Skip to main content

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘कोविड-19’ से निपटने हेतु आगे की योजना बनाने के लिए मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श किया

प्रधानमंत्री कार्यालय



लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं,  देश पिछले डेढ़ माह में हजारों जिंदगियां बचाने में कामयाब रहा है: प्रधानमंत्री

तेजी से प्रभावकारी कदम उठाना हमारा उद्देश्य होना चाहिए, ‘दो गज दूरी’ के मंत्र का पालन करने की आवश्यकता है: प्रधानमंत्री  

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘राज्यों के रेड जोन को पहले ऑरेंज जोन और फि‍र ग्रीन जोन में बदलने की दिशा में अपने प्रयासों को केंद्रित करना चाहिए’ 

हमें साहसी बनना होगा और आम नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने वाले सुधारों को लागू करना होगा: प्रधानमंत्री  

हमें अर्थव्यवस्था को विशेष महत्व देना होगा और इसके साथ ही कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई जारी रखनी होगी: प्रधानमंत्री

आने वाले महीनों में भी कोरोना वायरस का प्रभाव दिखाई देगा, मास्क और फेस कवर हमारे जीवन का हिस्सा होंगे: प्रधानमंत्री

मुख्यमंत्रियों ने आवश्‍यक जानकारियां दीं, आर्थिक चुनौतियों का सामना करने और स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत करने के उपाय सुझाए  




प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ‘कोविड-19’ से उत्‍पन्‍न स्थिति पर चर्चा करने और इस महामारी से निपटने हेतु आगे की योजना बनाने के लिए आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श किया। यह मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की इस तरह की चौथी चर्चा थी, जो इससे पहले 20 मार्च, 2 अप्रैल और 11 अप्रैल, 2020 को आयोजित की गई थी।  


प्रधानमंत्री ने यह बात रेखांकित की कि लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं क्योंकि देश पिछले डेढ़ महीनों में हजारों लोगों की जान बचाने में कामयाब रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आबादी कई देशों की संयुक्त जनसंख्या के बराबर है। भारत सहित कई देशों में इस दृष्टि से स्थिति मार्च की शुरुआत में कमोबेश एकसमान थी। हालांकि, समय पर उठाए गए ठोस कदमों की बदौलत भारत अनगिनत लोगों की जिंदगी की रक्षा करने में सक्षम रहा है। हालांकि, उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि वायरस का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है और निरंतर सतर्क रहना सबसे अधिक जरूरी है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने अब तक दो लॉकडाउन देखे हैं, दोनों ही कुछ पहलुओं में एक-दूसरे से भिन्न हैं, और अब हमें आगे की राह के बारे में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना वायरस का प्रभाव आने वाले महीनों में भी दिखाई देगा। ‘दो गज दूरी’ के मंत्र को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि मास्‍क और फेस कवर आने वाले दिनों में हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में तेजी से प्रभावकारी कदम उठाना निश्चित तौर पर हर किसी का उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज कई लोग स्‍वयं ही आगे आकर यह जानना चाह रहे हैं कि क्या उन्हें खांसी और सर्दी या इस रोग के लक्षण हैं, जो एक स्वागत योग्य संकेत है।



प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अर्थव्यवस्था को विशेष महत्व देना होगा और इसके साथ ही कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई जारी रखनी होगी। उन्होंने प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करने के महत्व और इसके साथ ही सुधार लाने वाले उपायों को अपनाने में समय का सदुपयोग करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के महत्व पर विशेष बल दिया कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में देश के प्रयासों को मजबूती प्रदान करने के लिए अधिक से अधिक लोग ‘आरोग्य सेतु एप’ को डाउनलोड करें। उन्‍होंने कहा, ‘हमें साहसी बनना होगा और आम नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने वाले सुधारों को लागू करना होगा।’ उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों से जुड़े लोगों को महामारी से लड़ने के तरीकों को विकसित करने  और अनुसंधान के साथ-साथ नवाचार को भी मजबूत करने के लिए एकीकृत किया जा सकता है।


उन्होंने हॉटस्पॉट यानी रेड जोन क्षेत्रों में संबंधित दिशा-निर्देशों को सख्ती से लागू करने में राज्यों के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों के ‘रेड जोन’ को पहले ‘ऑरेंज जोन’ में और फि‍र ‘ग्रीन जोन’ में बदलने की दिशा में अपने प्रयासों को केंद्रित करना चाहिए।


विदेश में रह रहे भारतीयों को स्‍वदेश वापस लाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए कि उन्‍हें कोई असुविधा न हो और उनके परिवार किसी भी जोखिम में नहीं हों। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से यह भी आग्रह किया कि वे आगे की रणनीति तैयार करते समय मौसम में बदलाव यथा गर्मी एवं मानसून के आगमन और इस मौसम में आने वाली बीमारियों को अवश्‍य ही ध्‍यान में रखें।



केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने लॉकडाउन लागू करने की आवश्यकता की फि‍र से पुष्टि की, ताकि अधिक से अधिक लोगों का जीवन बचाया जा सके।


मुख्यमंत्रियों ने संकट की इस अवधि में प्रधानमंत्री के नेतृत्व की प्रशंसा की, और इसके साथ ही वायरस को फैलने से रोकने के लिए अपने द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। मुख्यमंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर पैनी नजर रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया और इसके साथ ही आर्थिक चुनौतियों का सामना करने तथा स्वास्थ्य अवसंरचना को और भी अधिक मजबूत करने के उपाय सुझाए। इन नेताओं ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में पुलिस बल और चिकित्सा कर्मियों द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त किया।


Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...