Skip to main content

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 3300 हितग्राहियों के खाते में एक क्लिक से जमा किए 72 करोड़ 66 लाख

संबल योजना गरीबों के कल्याण की योजना, हम सरकार परिवार की तरह चला रहे,
हर जरूरतमंद को मिलेगी अनुग्रह सहायता : मुख्यमंत्री श्री चौहान
 


भोपाल : मंगलवार, मई 26, 2020, 16:30 IST


मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मंत्रि-परिषद के सदस्यों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना के अंतर्गत 3300 हितग्राहियों को 72 करोड़ 66 लाख रुपए की अनुग्रह सहायता सिंगल क्लिक के माध्यम से प्रदान की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जो लोग कष्ट में हैं, संकट में हैं, उनकी सहायता के लिए यह अनुग्रह राशि प्रदान की जा रही है।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम सरकार परिवार की तरह चला रहे हैं। समाज के निर्धन वर्ग को जीवन की कठिन परिस्थितियों में 'संबल' का कवच उपलब्ध करवाया गया है। प्रदेश में वर्ष 2018 में प्रारंभ हुई इस योजना को अब प्रभावी रूप से अमल में लाया जा रहा है। योजना का क्रियान्वयन कर जन्म से लेकर असामयिक मृत्यु तक हितग्राहियों को विभिन्न तरह की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।


प्रदेश में इस वर्ष 5163 हितग्राहियों को कुल 114 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि श्रमिकों की मदद के लिए राज्य सरकार ने 'श्रम सिद्धि अभियान' में रोजगार उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया है। अन्य प्रदेशों के श्रमिकों को भी आर्थिक सहारा देने का प्रबंध किया गया है। श्रमिकों को मनरेगा में रोजगार देने, राशन देने के साथ ही संबल योजना में भी लाभान्वित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि औरंगाबाद में दुर्घटना का शिकार हुए श्रमिकों को तत्काल सहायता उपलब्ध करवाई गई। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि संबल योजना बनाने का उद्देश्य गरीबों और आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना है।


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गत वर्ष इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था जो सबसे पीछे है और सबसे नीचे है, उनके लिये राज्य सरकार ने संबल योजना प्रारंभ की थी। अब योजना का सभी पात्र हितग्राहियों को लाभ दिलवाया जाएगा।


हितग्राहियों से बातचीत -बालक को कहा, सर नहीं, तुम्हारा मामा हूँ


मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उन छह परिवारों से चर्चा की जिन्हें परिजन की मृत्यु पर दो-दो लाख रुपए की सहायता दी गई। मुख्यमंत्री ने मंदसौर के मल्हारगढ़ निवासी श्री कमलेश से चर्चा की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने परिवार के सदस्यों से कुशलक्षेम पूछी। उन्होंने धार जिले की श्रीमती जया व्यास तथा उनके बेटे आधार से भी चर्चा की। बातचीत प्रारंभ होते ही आधार ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को कहा - सर नमस्कार, तो मुख्यमंत्री चौहान ने कहा 'मैं सर थोड़ी न हूँ - मैं तो मामा हूँ'। पारिवारिक रूप से की गई बातचीत के क्रम में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैतूल जिले के प्रभात पट्टन की श्रीमती अनीता बाई से चर्चा कर बेटियों का हालचाल पूछा। श्रीमती अनीता ने बताया 8 जून से परीक्षाएं शुरू हो रही हैं जिसकी तैयारी उनकी बेटी कर रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा आप सभी परिवार का ध्यान रखना। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विदिशा जिले के ग्यारसपुर की श्रीमती चंद्रावती से बातचीत की। श्रीमती चंद्रावती की बेटी सोनम कक्षा 10 में पढ़ती है। सोनम ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को नमस्ते मामा कहकर संबोधित किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सोनम को अच्छी तरह पढ़ाई करने को कहा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने रतलाम के श्री प्रहलाद पाटीदार से भी चर्चा की। इस परिवार को भी परिजन की मृत्यु की राशि प्राप्त हुई है। सतना जिले के नागौद की श्रीमती कमला को संबल योजना में उन्हें सहायता राशि दी गई है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि परिवार को परेशानी नहीं होना चाहिए। श्रीमती कमला की दो बेटियां हैं जिनमें एक विवाहित है और एक कक्षा दसवीं में पढ़ती है। सभी परिवार मुख्यमंत्री श्री चौहान से हुई आत्मीय बातचीत में भावुक भी थे और उनकी आंखों में प्राप्त सहायता के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रति कृतज्ञता के भाव भी दिखाई दिए।


इस अवसर पर स्वास्थ्य और गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, कृषि मंत्री श्री कमल पटेल, खाद्य और सहकारिता मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसी सिलावट और आदिम जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस,प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री मनीष रस्तोगी,प्रमुख सचिव श्रम डॉ राजेश राजौरा उपस्थित थे।


Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...