Skip to main content

नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड –एनएफएल, कोविड-19से लड़ने के प्रयासों में सरकार की मदद करने के लिए खाद्य और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं के वितरण में सक्रिय भाग ले रही है

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय


रसायन और उर्वरक मंत्रालय के उर्वरक विभाग के अधीन एक अग्रणी उर्वरक कंपनी नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) कोविड-19 महामारी से निबटने के प्रयासों में सरकार की मदद करने के लिए खाद्य पदार्थों,दवाओं और मास्क जैसी आवश्यक वस्तुओं का बड़े पैमान पर वितरण कर रही है।


केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने एनएफएल की इस पहल की सराहना की है।


देश भर में एनएफएल की इकाइयाँ राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते हुए इन गतिविधियों में अलग-अलग तरीकों से लगी हुई हैं।


एनएफएल की बठिंडा इकाई ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जिला प्रशासन, बठिंडा को 3,000 मास्क मुहैया कराए हैं। एनएफएल, बठिंडा के मुख्य  महाप्रबंधक श्री ए. के. जैन ने अन्य अधिकारियों के साथ बठिंडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री नानक सिंह की मौजूदगी में बठिंडा के उपायुक्त श्री बी. श्रीनिवासन को ये मास्क सौंपे।


एनएफएल की पानीपत इकाई ने जिला राहत कोष में एक लाख रुपये का योगदान दिया है। यह कंपनी के कर्मचारियों द्वारा अपने एक दिन के वेतन के रूप में दिए गए 88लाख रूपए के अतिरिक्त है जो पहले ही दिए जा चुके हैं।


एनएफएल की नंगल इकाई के महिला क्लब ने नंगल में और उसके आसपास #लॉकडाउन में फंसे जरूरतमंद लोगों को 50,000रुपये की किराने की चीजें भेजी हैं।क्लब की अध्यक्ष श्रीमती सुनीता मरकन ने क्लब के अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर पंजाब में कर्फ्यू के दौरान लोगों के बीच ये सामग्रियां बांटे जाने के लिए स्थानीय प्रशासन से मदद मांगी है।


एनएफएल के कर्नाटक स्थित कार्यालय ने बेंगलूरु में लोक सेवा अधिकारियों के लिए एन95 मास्क और सैनिटाइजर वितरित किए।


एनएफएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री मनोज मिश्रा ने दिन-रात अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे एनएफएल के अस्पतालों के डॉक्टरों, नर्सों और सभी स्वास्थ्य कर्मियों की सराहना करते हुए कहा है कि यह मानवता की एक बड़ी सेवा है।


Bkk News


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...