मातृ शक्ति का सम्मान भारतीय संस्कृति की विशेषता है – डॉ पाल, नवरात्रि पर्व पर हुआ अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन
मातृ शक्ति का सम्मान भारतीय संस्कृति की विशेषता है – डॉ पाल
नवरात्रि पर्व पर हुआ अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के रचनाकारों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल एवं सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार एवं अनुवादक सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक ओस्लो, नॉर्वे, डॉक्टर जी डी अग्रवाल एवं संस्था के महासचिव डॉ प्रभु चौधरी ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शिक्षाविद श्रीमती सुवर्णा जाधव मुंबई ने की।
डॉक्टर हरिसिंह पाल ने कहा कि भारत की विराट सांस्कृतिक परम्परा में नारी रूप में मातृशक्ति की उपासना की जाती है। मातृशक्ति के प्रति अगाध श्रद्धा और सम्मान का भाव भारतीय संस्कृति की विशेषता है।
लेखक एवं संस्कृतिविद् प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि नए दौर में नारी सशक्तीकरण के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। इनके पार्श्व में सुदूर अतीत से चली आ रही शक्ति उपासना की परंपरा पर व्यापक विचार विमर्श के साथ उसे अंगीकार करने की आवश्यकता है। भारत के विभिन्न भागों में शाक्त पीठ और उपासना के केंद्र हैं। ये सदियों से लोक आराधना के साथ सृष्टि के जन्म, संवर्धन और संरक्षण के केंद्र बिंदु के रूप में मातृशक्ति की महिमा की ओर संकेत करते हैं।
विशिष्ट अतिथि प्रवासी साहित्यकार श्री सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे ने अपने गीत के माध्यम से रस वर्षा की। डॉक्टर जी डी अग्रवाल ने अपनी कविता के माध्यम से मातृ शक्ति की वंदना प्रस्तुत की।
कवि सम्मेलन में डॉ भरत शेणकर, पूर्णिमा कौशिक, जय भारती चंद्राकर, श्री अशोक सिंह, मुंबई, डॉ लता जोशी, मुंबई, डॉ रश्मि चौबे, डॉक्टर ममता झा आदि ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। डॉ राकेश छोकर और डॉ हनुमंत जगताप ने अपने विचार व्यक्त किए।
डॉ पूर्णिमा कौशिक रायपुर की काव्य पंक्तियां थी, तुम्हारा स्वागत है मां , तुम्हारा स्वागत है.. सिंह की सवार बनकर
रंगों की फुहार बनकर, पुष्पों की बहार बनकर। सुहागनों का श्रृंगार बनकर, तुम्हारा स्वागत है मां, तुम्हारा स्वागत है।
प्रवीण बाला, पटियाला ने अपने गीत के माध्यम से आवाहन किया, उठो नारी शक्ति रूप तुम्हीं हो नहीं भूलो। दृढ़ता से आगे बढ़ो परिचय यूं अपना दो। दानवों की सेना आज तुम पर टूट पड़ी है। दे दो मात इन्हें आज युद्ध में मात खड़ी है।
डॉक्टर शैल चंद्रा रायपुर में अपनी कविता के माध्यम से कहा, बेटियां होती हैं गंगा का पावन धार। हे मानव तू इन्हें कोख में न मार। होती हैं बेटियां सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा की अवतार। बेटियां बिन शून्य है यह संसार। बेटियां हैं जीवन का सार। मुझे हर जन्म में बेटी है स्वीकार।
डॉ सीमा निगम रायपुर में मां की शक्ति कविता का पाठ किया। उनकी पंक्तियां थी, मां के अनेकों रूप की दुनिया करती पूजा, मां तेरी शक्ति की बराबरी कोई नहीं है दूजा। माँ, कभी दुर्गा कभी चंडी कभी काली। रूप धर करती सबकी हरदम रखवाली।
स्वेता गुप्ता "स्वेतांबरी" कोलकाता ने महिषासुरमर्दिनी कविता का पाठ किया।
डॉ रश्मि चौबे की काव्य पंक्तियां थीं, जब - जब बिपदा आई, तू दुर्गा बनकर आई।
कवि सम्मेलन में राष्ट्रीय शिक्षक संघ चेतना के संरक्षक एवं विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉक्टर शैलेंद्र कुमार शर्मा के जन्मदिवस पर अनेक कवियों एवं साहित्यकारों ने उन्हें बधाई देते हुए शुभकामनाएं अर्पित की। डॉक्टर रोहिणी डाबरे ने डॉ शैलेंद्रकुमार शर्मा के विविध आयामी अवदान पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री प्रस्तुत की।
शिक्षाविद डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख पुणे ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम की रूपरेखा संस्था के महासचिव डॉक्टर प्रभु चौधरी ने प्रस्तुत की।
प्रारंभ में सरस्वती वंदना ज्योति तिवारी में की।
कार्यक्रम में डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, डॉ आशीष नायक, जया संजय शर्मा, समीर सैयद, सुनीता चौहान, डॉ वीरेंद्र मिश्रा, इंदौर, श्रीमती लता जोशी, मुंबई डॉ शैल चंद्रा, डॉ रश्मि चौबे, डॉक्टर मुक्ता कौशिक, डॉ श्वेता पंड्या, प्रियंका परस्ते, सपना अरोरा आदि सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का संचालन डॉ रोहिणी डाबरे, अहमदनगर ने किया। आभार प्रदर्शन संस्था के कोषाध्यक्ष श्री अनिल ओझा, इंदौर ने किया।
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