उज्जैन, मंगलवार, 04 अगस्त, 2020 । पूर्व मंत्री मध्यप्रदेश शासन व वर्तमान में उज्जैन उत्तर के विधायक श्री पारस चन्द्र जैन ने आज 4 अगस्त-2020 को मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है। आपने पत्र में लिखा है कि, केंद्र सरकार द्वारा जारी मंडी अधिनियम एक्ट 5 जून को प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में बगैर दिशा निर्देश एवं अधिनियम के बदलाव के लागू कर दिया है। एक्ट में अनेक विसंगतियां होने से मंडी का कारोबार प्रभावित होने लगा हैं, मंडी संचालन में परेशानियाँ आने लगी हैं, बेनामी व्यापार को बढ़ावा मिलने लगा हैं, एक्ट के अनुसार मंडी परिसर के बाहर कृषि उपज के कारोबार को मंडी अधिनियम के दायरे के बाहर कर दिया गया हैं । मंडी शुल्क भी हटा दिया गया हैं । वहीं मंडी परिसर में मंडी नीलामी द्वारा किसानों की उपज को खरीदी बिक्री पर अधिनियम के साथ मंडी शुल्क भी लागू हैं , इस दोहरी निति के चलते प्रदेश की मंडिया उजड़ जायेगी, मंडी राजस्व में भी तेजी से गिरावट आने लगेगी, प्रदेश की मंडियों में सरकार एवं कारोबारियों के करोडो के लागत के इन्फ्रास्टक्चर स्थापित हैं जो बेकार हो जायेंगे, किसानों को भी कृषि उपज को बेचने में दुविधा की स्थिति पैदा हो जायेगी। निम्न बिन्दुओं पर विचार कर माडल एक्ट को लागू करवाने का कष्ट करें ताकि मंडियों का अस्तित्व भी बचा रहें एवं कारोबार भी समाप्त न हों।
1. केंद्र सरकार के माडल एक्ट के तहत मंडी प्रांगण में कृषि उपज कारोबार को भी मंडी शुल्क एवं अनुज्ञापत्र से मुक्त किया जाये ताकि मंडियों के इंस्पेक्टर राज पर लगाम लग सकें। एक्ट लागू होने के बाद सरकार ने राज्य सीमाओं पर स्थित जांच चोकियों को हटा दिया हैं तथा बाहर की विपणन व्यवस्था को अधिनियम से मुक्त कर दिया हैं। ऐसे में अनुज्ञापत्र जारी करने का कोई औचित्य नहीं रहता हैं।
2. मंडियों के संचालन एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर के रख रखाव के लिए 0.50 फीसद सेवा शुल्क लागू किया जा सकता हैं।
3. माडल एक्ट के तहत किसानों की उपज का भुगतान ऑनलाइन में करने का प्रावधान हैं यही व्यवस्था मंडियों में भी लागू किया जाना चाहिए।
4. माडल एक्ट के तहत मंडी प्रांगण के बाहर कारोबार करने पर लाइसेंस की बाध्यता समाप्त कर दी हैं । निवेदन हैं कि, मंडी को भी लाइसेंस राज से मुक्त किया जाये, लाइसेंस को आजीवन कर दिया जायें तथा लाइसेंस शुल्क में भी कमी की जायें।
5. मंडियों में कारोबारियों के लीज पर दिये गोडाउनों के नवीनीकरण में पंजीयन शुल्क कलेक्टर दर से कर दिया है। जबकि यह गोडाउन मालिकाना हक में ना होकर लीज पर दिये है। अत: इनका पंजीयन लीज की दर पर ही करवाने का आदेश जारी करें।
6. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, यदि मंडी परिसर के बाहर किसानों का माल बड़ी बड़ी कंपनियों के व्यापारियों के द्वारा खरीदा जावेगा तो किसानों के अनाज व आर्थिक सुरक्षा की ग्यारंटी कौन लेगा।
अत: आपसे निवेदन है कि, उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुये मध्यप्रदेश के हित में इन्हें लागू करने हेतु आदेश प्रदान करने का कष्ट करें।
उक्त जानकारी राधेश्याम चौऋषिया द्वारा दी गई।
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