बंद करते है बैक्टीरिया अपना काम शुरू कर देता है, वो दांतों पर एक तरह की सफ़ेद परत बनाता है जिसे हम प्लाक कहते हैं। यही प्लाक बैक्टीरिया का घर होता है और नियमित दो समय ब्रशिंग करके इसे बनने से रोका जा सकता है। मुख में मौजूद बैक्टीरिया को एसिड बनाने के लिए कार्बोहायड्रेट और शक्कर की जरुरत होती है, जिससे दांतों में सड़न होती है।

दांतों के सड़न के लक्षण

दांतों की सड़न का पहला लक्षण है दांत की उपरी सतह ( इनेमल) पर भूरा दाग जैसा लगना। फिर यह दाग थोडा बड़ा होता है एक छेद का रूप लेता है और उस जगह पर खाना फसना शुरू हो जाता है। खाना फसने से सड़न की प्रकिर्या तेज हो जाती है और दांत का छेद बड़ा हो जाता है। जब येह छेद थोडा गहरा हो जाता है और अंदरूनी सतह (डेंटिन) में पहुच जाता है तब हमे ठंडे या मीठे से कनकनाहट होने लगती है। जब सड़न इससे भी ज्यादा अन्दर चला जाता है तब वह पल्प (दांतों की नस) तक पहुँच जाता है और इसे संक्रमित कर देता है, और तब हमें दांतों में जोरदार दर्द होता है।

दांतों की सड़न से बचाव 

  • हर 6 महीने में अपने दन्त चिकिसक से अपने दांतों का चेकअप कराएँ।
  • सुबह थोडा जल्दी उठें (कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत) और अपने नित्य कर्म के लिए समय निकालें, आईने के सामने खड़े हो कर ब्रश करें ताकि आप देख सके दांतों की सफाई सही से हो रही है या नहीं।
  • रोजाना 2 बार दांतों को साफ़ करें, एक बार सुबह और एक बार रात्रि को।
  • ब्रश ज्यादा जोर से ना रगडे और 2 मिनट से ज्यादा ना करें। ब्रश करने का सहीं तरीका सीखे।
  • माउथवाश का प्रयोग करें।
  • रात को सोने से पहले एक बार दांतों के बीच में फ्लॉस (floss) से सफाई करें।
  • मीठा और चिपचिपा प्रदार्थ कम खाएं।
  • केक, पेस्ट्री, टाफी, चिप्स कम खाएं और अपने भोजन में साबुत अनाज का भी प्रयोग करें।
  • सोडा युक्त कोल्ड ड्रिंक्स से परहेज करें।
  • बीडी, सिगरेट और तंबाकू का नशा छोड़ें।

दांतों की सड़न का इलाज

  • अगर आपके दांतों में सड़न हो ही गयी है तो सबसे पहले आप अपने दन्त चिकित्सक से मिलें, उन्हे अपनी समस्या विस्तार से बताएं।
  • अगर सड़न छोटी है और दांतों की उपरी सतह पर है तो आपके दन्त चिकित्सक उसे साफ़ करके उस छेद में फिलिंग करेंगे। यह फिलिंग दांत के रंग की भी हो सकती है और मेटालिक की भी हो सकती है, येह आपका चुनाव पर निर्भर रहेगा।
  • अगर सड़न के कारण दांत का बड़ा हिस्सा ख़राब हो गया है और दांतों में दर्द की शिकायत है तो डेन्टिस्ट पहले दांतों का एक्सरे लेगा फिर आपको इलाज़ के बारे में बताएगा।
  • ज्यादातर बहुत ज्यादा सड़े हुए दांतों को root canal therapy ( दांतों के नस का इलाज) द्वारा बचाया जाता है फिर उसपर एक कैप लगा दी जाती है।
  • बहुत ही ज्यादा ख़राब और पूरी तरह सड़ चुके दांतों को निकल कर उस जगह पर कृत्रिम फिक्स दांत भी लगाया जा सकता है।
हमेशा कहा जाता है कि, “prevention is better than cure”, इसलिए अच्छा होगा कि हम अपने  दांतों की सही देखभाल करना शुरू कर दें ताकि इलाज की ज़रूरत है ना पड़े।

 डॉ परेश सोनी 
(दन्त शल्यचिकित्सक)

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