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श्रावण के तीसरे सोमवार पर भगवान मनमहेश पालकी में एवं चंद्रमौलेश्वर हाथी पर सवार होकर अपने भक्‍तों के साथ भ्रमण पर निकले


उज्‍जैन 20 जुलाई। श्रावण के तीसरे सोमवार पर भगवान महाकालेश्‍वर पालकी में मनमहेश रूप में तथा हाथी पर चंद्रमौलेश्वर के स्‍वरूप में भ्रमण पर निकले। सवारी के निकलने के पूर्व सभामंडप में पूजन-अर्चन शासकीय पुजारी पं.घनश्‍याम शर्मा द्वारा संपन्‍न कराया गया। सर्वप्रथम भगवान श्री महाकालेश्‍वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया। इसके पश्‍चात भगवान की आरती की गई। पूजन में कलेक्टर श्री आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री मनोज सिंह शामिल हुए। इस अवसर पर महन्त विनीत गिरीजी महाराज, प्रशासक श्री एसएस रावत मौजूद थे। पूजन के पश्चात कंधा देकर कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने पालकी को आगे बढ़ाया। भगवान महाकालेश्वर की सवारी कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर परिवर्तित मार्ग से निकाली गई। महाकालेश्वर मन्दिर से सवारी हरसिद्धि मन्दिर के सामने से होकर नृसिंह घाट पर झालरिया मठ होते हुए रामघाट पहुंची।




रामघाट पर भगवान महाकालेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया, जनप्रतिनिधि हुए शामिल


भगवान महाकालेश्वर की श्रावण मास की तीसरी सवारी कोरोना संक्रमण के कारण परिवर्तित मार्ग से रामघाट पहुंची। रामघाट पर पहुंचने के पश्चात भगवान महाकालेश्वर का मां शिप्रा के पवित्र जल से विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद भगवान का विधि-विधान से पूजन व आरती की गई। इस दौरान महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, विधायक श्री महेश परमार, श्री मुरली मोरवाल, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री करण कुमारिया एवं अन्य गणमान्य नागरिक भी मौजूद थे।



भगवान महाकाल का पूजन पुजारी पं.आशीष गुरू द्वारा सम्पन्न कराया गया। इस दौरान घाट के दूसरी तरफ दत्त अखाड़े की ओर से भी भगवान का पूजन-अर्चन किया गया। रामघाट पर पूजन में पं.राजेश त्रिवेदी, पं.संजय जोशी, पं.विजय जोशी, पं.राहुल जोशी, पं.लोटा गुरू एवं अन्य आचार्य मौजूद थे। व्यवस्था के सुचारू रूप से संचालन के लिये पूरा प्रशासनिक अमला मौजूद था। इस दौरान नगर निगम आयुक्त श्री क्षितिज सिंघल एवं अन्य अधिकारी मौजूद थे।


भगवान महाकालेश्वर के पूजन के पश्चात आरती की गई। पुलिस बैण्ड द्वारा “ओम जय शिव ओंकारा” के धुन बजाई गई। आरती के पश्चात भगवान महाकालेश्वर की सवारी परिवर्तित मार्ग से होती हुई हरसिद्धि मन्दिर मार्ग पहुंची। हरसिद्धि मन्दिर आगमन पर मन्दिर के पुजारियों द्वारा भगवान महाकालेश्वर की आरती की गई। यहां से भगवान महाकाल की सवारी पुन: महाकालेश्वर मन्दिर पहुंची।



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