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संविधान में भी प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा में सुलभ कराने का प्रावधान है- डॉ. शेख ; राष्ट्रीय संविधान दिवस पर संगोष्ठी सम्पन्न

 



राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के द्वारा आयोजित भारत के संविधान दिवस के उपलक्ष में आयोजित वेबीनार के माध्यम से राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. शहाबुद्दीन शेख वरिष्ठ प्राचार्य एवं कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यख ने कहा कि संविधान में राजभाषा के समस्त प्रावधान लागू करने से भी हिन्दी राजभाषा का अधिकार स्वतः प्राप्त कर लेगी। परन्तु राजभाषा नियमो का पालन केन्द्र एवं राज्य सरकारें नहीं कर रही है। इसी प्रकार संविधान में प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं सुलभ की जावे ऐसा प्रावधान भी है। प्राथमिक शिक्षा बच्चों को मातृभाषा में दी जाना चाहिए।


संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रभु चौधरी, राष्ट्रीय महासचिव उज्जैन ने बताया कि भारत का संविधान दिसम्बर 1946 में गठित संविधान सभा में वरिष्ठ कानून विशेषज्ञो की उपस्थिति में कानूनविद् कुशल, निपुण, एवं सच्चे देशभक्त डॉ. अम्बेडकर की अध्यक्षता में संविधान प्रारूप समिति का गठन किया गया। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष रहे। हमारे संविधान में सामाजिक जीवन को आईने की भांति प्रतिबंधित कर यथार्थ को प्रकट किया है।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता श्री ब्रजकिशोर शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उद्बोधन में कहा कि भारत का संविधान गीता, बाईबिल, कुरान आदि धार्मिक ग्रंथो के समान है साथ ही सामाजिक न्याय और राष्ट्र के सुदृढ़ीकरण हेतु देश के नागरिकों और उनकी राजनीतिक संस्थाओं के सम्मुख अपने विराट लोकतंत्र का रक्षक भी है।






संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरूजी ने कहा था कि डॉ. अम्बेडकर संविधान के मुख्य शिल्पकार है। इन्होंने हमें वाक, प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता दिलाई। डॉ. अम्बेडकर ने संविधान के माध्यम से महिला सशक्तिकरण, जन स्वास्थ्य, श्रम का समय आदि अनेक सुविधाएं निम्न वर्ग के उत्थान का मार्ग बताया। 

संगोष्ठी का शुभारम्भ सरस्वती वंदना श्रीमती पूर्णिमा कौशिक रायपुर ने की। स्वागत भाषण डॉ. आशीष नायक ने एवं संस्था परिचय लता जोशी मुम्बई ने दिया। संविधान दिवस की भूमिका राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शैल चन्द्रा ने प्रस्तुत की। 







संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि सुवर्णा जाधव, डॉ. जी.डी. अग्रवाल, डॉ. रश्मि चौबे, डॉ. ममता झा, डॉ. मुक्ता कौशिक, डॉ. प्रवीणबाला, श्री जितेन्द्र रत्नाकर, डॉ. शम्भू पंवार, श्रीमती डॉ. शिवा लोहारिया ने भी सम्बोधित किया। संचालन डॉ. मुक्ता कौशिक ने किया एंव आभार डॉ. रिया तिवारी ने माना।

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