दुनिया के सर्वकालिक महान फुटबॉलरों की लिस्ट में शामिल माराडोना अब इस दुनिया में नहीं रहे। माराडोना का बुधवार 25 नवंबर को हार्ट अटैक से निधन हो गया। माराडोना की उम्र 60 साल की थी। 1986 में अकेले दम पर अर्जेंटीना को फुटबॉल वर्ल्ड कप जिताने वाले माराडोना की कुछ दिन पहले ब्रेन में ब्लड क्लॉट की सर्जरी की गई थी। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई थी और वह घर भी आ चुके थे, लेकिन फिर हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया। माराडोना का नाम जब भी लिया जाता है, 'हैंड ऑफ गॉड' का जिक्र जरूर होता है।
महान फुटबॉलरों का कोई भी किस्सा अपने दौर के सबसे बड़े 'शोमैन' माराडोना के बगैर पूरा नहीं होता है। वह करिश्माई खेल के साथ मैदान के बाहर भी चर्चित रहे। डिएगो के पीछे विवाद भी साए की तरह रहे। ब्यूनस आयर्स के बाहरी इलाके लानुस में 30 अक्टूबर, 1960 को माराडोना का जन्म हुआ था। बेहद गरीब माता-पिता के आठ बच्चों में वह पांचवीं संतान थे। अभावों के बीच तीन साल की उम्र में गिफ्ट में मिली पहली फुटबॉल उनकी जिंदगी बन गई। फुटबॉल गिफ्ट में देना वहां की परंपरा का आज भी हिस्सा है। नन्हा डिएगो इस फुटबॉल से खेलने में जुटा रहता।
10 साल की उम्र में स्थानीय क्लब से खेले थे माराडोना
सिर्फ 10 साल की उम्र में वह स्थानीय क्लब एस्त्रोला रोसा से खेलने लगे। दो साल बाद मामूली पैसा देकर लोस कैबोलिटास ने अपने साथ उनको जोड़ा। डिएगो में परिवार को गरीबी से निकालने की धुन सवार हो चुकी थी। असाधारण खेल से वह सुर्खियों में रहने लगे थे, पर डिएगो के लिए यह महज शुरुआत थी। 15 साल की उम्र में अर्जेंटीनोसा जूनियर्स से पेशेवर करियर का आगाज किया।
माराडोना पर पैसों की बारिश
नामी क्लब बोका जूनियर्स की नजर उन पर पड़ी। क्लब ने 10 लाख पाउंड की अच्छी कीमत देकर उन्हें अपने साथ जोड़ लिया। धुआंधार प्रदर्शन से माराडोना को अगले साल अर्जेंटीना फुटबॉल टीम में चुना गया। 1982 में उन्हें पहला वर्ल्ड कप खेलने का मौका मिला पर वह पांच मैचों में दो गोल ही दाग सके, पर उनकी टीम सेमीफाइनल तक पहुंची। उस वर्ल्ड कप में माराडोना को यह यकीन हो गया कि उनकी टीम में भी चैंपियन बनने का दम है।
अर्जेंटीना को अकेले दम पर चैंपियन बनाया
1986 का वर्ल्ड कप पूरी तरह माराडोना के नाम रहा। उन्हें टीम की कप्तानी सौंपी गई और वह अकेले दम पर अर्जेंटीना को पहली बार चैंपियन बनाकर लौटे। उन्होंने पांच गोल किए और पांच में मदद की। इससे उन्हें टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का गोल्डन बॉल अवॉर्ड भी मिला। सिर्फ उनके देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में 'डिएगो-डिएगो' का नाम गूंज उठा। माराडोना उस दौर में सबसे लोकप्रिय शख्स बन गए। 1997 में उन्होंने अपने जन्मदिन पर फुटबॉल से संन्यास लिया।
'हैंड ऑफ गॉड' की कहानी
1986 के वर्ल्ड कप क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ माराडोना का गोल विवादित रहा। गेंद उनके कंधे के नीचे बाजू से लगकर गोल पोस्ट में गई थी। रेफरी उसे देख नहीं सके थे। इसे गोल करार दे दिया गया। माराडोना ने इस गोल को ईश्वर की मर्जी बताते हुए 'हैंड ऑफ गॉड' करार दिया था। 1980 में कोकीन की लत लगी, पकड़े जाने पर 15 महीने के लिए बैन भी हुए। माराडोना ने 1991 में प्रतिबंधित दवा ली, डोप का आरोप लगा। 1994 में वर्ल्ड कप में एफेड्रिन लेने पर उन्होंने निलंबन भी झेला। फीफा के पोल में पेले को पीछे छोड़ते हुए 20वीं सदी के महानतम फुटबॉलर चुने गए। 1986 के वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ पांच खिलाड़ियों को छकाकर किया गया गोल सदी के टॉप पांच गोल में शामिल है।
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