Skip to main content

साहित्य और संस्कृतिकर्म के माध्यम से मजबूत हो राष्ट्रीय भावात्मक एकता -  प्रो. शर्मा 

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में लिए गए अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय



उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की राष्ट्रीय कार्यसमिति की ऑनलाइन वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था के संस्थापक - संरक्षक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर के मार्गदर्शन और संस्थाध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के पदाधिकारियों और प्रतिभागियों ने भाग लिया। 



कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भारतवर्ष वैचारिक और जीवनशैली से जुड़े अंतर के बावजूद हजारों वर्षों से परस्पर प्रेम और बन्धुत्व की भूमि रहा है। वर्तमान दौर में भाषा, साहित्य और संस्कृतिकर्म के माध्यम से भारत की राष्ट्रीय भावात्मक एकता और सद्भाव को मजबूती देने की आवश्यकता है। इस कार्य में विभिन्न भाषाओं के मध्य साहित्य एवं अन्य क्षेत्रों में पारस्परिक अनुवाद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। विश्व सभ्यता पर भारतीय संस्कृति ने गहरा प्रभाव छोड़ा है, इसे नए सिरे से पहचानने की जरुरत है।



शिक्षाविद् श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने कहा कि वर्तमान संकट के दौर में समाज में उत्साह, आशा और ऊर्जा जगाने की आवश्यकता है। साहित्यकारों, शिक्षकों और कलाकारों की संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना समाज में रचनात्मकता के प्रसार के लिए निरंतर प्रयास करती रहेगी।




 
प्रारंभ में  कार्यक्रम की संकल्पना संस्था के महासचिव  डॉ प्रभु चौधरी ने प्रस्तुत की।  उन्होंने कहा कि  संस्था द्वारा  देश के  विभिन्न राज्यों में शीघ्र ही प्रांतीय कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा और स्थान स्थान पर साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रम को श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर, मोहनलाल वर्मा, जयपुर, राकेश छोकर, नई दिल्ली, अनिल ओझा, इंदौर, स्वर्णा जाधव, मुंबई, डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे,  शम्भू पँवार, जयपुर, डॉ कविता रायजादा, आगरा, तूलिका सेठ, गाजियाबाद, जी डी अग्रवाल, इंदौर आदि सम्बोधित किया। 



संचालन कवयित्री रागिनी शर्मा, इंदौर ने और आभार प्रदर्शन श्री राकेश छोकर, नई दिल्ली ने किया। सरस्वती वंदना पायल परदेशी, इंदौर ने की।


कार्यक्रम में श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुम्बई, श्री राकेश छोकर, नई दिल्ली, श्री मोहनलाल वर्मा, जयपुर, डॉ. उर्वशी उपाध्याय, प्रयाग, डॉ. शैल चन्द्रा, रायपुर, डॉ हेमलता साहू, अम्बिकापुर, डॉ. कविता रायजादा, आगरा, श्री जी.डी. अग्रवाल, इन्दौर, डॉ. दर्शनसिंह रावत उदयपुर, श्रीमती प्रभा बैरागी, उज्जैन, श्री सुन्दरलाल जोशी ‘सूरज‘ नागदा, श्रीमती रागिनी शर्मा, राऊ, डॉ. संगीता पाल, कच्छ,  डॉ. सरिता शुक्ला, लखनऊ, श्रीमती तुलिका सेठ, गाजियाबाद, श्रीमती दिव्या मेहरा, कोटा, श्रीमती तरुणा पुंडीर, दिल्ली, डॉ. शिवा लोहारिया, जयपुर, सुश्री खुशबुसिंह, रायपुर आदि सहित देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिभागी, साहित्यकार और शोधकर्ता उपस्थित रहे। 




Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar



Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं