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”जलजनित बीमारियों के उन्मूलन हेतु विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की एक्वाकल्चर सेंटर द्वारा विक्रम सरोवर में गम्बूसिया मछली का पालन प्रारंभ किया गया है । सामाजिक सरोकार के दृष्टिगत विश्वविद्यालय का यह महत्वपूर्ण कदम है ।“
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय के निर्देशानुसार प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला की एक्वाकल्चर इकाई के द्वारा सामाजिक सरोकार के उद्देश्य से जलजनित बीमारियों के उन्मूलन हेतु गम्बूसिया मछली का पालन विश्वविद्यालय परिसर स्थित विक्रम सरोवर में प्रारंभ किया गया है । जलजनित बीमारियों जैसे मलेरिया, फाइलोरिया, येलोफीवर, चिकनगुनिया आदि मछरों के माध्यम से फैलती है । इन मच्छरों को लार्वीसाइडिल मछलियों जैसे गम्बूसिया एवं लेबिस्टिस आदि के कारण नियंत्रित किया जा सकता है । लार्वीसाइडिल मछलियां मछरों को अपने भोजन के रूप में ग्रहण कर लेती हैं जिससे उनकी संख्या में वृद्वि नही हो पाती है ।
प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला की विभागाध्यक्ष प्रो.लता भट्टाचार्या ने बताया कि मछरों के नियंत्रण हेतु गम्बूसिया मछली का वितरण भविष्य मेें ग्राम पंचायतों में स्थित तालाबों के लिये किया जायेगा । प्रो. भट्टाचार्या ने बताया कि इस शैक्षणिक सत्र में एम.एस.सी.जुलोजी में 20 एवं जैवप्रोधोगिकी में 26 छात्रों का प्रवेश हुआ है जिनके प्रायोगिक कार्य हेतु गम्बूसिया मछली का पालन सहायक होगा । एक्वाकल्चर सेंटर के समन्वयक डाॅ.अरविंद शुक्ला एवं उपसमन्वयक डाॅ.शिवी भसीन ने बताया कि क्यूलेक्स एवं एनाफिलीज मच्छरों के द्वारा मलेरिया एवं एडिस मच्छर द्वारा चिकनगुनिया बीमारियां फैलती है। उक्त मच्छरों के नियंत्रण हेतु उपयोग किये जैवीय नियंत्रण विधि अधिक प्रभावशील होती है ।
इस विक्रम सरोवर में दस हजार मछली का संग्रहण आज मत्स्योद्योग विभाग की सहायता से किया गया है ।
इस अवसर पर कुलपति डाॅ.अखिलेश कुमार पाण्डेय, प्रभारी कुलसचिव डाॅ.डी.के.बग्गा, कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला से डाॅ.सलिल सिंह, डाॅ.संतोष टाकुर, डाॅ.स्मिता सोलंकी, डाॅ.गरिमा शर्मा, आदि उपस्थित थे।
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