Skip to main content

कलेक्टर ने अधिकारियों के मध्य कार्य विभाजन किया


            उज्जैन 27 मई। कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने प्रशासकीय कार्य सुविधा की दृष्टि से कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ भाप्रसे एवं राप्रसे के अधिकारियों के मध्य कार्य विभाजन आदेश जारी कर दिया है।


            आदेश के तहत अपर कलेक्टर विकास एवं सीईओ जिला पंचायत श्री अंकित अस्थाना को प्रधानमंत्री जनधन योजना, सुरक्षा बीमा, जीवन ज्योति योजना, आईटीआई, अन्त्योदय मेला/जिला अन्त्योदय समिति, मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री आवास आदि का कार्य सौंपा गया है।


            अपर कलेक्टर श्रीमती बिदिशा मुखर्जी को तहसील घट्टिया, तराना, महिदपुर क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत राजस्व प्रकरणों का निराकरण तथा अपील प्रकरण, मप्र भूराजस्व संहिता-1959 के अन्तर्गत कलेक्टर न्यायालय में प्रस्तुत पुनर्विलोकन, अपील, निगरानी आवेदन-पत्रों में से प्रत्येक 10वे आवेदन को छोड़कर निराकरण, नाबालिग सरपरस्ती से सम्बन्धी बैंक लोन में अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने सम्बन्धी प्रकरणों का निराकरण (तराना, घट्टिया, महिदपुर) का कार्य सौंपा गया है। साथ ही श्रीमती मुखर्जी को शिकायत एवं सतर्कता शाखा, वरिष्ठ लिपिक, नोडल अधिकारी राजस्व एवं वन भूमि सीमा विवाद, पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय, मुख्यमंत्री जनअधिकार कार्यक्रम, आरएम शाखा, एसडब्ल्यूबीएम शाखा, राहत शाखा और ऑडिट निरीक्षण आदि का प्रभार सौंपा गया है।


            अपर कलेक्टर डॉ.आरपी तिवारी को एडीएम की हैसियत से विभिन्न अधिनियमों, शासन नियमों के अन्तर्गत न्यायिक, अर्द्धन्यायिक एवं प्रशासनिक कार्य, सीआरपीसी के अन्तर्गत कानून व्यवस्था बनाये रखने एवं शान्ति समिति की बैठक हेतु नोडल अधिकारी, मप्र पुलिस अधिनियम की धारा-25 के अन्तर्गत प्रकरणों का निराकरण, मप्र दुकान एवं स्थापना अधिनियम के अन्तर्गत प्रकरणों का निराकरण, जिला होमगार्ड नगर सुरक्षा से सम्बन्धित कार्य जिला दण्डाधिकारी के अनुमोदन उपरान्त, मप्र राज्य सुरक्षा अधिनियम-1990 के अन्तर्गत प्रस्तुत प्रकरणों का निराकरण, सम्पत्ति विरूपण अधिनियम, कोलाहल नियंत्रण अधिनियम के अन्तर्गत प्रकरणों का निराकरण, कैदियों की अस्थाई छुट्टी, पेरोल सम्बन्धित प्रकरणों का निराकरण, आयुध नियम-1962 के अन्तर्गत स्वीकृत अनुज्ञप्तियों का नवीनीकरण आदि कार्य सौंपे गये हैं।


            इसके अलावा डॉ.तिवारी को स्थापना, वित्त, नजारत, वाहन अधिग्रहण अधिकारी और न्याय लिपिक शाखा आदि का प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। अपर कलेक्टर श्री जीएस डाबर को तहसील बड़नगर क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत राजस्व प्रकरणों का निराकरण, अपील और स्वप्रेरणा निगरानी प्रकरणों, राजस्व पुस्तक परिपत्र के अधीन प्रस्तुत समस्त प्रकरण (बड़नगर), अन्य लघु नियमों के अन्तर्गत अपर कलेक्टर न्यायालय को प्राप्त अधिकारों के अधीन समस्त प्रकरणों का निराकरण आदि का कार्य सौंपा गया है।


            इसके अलावा श्री डाबर को प्रभारी अधिकारी नजूल की हैसियत से प्रकरणों व नस्तियों का निराकरण, व्यवहारवाद शाखा, संस्कृति, धर्मस्व, धार्मिक स्थान, कॉलोनी सेल, सीलिंग, भूअभिलेख एवं भूप्रबंधन, राजस्व अभिलेखागार, आंग्ल अभिलेखागार आदि का प्रभारी अधिकारी बनाया गया है।


            आदेश के तहत श्री अंकित अस्थाना की लिंक अधिकारी श्रीमती बिदिशा मुखर्जी, श्रीमती मुखर्जी के लिंक अधिकारी श्री जीएस डाबर, श्री डाबर के लिंक अधिकारी श्री आरपी तिवारी और श्री आरपी तिवारी के लिंक अधिकारी श्री डाबर होंगे।


Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...