Skip to main content

हिंदी भाषा और नैतिक मूल्य / संपादक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा


संपादकीय के अंश :
भारतीय परंपरा ज्ञान की सर्वोपरिता पर बल देती है। गीता का कथन है, नहि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते, ज्ञान से बढ़कर मन, वचन और कर्म को पवित्र करने वाला कोई दूसरा तत्त्व नहीं है। ज्ञानार्जन के माध्यम से ही मानव व्यक्तित्व का निर्माण संभव होता है, जो परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व जीवन में प्रतिबिंबित होता है। सच्ची शिक्षा मनुष्य को अंतरबाह्य बंधनों से मुक्त करती है। संकीर्ण दृष्टिकोण को त्यागकर व्यक्ति का दायरा बढ़ने लगता है। उसे सारा संसार एक परिवार जैसा दिखाई देने लगता है। वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश यही है, जो सुदूर अतीत से वर्तमान तक भारतीय संस्कृति का प्रादर्श बना हुआ है। कथित विकास और उपभोग के प्रतिमान हमारी शाश्वत मूल्य दृष्टि और पर्यावरणीय संतुलन के समक्ष चुनौती पैदा कर रहे हैं। ऐसे में मानवीय संबंधों में भी दरार आना स्वाभाविक है। ये समस्याएं जितनी सामाजिक और आर्थिक हैं, उससे ज्यादा मनोवैज्ञानिक, सांस्कृतिक और मूल्यपरक हैं।


उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संबंधों को लेकर नई सजगता जरूरी है, जिससे जीवन में सकारात्मकता लाने के साथ मानव व्यक्तित्व के निर्माण में सहायता सम्भव हो। परिवार और समाज किसी भी राष्ट्र के लिए स्नायु तंत्र की भूमिका निभाते हैं। बिना पारस्परिक अवलम्ब, प्रेम और सद्भाव के राष्ट्र और विश्व जीवन नहीं चल सकता है। इसी दृष्टि से भाषा शिक्षण के साथ नैतिक मूल्यों और भावनाओं के विस्तार के लिए प्रयास जरूरी हैं। नैतिकता ही वह पथ है, जिसके माध्यम से समाज में आपसदारी, विश्वास और भयमुक्त जीवन के लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है। ऐसा कोई व्यवसाय नहीं है, जिसमें नैतिक मूल्यों की पहचान और निर्वाह आवश्यक न हो।


भारतीय दर्शन जीवन का परम लक्ष्य सुख मानता है, किंतु यह सुख स्थूल ऐन्द्रिय सुख नहीं है। उसे मुक्ति या मोक्ष अथवा निर्वाण के साथ संबद्ध किया गया है। इसीलिए नैतिक मूल्यपरक आचरण की अनिवार्यता हमारी चिंतन धारा के केंद्र में है और वह सार्वभौमिक मूल्यों तक विस्तार ले लेती है। भूमंडलीकरण और सूचना - संचार क्रांति के दौर में शिक्षा के साथ नैतिक मूल्यों की इस विचार – शृंखला का समन्वय अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा मनुष्य को यंत्रवत् होने से रोका नहीं जा सकेगा।


इस पुस्तक में इसी दृष्टि से हिंदी के पुरोधा रचनाकारों की महत्त्वपूर्ण रचनाएं समाहित की गई हैं। महाकवि जयशंकर प्रसाद, माखनलाल चतुर्वेदी, प्रेमचंद, सरदार पूर्ण सिंह, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, स्वामी विवेकानंद, स्वामी श्रद्धानंद, सर्वपल्ली राधाकृष्णन्, रामधारीसिंह दिनकर, शरद जोशी आदि की विषयानुरूप रचनाओं के समावेश के साथ हिंदी व्याकरण के प्रमुख पक्षों को स्थान दिया गया है। विद्यार्थियों के संप्रेषण कौशल और भाषिक संपदा में श्री वृद्धि हो इस बात को दृष्टिगत रखते हुए पर्याप्त सामग्री संजोई गई है।



- प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा
Shailendrakumar Sharma


Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं