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कुँवर उदयसिंह अनुज की सरस निमाड़ी कविता - आवजो निमाड़ म s

आवजो निमाड़ मs - निमाड़ी गीत

इस गीत में निमाड जनपद के प्रसिद्ध स्थानों,सन्त कवियों परम्पराओं व व्यंजनों का वर्णन है।
आवजो निमाड़ मs--गीत

देस  यो  बसेल  छे  लीमड़ा की आड़  मs।
माळव्या   काकाजी  आवजो  निमाड़ मs।

काकाजी  अपणी   छे   हरी - भरी   वाड़ी।
वाड़ी  मs  जाणई   छे     छकड़ा    गाड़ी।
वाट   तमरी  देखी रई  वड़दा वाळी लाड़ी।
थकी  गया  भाईजी  न  थकी  गई   माड़ी।
आई गई  मिठास अवं वाड़ी  का वाड़ मs।
माळव्या  काकाजी  आवजो  निमाड़  मs।

ज्वार   को   खीचड़ो   काकाजी   राँधाँगा।
बाटी   को   चुरमा  सी   पल्लव   बाँधाँगा।
खीर   की   भजा   सी   कराँगा   वरावणी।
चरका  मीठा  ताया  की  पक्की  पेरावणी।
मही -घाट   भूल्यो  रे हऊँ  जाफा लाड़ मs।
माळव्या   काकाजी    आवजो निमाड़ मs।

गणगौर      पूजाँगा      रथ       बौडावाँगा।
काकीजी  का   संगात  झालरियो  गावाँगा।
ख़ावाँगा    रोटा    अमाड़ी     की     भाजी।
काकी   कs   लावजो     करी   नs   राजी।
धाणी    सेकाडाँगा  सोमई   की  भाड़  मs।
माळव्या    काकाजी  आवजो  निमाड़  मs।

मईसर  का  घाट   पs  कूदी  नs  न्हावाँगा।
बाबा  की   मजार   पs   चादर   चढावाँगा।
अहिल्या   की    गादी  पs  टेकाँगा.  माथो।
रजवाड़ा    मs   छे    उनको   बड़ो   गातो।
किलो   नs   मन्दिर  छे    रेवा  कराड़  मs।
माळव्या   काकाजी   आवजो  निमाड़  मs।

रिषभ  देव  देखण  कs  बड़वाणी  जावाँगा।
खजूरी    सिंगा    का   पगल्या    वधावाँगा।
अंजड़   की   बयड़ी  पs देवी  को धाम  छे।
ऊन   का   मंदिर  नs   को   घणो  नाम  छे।
छिरवेल   महादेवजी    बठ्या   पहाड़   मs।
माळव्या    काकाजी    आवजो निमाड़ मs।

नाँगलवाड़ी   मs    नागराज      खास    छे।
खरगुण    मs   बाकीमाता   को   वास   छे।
नवग्रह     की     नगरी    मऽ     उजास  छे।
डोला  वाळा   सिव  का  हात   मऽ  रास छे।
घाम   घणो  तेज पड़s जेठ नs असाढ़ मs।
माळव्या  काकाजी   आवजो  निमाड़   मs।

ठीकरी  मs आवs  खाण्डेराव  की  सवारी।
गाड़ा    ऊ   खईचs    घणा    भारी - भारी।
खण्डवा  मs  धूणीवाळा   बाबा   अवतारी।
सिवा  बाबा   की   घणी  महिमा  छे  न्यारी।
औंकार  तारजो  हऊँ   पड्यो   खाड़    मs।
माळव्या    काकाजी   आवजो  निमाड़ मs।

महम्दपुर      मऽ      बड़ा      हनुमान    छे।
पानवा - सगूर   मऽ   न्हावण  को  मान  छे।
जयंती  माता    बड़वाय   की    स्याण   छे।
बाबा    बोंदरू   नागझिरी    ठिकाण     छे।
गुतई    गयाज  तम    किनी   गुंताड़    मऽ।
माळ्व्या  काकाजी  आवजो  निमाड़   मऽ।

मल्लेसर   नगरी     देखी    जाओ    राणा।
गणेसजी   रामजी   का    मंदिर     पुराणा।
गंगा    झीरा    को    चाखी   जाओ  पाणी।
आजादी    युग   की    जेल    छे    पुराणी।
घर की  फिकर अवं  जाणऽ  देओ भाड़ मऽ।
माळ्व्या   काकाजी   आवजो निमाड़ मऽ।

भावसिंग  बाबा  को   गाँव    छे    दवाणा।
इनकी     महिमा      कऽ      बी   बखाणा।
नागेसर    बाबा     सी    धरगाँव     जाणा।
निमाड़ी    लोग     मेहनती    नऽ   स्याणा।
देव आवऽ लोग नऽ कऽ गाँव-गाँव हाड़ मऽ।
माळव्या   काकाजी   आवजो निमाड़ मऽ।

मनरंगगिर    गुरु    ब्रह्मगिर    की     माटी।
सन्त     सिंगाजी   नs    पोसी     परिपाटी।
काळूजी   म्हाराज  पीपळया  मs  ठाँव   छे।
अफ़जल जी सन्त  को  बड़वाणी   गाँव  छे।
रेवा  की  किरपा  सी  फळ  लग्या झाड़ मs।
माळव्या   काकाजी    आवजो निमाड़  मs।



टीप--इस गीत में एक करोड़ की आबादी वाले निमाड जनपद के प्रसिद्ध स्थानों,परम्पराओं, सन्त कवियों व व्यंजनों का चित्रण है --कुँअर उदयसिंह अनुज



शब्दार्थ
लीमड़ा की आड़=नीम की ओट में, आवजो= पधारियेगा,माळव्या=मालवा वाले, वाट=रास्ता, माड़ी=माँ, खीचड़ो=निमाड़ी व्यंजन, बाटी चुरमा=निमाड के प्रतिनिधि व्यंजन, ताया=निमाड़ी व्यंजन, मही घाट=छाछ व दलिया,हऊँ=मैं, जाफा=अधिक, गणगौर=प्रतिनिधि निमाड़ी लोकपर्व, झालरियो=गीत, रोटा= मोटे अनाज के टिक्कड़, अमाड़ी की भाजी=प्रतिनिधि साग(जैसे पंजाब में सरसों का साग), धाणी=पॉप कार्न, मईसर का घाट= नर्मदा किनारे महेश्वर नगर  के प्रसिद्ध घाट, अहिल्या = होल्कर स्टेट की शिव भक्त जग प्रसिद्ध शासिका,



रेवा कराड़=नर्मदा नदी के किनारे, नाँगा देव=जैनियो के प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देवजी की बड़वानी नगर के पास सतपुड़ा पहाड़ में 84 फिट ऊंची पाषाण प्रतिमा, खजूरी=500 वर्ष पूर्व जन्मे निर्गुण निमाड़ी कवि सन्त सिंगाजी का जन्म स्थान गाँव, बयड़ी=पहाड़ी , अंजड़=एक कस्बा जहाँ पहाड़ी पर देवी का मंदिर है, ऊन के मंदिर= यह गाँव खजूराहो के समकालीन मन्दिरो के लिए प्रसिद्ध , छिरवेल महादेव=निमाड़ के प्रसिद्ध सतपुड़ा पहाड़ में स्थित शिवजी, नाँगलवाड़ी= एक गाँव जहाँ सतपुड़ा पहाड़ पर 3 करोड़ की लागत से बना नाग मन्दिर है,खरगुण=खरगोन नगर ,निमाड़ का जिला मुख्यालय, कुंदा धड़= कुंदा नदी के किनारे, घाम=धूप, ठीकरी=एक कस्बा, गाड़ा=बैल गाड़ी से बड़े लकड़ी  बड़े पहिये के गाड़े,खण्डवा=एक नगर जो कवि माखनलालजी चतुर्वेदीजी की कर्म स्थली रहा, सिवा बाबा=निमाड के एक सन्त, औंकार= ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर, खाड़ मs = गड्ढे में, ब्रह्मगिरि मनरंगगिर =600 वर्ष पूर्व हुए निमाड़ी सन्त कवि,
कालूजी म्हाराज=निमाड़ी सन्त कवि, अफजलजी = सन्त कवि, रेवा=नर्मदाजी




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