केंद्र सरकार ने आज सरकारी कर्ज पर स्टेटस पेपर का नौवां संस्करण जारी किया, जिसमें भारत सरकार के कर्ज की समग्र स्थिति का विस्तृत विश्लेषण है। केंद्र सरकार 2010-11 से सरकारी कर्ज पर स्टेटस पेपर जारी करती आ रही है।
यह दस्तावेज पूरे साल के दौरान कर्ज संचालन का विस्तृत खाता उपलब्ध कराते हुए पारदर्शिता बढ़ाता है। इसमें वर्ष 2018-19 के दौरान केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे के वित्तीय संचालन का पूरा ब्यौरा शामिल होता है। सरकार के कर्ज की रूपरेखा (प्रोफाइल) एक दूरदर्शी जोखिम रूपरेखा से परिलक्षित होती है और सरकार अपने राजकोषीय घाटे के वित्त पोषण के लिए मुख्य तौर पर बाजार से जुड़ी उधारी राशियों का सहारा लेती है। इस दस्तावेज में कर्ज की निरंतरता के पारंपरिक संकेतकों कर्ज/जीडीपी अनुपात, राजस्व प्राप्ति पर ब्याज भुगतान, लघु अवधि के कर्ज के शेयरों/बाहरी कर्ज/कुल कर्ज में एफआरबी का समग्र तरीके से विश्लेषण किया जाता है। इस दस्तावेज में 2019-20 से 2021-22 वित्तीय वर्षों के लिए केंद्र सरकार की कर्ज प्रबंधन रणनीति भी होती है, जो सरकार की उधार लेने की योजना का मार्गदर्शन करती है।
यह स्टेटस पेपर वित्त मंत्रालय की वेबसाइट https://dea.gov.in/public-debt-management पर भी उपलब्ध है।
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