Skip to main content

संस्कृति संरक्षण और संवर्धन को लेकर आत्म सजग करेगी नई शिक्षा नीति – प्रो. शर्मा

संस्कृति संरक्षण और संवर्धन को लेकर आत्म सजग करेगी नई शिक्षा नीति – प्रो. शर्मा 


नई शिक्षा नीति 2020 : साहित्य और संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी संपन्न


प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा नई शिक्षा नीति  2020 : साहित्य और संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के प्रमुख अतिथि शिक्षाविद् श्री ब्रजकिशोर शर्मा थे। मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभाग के अध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि  वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार और अनुवादक श्री शरद चंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे, साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर, संयुक्त संचालक, शिक्षा श्री मनीष वर्मा, इंदौर एवं संस्था के महासचिव डॉ प्रभु चौधरी ने विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता डॉ जी डी अग्रवाल ने की।



मुख्य वक्ता लेखक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि श्रेष्ठ साहित्य और कलाओं के साथ विद्यार्थियों को जोड़ने की जिम्मेदारी  शैक्षिक संस्थानों की है। नई शिक्षा नीति साहित्य और संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और प्रसार के लिए के लिए आत्म सजग करेगी। देश के शिक्षालयों का दायित्व है कि  अपने इतिहास, संस्कृति और साहित्य के प्रति गौरव का भाव जागृत करें। वास्तविक शिक्षा मनुष्य को संकीर्ण दायरे से मुक्त करती है। भारतीय शिक्षा परम्परा मूल्यकेंद्रित जीवन दृष्टि को आधार में लिए हुए हैं। देश की बहुत बड़ी आबादी शिक्षा से संबंध रखती है। नई शिक्षा नीति में सूचना और ज्ञान से आगे जाकर प्रज्ञा और सत्य की खोज पर बल दिया गया है। वैचारिक चिंतन के साथ रचनात्मक कल्पना शक्ति का विकास नई शिक्षा नीति के आधार में है। इस दिशा में कला, साहित्य और संस्कृति की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमें सभी स्तरों की पाठ्य सामग्री में विज्ञान और गणित के समान भाषाओं, साहित्य, जीवन मूल्य और संस्कृति को महत्त्व देना होगा।



मुख्य अतिथि श्री ब्रजकिशोर शर्मा, उज्जैन ने कहा कि शिक्षा सर्वांगीण विकास करती है। साहित्य सुख-दुख के अनुभव के स्पंदन को प्रकट करने का काम करता है। मनुष्य को बेहतर मनुष्य बनाने का कार्य शिक्षा करती है। इस दिशा में भाषा, साहित्य और संस्कृति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।



प्रवासी साहित्यकार और अनुवादक श्री शरद चंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो ने कहा कि संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति को विशेष सम्मान से देखा जाता है। हमें अपनी संस्कृति और साहित्यिक परंपरा के प्रति गौरव का भाव होना चाहिए। शैक्षिक संस्थाओं में कला और साहित्य के प्रति गहन अभिरुचि उत्पन्न करने के प्रयास होने चाहिए। 



साहित्यकार श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य है विद्यार्थी अपने देश, समाज और संस्कृति को लेकर आत्म गौरव करें। संस्कार और संस्कृति के बिना शिक्षा मात्र व्यवसाय बन कर रह जाती है। हमारे विद्यार्थियों को विदेशी शिक्षा संस्थानों के व्यामोह से मुक्त होना होगा।



अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ जी डी अग्रवाल, इंदौर ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में साहित्य और जीवन मूल्य की विशेष भूमिका होनी चाहिए। शिक्षकों को विद्यार्थियों के मध्य भारतीय अस्मिता, अस्तित्व और गौरव को स्थापित करना होगा। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना जैसी संस्थाएं शिक्षकों में अंतर्निहित प्रतिभा को प्रकट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। 



संयुक्त संचालक शिक्षा श्री मनीष वर्मा, इंदौर ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भाषाओं के अध्ययन पर विशेष बल दिया गया है। आने वाले समय में पूर्व प्राथमिक स्तर पर सरकारी और गैर सरकारी स्कूल - दोनों अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। 



प्रारंभ में आयोजन की रूपरेखा एवं अतिथि परिचय राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव डॉक्टर प्रभु चौधरी ने दिया।


युवा कवि श्रीराम शर्मा परिंदा, मनावर ने अपने चुनिंदा मुक्तकों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
 
सरस्वती वंदना सुनयना सोहनी ने की। स्वागत भाषण डॉ लता जोशी, मुंबई ने दिया।



कार्यक्रम में डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, डॉ लता जोशी, श्री अनिल ओझा, इंदौर, श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई, डॉ वीरेंद्र मिश्रा, इंदौर, अशोक भागवत, डॉ शैल चंद्रा, राम शर्मा, डॉ रश्मि चौबे,  डॉक्टर मुक्ता कौशिक, डॉ श्वेता पंड्या  आदि सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।


संचालन श्रीमती रागिनी शर्मा ने किया। अंत में आभार श्री अनिल ओझा, इंदौर ने प्रकट किया।



Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं