दुनिया को महात्मा गांधी की वैज्ञानिक दृष्टि की जरूरत है - कुलपति प्रो पांडेय
विक्रम विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी के 151 वें जयंती वर्ष के शुभारंभ पर गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और विशिष्ट व्याख्यान संपन्न
कलापथक दल द्वारा की गई गांधी जी के प्रिय भजनों और नशामुक्ति गीत की प्रस्तुति
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151 वीं जयंती के अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा दिनांक 2 अक्टूबर 2020, शुक्रवार को प्रातः काल महाराजा जीवाजीराव पुस्तकालय, विक्रम विश्वविद्यालय में गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गांधी जी के प्रिय भजनों की प्रस्तुति कलापथक दल द्वारा की गई। कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय 'महात्मा गांधी : पर्यावरण चिंतन के परिप्रेक्ष्य में' पर विशिष्ट व्याख्यान दिया।
विशिष्ट व्याख्यान देते हुए कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडे ने कहा कि महात्मा गांधी की दृष्टि वैज्ञानिक थी। वर्तमान विश्व को उस दृष्टि के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। गांधीजी दूर द्रष्टा थे। उन्होंने समावेशी विकास को महत्व दिया। वर्तमान में गांधीजी के सिद्धांतों से दूर होने के कारण कई प्रकार की बीमारियां बढ़ रही हैं। गांधी जी ने प्रकृति और संस्कृति के बीच समन्वय पर बल दिया। उन्होंने प्रकृति के संरक्षण और सामाजिक व्यवस्था को साथ लेकर चलने की बात की थी। गांधीजी चाहते थे कि मशीनें मनुष्य के हाथों को ना काटें। दुनिया ने अत्यधिक मशीनीकरण और औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दिया, जिससे कई लोग बेरोजगार हो गए। गांधीजी ने वैज्ञानिक प्रगति के साथ गाँव, कृषि और प्रकृति के संरक्षण को महत्त्वपूर्ण माना। उन्होंने ग्राम स्वराज की बात की। विक्रम विश्वविद्यालय महात्मा गांधी के 151 वें जयंती वर्ष पर परिसर में कार्य संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ श्रम के सम्मान, पर्यावरण, स्वच्छता, मूल्य आधारित शिक्षा, नशा मुक्ति और महिला सशक्तीकरण पर विशेष कार्य योजना बनाकर उन्हें क्रियान्वित करेगा।
प्रभारी कुलसचिव डॉ डी के बग्गा ने कहा कि महात्मा गांधी ने अहिंसा और अध्यात्म की शक्ति के सहारे से ब्रिटिश उपनिवेशवाद का मुकाबला किया। उन्होंने त्याग में जीवन और आंतरिक शक्ति का प्रयोग आजीवन किया। मूल्यों और संस्कृति के बल पर उन्होंने इस देश को एकता के सूत्र में बांधा।
प्रास्ताविक वक्तव्य देते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं गांधी अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी का दृष्टिकोण अक्षय और सतत विकास पर केंद्रित है। उनकी दृष्टि में वर्तमान सभ्यता अंतहीन इच्छाओं और शैतानी दृष्टिकोण पर टिकी है। इसे बदलने के लिए हमें अहिंसा, सरल और सादगीपूर्ण जीवन को अपनाना होगा। वे प्रकृति की अर्थव्यवस्था को केंद्र में रखते हैं। उनका पर्यावरणवाद ठोस भारतीय जमीन पर खड़ा है। गांधीजी ने जीवन के तीन मूल आधारों की बात की - शुद्ध वायु शुद्ध जल और पर्याप्त खाद्यान्न। इनके लिए जरूरी है कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए संयमित आचरण को अंगीकार करें।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय में भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, नई दिल्ली के नशा मुक्त भारत अभियान और मद्य निषेध सप्ताह का शुभारंभ कुलपति प्रो पांडेय द्वारा किया गया। कुलपति प्रोफेसर पांडेय ने उपस्थित जनों को नशा मुक्ति की शपथ दिलाई।
कार्यक्रम में कलापथक दल के प्रमुख कलाकार श्री शैलेंद्र भट्ट और साथी कलाकारों श्री सुरेश कुमार, श्री नरेंद्र सिंह कुशवाह, श्री अनिल धवन, सुश्री अर्चना मिश्रा, श्री राजेश जूनवाल, श्री आनंद मिश्रा आदि ने गांधी जी के प्रिय भजनों और नशामुक्ति गीत की प्रस्तुति की। श्री सुरेश कुमार ने नशा मुक्ति पर ग़ज़ल अमृत समझकर यारों क्यों जहर पी रहे हो की प्रस्तुति की।
इस अवसर पर जागृति नशा मुक्ति केंद्र, सामाजिक न्याय विभाग उज्जैन के संयोजन में नशामुक्ति प्रचार प्रदर्शनी संयोजित की जाएगी। प्रदर्शनी का अवलोकन कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडे, पूर्व कुलपति प्रोफेसर बालकृष्ण शर्मा, पूर्व कुलपति प्रोफेसर आर सी वर्मा, प्रभारी कुलसचिव डॉ डीके बग्गा, आदि सहित उपस्थित शिक्षकों, अधिकारियों, शोधकर्ताओं एवं प्रबुद्धजनों ने किया। प्रदर्शनी का संयोजन श्री विनोद कुमार दवे, श्री विजय रघुवंशी, श्री राजेश ठाकुर एवं श्री देवीलाल मालवीय ने किया।
प्रारंभ में स्वागत प्रभारी कुलसचिव डॉ डी के बग्गा, कार्यपरिषद सदस्य प्रो. शुभा जैन, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, राष्ट्रीय सेवा योजना समन्वयक डॉ प्रशांत पुराणिक, प्रोफेसर प्रेमलता चुटैल, प्रोफेसर प्रवीण गुप्ता, प्रोफेसर के एन सिंह, प्रोफेसर डीएम कुमावत, प्रोफेसर वी एच बादशाह, प्रोफेसर अलका व्यास, डॉक्टर ज्योति उपाध्याय, डॉ सोनल सिंह, डॉ एस के मिश्रा, डॉक्टर डी डी बेदिया, डॉक्टर निश्छल यादव, डॉ राज बोरिया, डॉ वीरेंद्र चावरे, श्री जसवंत आंजना आदि सहित उपस्थित जनों ने किया।
प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि, कार्यक्रम का संचालन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ डी डी बेदिया ने किया।
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