Skip to main content

विधानसभा उपनिर्वाचन की मतगणना में ग्वालियर पूर्व में सबसे अधिक और अनूपपुर में होंगे सबसे कम राउण्ड

विधानसभा उपनिर्वाचन की मतगणना में ग्वालियर पूर्व में सबसे अधिक और अनूपपुर में होंगे सबसे कम राउण्ड 


भोपाल : सोमवार, नवम्बर 9, 2020, 18:45 IST

विधानसभा उप निर्वाचन 2020 में प्रदेश के 19 जिलों के 28 विधानसभा क्षेत्रों की मतगणना 10 नवम्बर को प्रात: 8 बजे से संबंधित जिला मुख्यालयों पर होगी। मतगणना में सबसे अधिक राउण्ड ग्वालियर जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 16-ग्वालियर पूर्व में 32 राउण्ड और सबसे कम अनूपपुर जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 87-अनूपपुर में 18 राउण्ड होंगे।


मुरैना जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4-जौरा में 27, विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-5 सुमावली में 25, विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 6-मुरैना में 27, विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 7-दिमनी में 23, विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 8-अम्बाह में 23, भिण्ड जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 12-मेहगांव में 27, विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 13-गोहद में 24, ग्वालियर जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 15-ग्वालियर में 30, विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 19-डबरा में 24, दतिया जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 21-भांडेर में 19, शिवपुरी जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 23-करेरा में 26, विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 24-पोहरी में 23, गुना जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 28-बमौरी में 23, अशोकनगर जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 32-अशोकनगर में 22 एवं विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 34-मुंगावली में 21 राउण्ड होंगे।


सागर जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 37-सुरखी में 22, छतरपुर जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 53-मलहरा में 23, रायसेन जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 142-सॉची में 27, राजगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 161-ब्यावरा में 25, आगर-मालवा जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 166-आगर में 24, देवास जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 172-हाटपिपल्या में 21, खण्डवा जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 175-मांधाता में 21, बुरहानपुर जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 179-नेपानगर में 26, धार जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 202-बदनावर में 22, इंदौर जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 211-सांवेर एवं मंदसौर जिले के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 226-सुवासरा में 28-28 राउण्ड होंगे।



Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...