उज्जैन। कुछ इसी तरह हम सबको मिलकर पुण्य धरा को पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से पवित्र बनाना होगा । ये सब सामाजिक सहभागिता से संभव होगा।इसी सहभागिता हेतु आज जन अभियान परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष एवं पर्यावरणविद श्री प्रदीप जी पांडे और महापौर श्रीमती मीना जी जोनवाल द्वारा सामाजिक संगठन उमंग श्री महिला मंडल समिति की अध्यक्ष उमंग पाल, सदस्य कीर्ति गौड़,प्रिया बघेल,बरखा कंडारिया, पूर्वा,मधू, नीतिन बाथम को पौधे वितरित किये गए। इस दौरान राष्ट्र सेविका समिति की सह जिला कार्यवाहिका श्रीमति दीपा जी पांडे और ब्लॉक समन्वयक वीरेंद्र सिंह ठाकुर उपस्थित रहे।
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...
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