Skip to main content

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कर्मचारियों के हित में लिया महत्वपूर्ण निर्णय, शासकीय सेवकों एवं उनके आश्रितों को अब निजी चिकित्सालयों में भी मिलेगी उपचार सुविधा

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कर्मचारियों के हित में लिया महत्वपूर्ण निर्णय


शासकीय सेवकों एवं उनके आश्रितों को अब निजी चिकित्सालयों में भी मिलेगी उपचार सुविधा 
उपचार के लिए 93 निजी चिकित्सालय चिन्हित
 


भोपाल : सोमवार, नवम्बर 9, 2020, 16:58 IST


मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने शासकीय सेवकों और उनके परिवार के आश्रित सदस्यों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके तहत राज्य के अन्दर शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्य मान्यता प्राप्त 93 निजी चिकित्सालयों में जाँच एवं उपचार करवा सकेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शासकीय सेवकों को पूर्व में निजी चिकित्सालयों में उपचार करवाने पर चिकित्सा प्रतिपूर्ति नहीं हो पाती थी। अब शासकीय अधिकारी-कर्मचारी विभिन्न बीमारियों का उपचार शासन द्वारा चिन्हित निजी चिकित्सालयों में करवा कर चिकित्सा प्रतिपूर्ति भी प्राप्त कर सकेंगे।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जिन निजी चिकित्सालयों को शासकीय कर्मचारियों एवं उनके आश्रितों के उपचार के लिए चिन्हित किया गया है, उनमें गंभीर बीमारियों में किडनी ट्रांसप्लान्ट, होमो डायलेसिस, केंसर रोग, हिप,-नी-एल्बो सोल्डर आंशिक रिप्लेसमेंट, मेमोग्राफी, एम.आर.आई. सिटी स्केन, कोकालियर इम्पप्लान्ट हृदय रोग, हेड इन्जयूरी, न्यूरो सर्जरी, स्पाईनल सर्जरी है। जैसी अन्य बीमारियाँ का उपचार और जाँच करवाई जा सकेंगी। जाँच एवं उपचार के पश्चात शासकीय कर्मी अपने विभाग में चिकित्सा प्रतिपूर्ति भी ले सकेगा।


कर्मचारियों को त्यौहार अग्रिम और एरियर्स भुगतान


मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश के शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों के हित में दीपावली पर्व के पूर्व एरियर्स और त्यौहार अग्रिम उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। शासन द्वारा सातवें वेतन की तीसरी किश्त का 25 प्रतिशत और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को 10 हजार रुपये त्यौहार अग्रिम देने के आदेश जारी कर दिये गये हैं। विभिन्न विभागों के अधिकारियो-कर्मचारियों को यह राशि दीपावली के पहले मिल जायेगी। राज्य सरकार ने कर्मचारियों के हित में यह भी निर्णय लिया है कि त्यौहार अग्रिम के देयक कोषालय में ऑफ लाइन लगेंगे, जिससे समय पर कर्मचारियों को त्यौहार अग्रिम मिल जाए। सातवें वेतनमान के एरियर्स की राशि भुगतान की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई है। इस प्रकार दीपावली के पूर्व 775 करोड़ रुपये अधिकारी-कर्मचारियों को मिलेंगे। इसके अतिरिक्त निगम मंडल के कर्मचारियों को भी त्यौहार अग्रिम और एरियर्स के भुगतान के लिये 150 करोड़ की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है।


आपदा कोविड-19 की जांच एवं उपचार में भी सुविधा


म.प्र.शासन के शासकीय सेवक एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्य जो आपदा कोविड-19 से संक्रमित होते है। उनके इलाज के लिए मध्य प्रदेश के समस्त जिलों के अशासकीय निजी चिकित्सालय (नर्सिग होम एक्ट के तहत पंजीकृत निजी चिकित्सालय)को भी स्वीकृति दी गई है। इन अस्पतालों में उपचार के बाद चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति होगी। शासकीय सेवक कोविड-19 इलाज के चिकित्सा देयक अपने विभाग के माध्यम से जिले के सिविल सर्जन-सह-मुख्य अस्पताल अधीक्षक मध्यप्रदेश के प्रतिहस्ताक्षर कराने के उपरांत शासकीय सेवक के संबंधित विभाग द्वारा ऐसे चिकित्सा देयकों में नियमानुसार भुगतान की कार्यवाही किये जाने के आदेश भी पूर्व में जारी किये जा चुके हैं।


निजी चिकित्सालयों की सूची : (click for list of hostipal)



Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...