Skip to main content

ओएफबी ने मरीजों की स्क्रीनिंग, आइसोलेशन और क्‍वारंटाइन के लिए दो बेड वाले टेंट तैयार किए  

रक्षा मंत्रालय


आयुध निर्माणी बोर्ड ने अरुणाचल प्रदेश को 50 टेंट मुहैया कराए


आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) कोरोना वायरस (कोविड-19) के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस महामारी के खिलाफ ओएफबी की अथक लड़ाई के बारे में ये साप्ताहिक अपडेट हैं:   


 


दो बेड वाले टेंट  


ओएफबी ने मरीजों की स्क्रीनिंग, आइसोलेशन और क्‍वारंटाइन के लिए चिकित्सा उपकरणों से लैस दो बेड वाले टेंट तैयार कर आइसोलेशन वार्ड के लिए एक किफायती समाधान या विकल्‍प पेश किया है। इन विशेष टेंटों (तंबू) का उपयोग आपातकालीन चिकित्सा, मेडिकल स्क्रीनिंग, गंभीर हालत वाले मरीजों को प्राथमिक चिकित्‍सा सुविधा देने और क्‍वारंटाइन के लिए किया जा सकता है। 9.55 वर्ग मीटर के फर्श क्षेत्र (फ्लोर एरि‍या) वाले ये टेंट दरअसल जलरोधक कपड़े, हल्के स्टील और अल्यूमीनियम मिश्र धातु से तैयार किए गए हैं।


ये टेंट किसी भी स्थान एवं इलाके में स्थापित किए जा सकते हैं और कुछ ही समय के भीतर पारंपरिक अस्पतालों में मिलने वाली सुविधाओं के अलावा अतिरिक्त सुविधाएं सुलभ कराने में मददगार साबित होते हैं। आयुध उपकरण कारखाना, कानपुर ने ये टेंट तैयार किए हैं। इस तरह के 50 टेंट अरुणाचल प्रदेश सरकार को भेजे गए हैं।  


 


हैंड सैनिटाइजर और फेस मास्क


आयुध निर्माणी बोर्ड की एक इकाई ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्टरी, देहरादून ने 6 अप्रैल, 2020 को उत्तराखंड के राज्यपाल को हैंड सैनिटाइजर की 2,500 बोतलें (प्रत्‍येक 100 मिली लीटर) और 1,000 फेस मास्क दान में दिए हैं।  


ओएफबी की एक इकाई कोर्डाइट फैक्टरी, अरुवंकडु ने 08 अप्रैल, 2020 को तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के पुलिस अधिकारियों को 100 लीटर सैनिटाइजर दिए।


पुणे स्थित हाई एक्सप्लोसिव्स फैक्टरी (एचईएफ) ने 9 अप्रैल, 2020 को मेसर्स एचएलएल, बेलगावी को 2,500 लीटर सैनिटाइटर की पहली खेप भेजी।


 


धूम्रीकरण कक्ष 


आयुध निर्माणी अंबाझरी (ओएफएजे), नागपुर ने स्वच्छता के उद्देश्य से धूम्रीकरण कक्ष विकसित किया है। यह पूरी तरह से पोर्टेबल है और इसे आसानी से कहीं भी ले जाया (शिफ्ट) जा सकता है। इसे ओएफएजे अस्पताल के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थापित किया गया है। 


 


हैंडवाशिंग सिस्टम


आयुध निर्माणी, देहरादून ने 7 अप्रैल, 2020 को पुलिस अधिकारियों को ‘साबुन बनाने की मशीन से लैस स्वदेश निर्मित पैडल संचालित हैंडवाशिंग सिस्टम’ सौंपा।


आयुध निर्माणी देहु रोड, पुणे ने 6 अप्रैल, 2020 को देहुगांव में मजदूरों के बीच भोजन किटों का वितरण किया। 


Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


 


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...