उज्जैन। कोरोना की वैश्विक महामारी से निपटने में सब अपने - अपने ढंग से योगदान दे रहे हैं। इसी क्रम में साहित्य नगरी उज्जैन में बुधवार शाम ऑन लाईन काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें अध्यक्षता वाग्देवी मां सरस्वती ने की, मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षाविद डॉ देवेंद्र जोशी , दिलीप शर्मा जी तथा आचार्य शैलेंद्र वर्मा रहे। सफल संचालन इन्जी दीपक शर्मा ने किया तथा काव्य गोष्ठी का शीर्षक विश्व के समक्ष उपस्थित वैश्विक महामारी कोरोना रहा जिस पर कवि विजय शर्मा शुक्ल, कवि दिलीप जोशी, अनिल पांचाल सेवक, नंदकिशोर पांचाल, शायर विशाल शर्मा, गौरी शंकर उपाध्याय, दीपक दिलवाला ने सफल काव्य पाठ किया | दूरदर्शन एवं आकाशवाणी गीतकार कवियत्री सीमा जोशी ने अपने गीत एवं मुक्तक प्रस्तुत किए।
डाॅ देवेन्द्र जोशी ने अपने अतिथि उद्बोधन में कहा कि आज का समय दूर रहकर भी तकनीक के जरिये परस्पर जुडे रहने का है। कोरोना जैसी आपदाएं इन्सान को एक - दूसरे के निकट लाने और आपसी सदभाव बनाए रखने का संदेश देती है। आने वाला समय तकनीक के माध्यम से एक - दूसरे से जुडे रहने का है। गोष्ठी के पश्चात सभी प्रतिभागी कवियों को प्रमुख अतिथि डाॅ देवेन्द्र जोशी के करकमलों से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
गोष्ठी की शुरूआत सरस्वति पूजन एवं मंगलाचरण से हुई। विजय शुक्ल ने सरस्वति वन्दना प्रस्तुत की। विशाल शर्मा ने अपनी रचना अलग अंदाज में प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रकृति को हम भूल गये इसलिए लाशों के ढेर देखने को मिल रहे हैं। अगर कोरोना को भगाना है तो लाॅक डाउन का करना होगा पालन तथा प्रकृति की ओर लौटना होगा। गौरीशंकर उपाध्याय ने मालवा का प्यारा भोजन शीर्षक मालवी रचना के माध्यम से हिलमिलकर रहने की अपील की। दिलीप जोशी ने अपनी रचना में कहा कि समय है प्रतिकूल पर हो जाएगा अनुकूल/थोडा सा इन्तजार करिए/ घर पर रहिए सुरक्षित रहिए/ देश गया है थम सा/ पर तनिक तुम धैर्य धरिए/ घर पर रहिए सुरक्षित रहिए।अनिल पांचाल सेवक ने करूणा शीर्षक मालवी रचना के माध्यम से पुलिस डाॅक्टर और सफाई कर्मियों के सेवा कार्य की सराहना करते हुए सनातन संस्कृति की रक्षा का संकल्प दोहराया। विजय शुक्ल ने अपनी गीत रचना - हे प्रभु हमको बचालो/ या चाहो तो आजमा लो/ सुख का सूरज आज ओझल हो रहा है/ तेरी रचना का अंत हो रहा है।
उक्त जानकारी देते हुए संयोजक विजय शुक्ल ने बताया कि समूह का यह ऑन लाईन कवि गोष्ठी का यह प्रथम प्रयास था जिसकी सफलता को देखते हुए आगे इस तरह के प्रयास दोहराए जाएंगे।
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