अब तक 75 : श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ का लोकार्पण | हास्य - व्यंग्य जीवन के अनिवार्य तत्व - कुलपति प्रो पांडेय | कोरोना काल पर दुनिया का पहला व्यंग्य संग्रह है अब तक 75 - प्रो शर्मा
अब तक 75 : श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ का लोकार्पण
हास्य - व्यंग्य जीवन के अनिवार्य तत्व - कुलपति प्रो पांडेय
अब तक 75 : कोरोना काल पर दुनिया का प्रथम व्यंग्य संग्रह - प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा
मध्यप्रदेश लेखक संघ के तत्वावधान में इंडिया नेट बुक्स, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित देश के व्यंग्यकारों का व्यंग्य संग्रह 'अब तक 75' का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। व्यंग्य संकलन का सम्पादन लालित्य ललित ( नई दिल्ली) Lalitya Lalit और हरीशकुमार सिंह (उज्जैन) Harish Kumar Singh ने किया है।
मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डा अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि त्रासदी काल में इस व्यंग्य संकलन का प्रकाशन उल्लेखनीय घटना है। हास्य और व्यंग्य जीवन के अनिवार्य तत्व हैं। वर्तमान में मानसिक अवसाद के प्रकरण सामने आ रहे हैं और ऐसे में आनन्द सूचकांक नीचे आ रहा है। नई शिक्षा नीति में भी आनन्द सूचकांक महत्वपूर्ण विषय है। व्यंग्य में यह जरूरी है कि व्यंग्यकार अपनी बात कह भी दे और किसी को बुरा भी न लगे।
सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि अब तक 75 के जरिए व्यंग्य की एक मुकम्मल तस्वीर सामने आई है। कोरोना काल की यह विश्व की किसी भी भाषा में प्रकाशित व्यंग्य विधा में यह पहली कृति है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। व्यंग्य विधा का उज्जैन में स्वर्णिम इतिहास रहा है और अनादि काल से व्यंग्य की समृद्ध परम्परा रही है। पद्मभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास, शरद जोशी और डॉ शिव शर्मा से लेकर अब तक व्यंग्य की गतिशीलता बनी रही है। यह संकलन शिव जी को सही समर्पितं किया गया है, क्योंकि शिव जी की रचनाएं मालवा का मैला आँचल हैं। संग्रह की अधिकांश रचनाएँ कोरोना - कोविड 19 की विभीषिका से उपजी होकर समकालीनता का बोध कराती हैं।
अध्यक्षीय उद्धबोधन में प्रो. हरिमोहन बुधौलिया ने कहा कि व्यंग्य लेखन एक साधना है और उज्जैन के शिव शर्मा जी देश के प्रमुख व्यंग्यकार रहे और यह संकलन , शिव जी को समर्पित कर मालवा की व्यंग्य परम्परा का सम्मान है।
विशेष अतिथि श्री लालित्य ललित ने कहा कि अब तक 75 कि रचनाओं में विषय का वैविध्य है और देश भर के प्रख्यात व्यंग्यकारों को इसमें सम्मिलित हैं। मालवा की भूमि देव भूमि के साथ व्यंग्यकारोँ, साहित्यकारों की भूमि भी है और उज्जैन ने हमें पुस्तक मेले के जरिये साठ लेखक दिए।
स्वागत भाषण देते हुए सचिव श्री देवेंद्र जोशी ने कहा कि इस संकलन के जरिये संपादक द्वय ने देश के व्यंग्यकारोँ को जोड़ने का कार्य किया है। उज्जैन व्यंग्य की धरा रही है और उसी परम्परा को आगे यह संकलन बढ़ाता है। यह संकलन प्रख्यात व्यंग्यकार डॉ शिव शर्मा को समर्पित है।
व्यंग्यकार रणविजय राव ने कहा कि लॉकडाउन के समय में यह संकलन लेखकीय रचनात्मकता का एक श्रेष्ठ उदाहरण है।
सरस्वती वंदना सीमा जोशी ने प्रस्तुत की। अतिथियों ने दीप अलोकन कर लोकार्पण प्रसंग का शुभारंभ किया।
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