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मानव सभ्यता और संस्कृति के लिए महात्मा गाँधी के योगदान अविस्मरणीय

मानव सभ्यता और संस्कृति के लिए महात्मा गाँधी के योगदान अविस्मरणीय 


गांधी चिंतन के विविध आयाम पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न



गाँधीजी का परिवर्तन का तरीका अहिंसात्मक सत्याग्रह रहा है। विश्व के बापू और भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्दौर शहर में मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि के समारोह में उपस्थित हुए थे। गाँधीगिरी के माध्यम से किसी भी काम को मनवाने में गाँधीजी आज भी प्रेरणा बने हुए है। महात्मा गाँघी के द्वारा राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं देवनागरी लिपि के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।



यह सारगर्भित उद्बोधन राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के 151 वें जयन्ती समारोह में विशिष्ट वक्ता श्री हरेराम वाजपेयी (अध्यक्ष हिन्दी परिवार, इन्दौर) ने राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में संबोधित करते हुए व्यक्त किये।



 विशिष्ट अतिथि डॉ. शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख (राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पुणे) ने अपने वक्तव्य में कहा कि महात्मा गाँधी हिन्दी और खादी के प्रबल समर्थक रहे। वे सच्चे समाज सुधारक एवं राष्ट्रभक्त थे।



मुख्य अतिथि श्रीमती आर्यामा सान्याल (निदेशक, विमानपत्तन प्राधिकरण, इन्दौर) ने कहा कि गाँधीजी ने कहा मेरा जीवन मेरा संदेश। उपवास, अहिंसा समर्थन, ऐसे गांधी को नमन। जो सूर्य की भांति अपनी रोशनी से पूरे जग को जगमगा रहे है। इसी तरह अहिंसा के प्रबल समर्थक शास्त्रीजी ने जय जवान - जय किसान का जो नारा दिया था, जो देश को जोड़ता है। गजब के आत्मबल के धनी शास्त्री जी को प्रणाम।



प्रमुख अतिथि पोलैंड के डॉ. सुधांशु शुक्ला ने कहा कि गाँधी कल भी, आज भी और भविष्य में भी प्रासंगिक रहेंगे। सम्पूर्ण विश्व में गांधीजी का सम्मान है। जिन्होंने भगवद्गीता एवं रामचरितमानस का स्वाध्याय करके संसार को सत्य के मार्ग पर चलने का आह्वान किया।



मुख्य वक्ता एवं विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि मानवीय सभ्यता और संस्कृति के व्यापक बदलाव के लिए महात्मा गांधी का योगदान अविस्मरणीय है। गांधीजी का आदर्श हमाने जीवन में आमुलचूल परिवर्तन कर सकता है। हमारा जीवन सरल, सादगीपूर्ण, अहिंसक एवं सभी सुखी हों, तभी हम प्रगति कर सकते है। गांधी जी ने इस बात पर बल दिया कि वास्तविक सभ्यता अपने कर्तव्यों के पालन और नैतिक एवं संयमित आचरण पर ही टिक सकती है। दशकों पहले उन्होंने हिंद स्वराज के माध्यम से नई सभ्यता की आंखें खोल देने वाला घोषणा पत्र लिख दिया था, जो आज अधिक प्रासंगिक हो गया है।


जापान की विदुषी डॉ. रमा शर्मा ने गांधीजी के विचारों की कवितामयी प्रस्तुति दी।


समारोह की अध्यक्षता करते हुए श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने बताया कि सत्य का आचरण ही मानव से महामानव बना जा सकता है। गांधीजी के विचारों से प्रेरित होकर विदेशो में भी स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये अहिंसात्मक आंदोलन हुए। गांधीजी का जीवन सकारात्मक रहा है।


समारोह के संस्था के महासचिव एवं संयोजक डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा कि गांधीजी ने रामराज्य की अवधारणा पर बल दिया, जिससे समाज के अंतिम पंक्ति का व्यक्ति भी सुखी हो। मानवीय मूल्यों को समर्पित जीवन के साथ गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में सत्य को सर्वोपरि बताया है।


वेब संगोष्ठी में डॉ. शम्भू पंवार झुंझुनु, डॉ. भरत शेणकर, अहमदनगर, डॉ. मुक्ता कौशिक रायपुर, डॉ. जी. डी. अग्रवाल इन्दौर, श्वेता गुप्ता, कलकत्ता एवं श्रीमती लता जोशी, मुम्बई ने भी अपने विचार व्यक्त किये।


इस अवसर पर श्री अनिल ओझा, डॉ. आशीष नायक, निक्की शर्मा, आभा श्रीवास्तव, डॉ. शिवा लोहारिया, डॉ. जय भारती चन्द्राकर, ममता झा, मनीषा सिंह, निरूपा उपाध्याय, डॉ. बालासाहेब, डॉ. समीर सैय्यद उपस्थित रहे। डॉ. रोहिणी डावरे ने सुमधुर महात्मा गांधी एवं हिन्दी के संदर्भ में गीत प्रस्तुत किया।


कवितामय संचालन राष्ट्रीय उपमहासचिव रागिनी शर्मा एवं आभार संयोजक डॉ. प्रभु चौधरी ने माना।


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