Skip to main content

सामाजिक बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं जनसंचार माध्यम - प्रो. शर्मा, पत्रकार सम्मान समारोह एवं जनसंचार माध्यम और सामाजिक सरोकार पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

सामाजिक बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं जनसंचार माध्यम - प्रो. शर्मा  


पत्रकार सम्मान समारोह एवं जनसंचार माध्यम और सामाजिक सरोकार पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न



राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना और मंत्रणा साहित्यिक संस्था, नागदा द्वारा जनसंचार माध्यम और सामाजिक सरोकार पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। आयोजन के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री जी डी अग्रवाल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंत्रणा साहित्यिक संस्था, नागदा के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र कांठेड़ ने की। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश रघुवंशी, श्री कैलाश सनोलिया, साहित्यकार श्री वीरेंद्र मिश्र एवं डॉक्टर प्रभु चौधरी थे।



संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए लेखक एवं संस्कृतिविद् प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि अपनी पहुँच और विस्तार में जनसंचार माध्यमों ने आज अपनी खास जगह बना ली है। भारतीय पौराणिक और ऐतिहासिक संदर्भ इस बात की ओर स्पष्ट संकेत करते हैं कि देवर्षि नारद, लव - कुश और संजय से लेकर मध्यकालीन समाज तक संचार माध्यमों की बेहद कारगर भूमिका रही है। आधुनिक युग की खास पहचान को रेखांकित करने में समाचार पत्रों और रेडियो से लेकर इंटरनेट तक की स्पष्ट भूमिका देखी जा सकती है। वर्तमान में जनसंचार माध्यम सामाजिक बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए मीडिया को निरन्तर लोकोपकारी और सकारात्मक भूमिका निभाना होगी। आज जीवन के महत्त्वपूर्ण अंग के रूप में इनकी पैठ किसी से छुपी नहीं है। हमारी जातीय चेतना के अभ्युदय, आधुनिक विश्व के साथ हमकदमी, स्वतंत्रता प्राप्ति और राजनैतिक - सामाजिक चेतना के प्रसार में जनसंचार माध्यमों की अद्वितीय भूमिका रही है। जनसंचार के नए माध्यम, विशेष तौर पर नितनूतन आयामों के साथ गतिशील वेब मीडिया अपनी प्रविधि और प्रकृति में ही परम्परागत माध्यमों से भिन्न नहीं हैं, उसका चरित्र और पहुँच भी अलग है। इस वैशिष्ट्य के कारण हैं, उसका गैर वैयक्तिक और लोकतांत्रिक स्वरूप, जिनके रहते जीवन से जुड़े हर क्षेत्र में सामान्य जन की सक्रिय भागीदारी के मौके बढ़ रहे हैं। वर्तमान में जनसंचार माध्यमों के सामने अनेक चुनौतियां हैं, तो अवसर और संभावनाएं भी कम नहीं हैं।



विशिष्ट अतिथि श्री कैलाश सनोलिया, नागदा ने कहा कि पत्रकारिता के लिए यह संक्रमण काल चल रहा है। पत्रकारों के लिए यह सम्मान गहरे दायित्व बोध से जोड़ता है। पत्रकारों द्वारा कही गई बात पर समाज विश्वास करता है। इसलिए इस कर्म को गहरे दायित्व बोध के साथ लें।


मुख्य अतिथि श्री जी डी अग्रवाल ने सूर्य और चन्द्र पर केंद्रित कविताएं सुनाईं।



कार्यक्रम की संकल्पना एवं अतिथि परिचय डॉ प्रभु चौधरी ने दिया।


इस अवसर पर नागदा, महिदपुर, इंदौर एवं अन्य क्षेत्रों के पत्रकारों और मीडियाकर्मियों का सम्मान अतिथियों द्वारा किया गया। आयोजन में सम्मानित होने वाले पत्रकारों में श्री कैलाश सनोलिया, श्री आशीष दुबे, श्री राजेश रघुवंशी, सलीम खान, विनय मिश्रा, इंदौर, रवींद्र सिंह रघुवंशी, अशोक दाहिमा, दीपक चौहान, पवन जाट, दिनेश सोलंकी, महेंद्र जोशी, नीलेश रघुवंशी, रशीद खान, अतुल उपाध्याय, अविनाश उपाध्याय आदि शामिल थे।


प्रारंभ में संस्था का परिचय श्री अनिल ओझा, इंदौर ने दिया। महासचिव डॉ प्रभु चौधरी ने कवि श्री अशोक गौर को नियुक्ति पत्र अर्पित कर राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के नागदा इकाई के अध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा।


इस अवसर पर आयोजित काव्य गोष्ठी में कवियों ने सरस कविताओं का पाठ किया। काव्य पाठ करने वाले कवियों में अनिल ओझा, इंदौर, अशोक गौर, मदन मस्ताना, सुंदरलाल उपाध्याय, लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी, बी एस गुर्जर, सुनील रांका आदि प्रमुख थे।



आयोजन में अनेक साहित्यकार, पत्रकार एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।


संचालन श्री सुंदर लाल जोशी सूरज, नागदा ने किया। आभार प्रदर्शन श्री हरचरण चावला ने किया।



Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं