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कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने मण्डल की टीम तैयार


       मण्डल रेल प्रबंधक श्री उदय बोरवणकर के कुशल दिशानिर्देशन एवं मार्गदर्शन में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने और इससे अपने रेल कर्मियों को बचाने के लिए मण्डल के अधिकारी एवं कर्मचारी टीम भावना से युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं।

    कर्मचारी कल्याण के लिए उठाए जा रहे कदम
          इस कठिन दौर में सभी विभाग के अधिकारियों और सुपरवाइजर कर्मियों द्वारा संबंधित कर्मचारियों से संपर्क कर उनके सलामती की जानकारी ली जा रही है। मण्डल रेल प्रबंधक स्वयं कर्मचारियों के सीधा संपर्क में हैं। मण्डल में किसी भी कर्मचारी को कोई परेशानी न हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस राष्ट्रीय आपदा से निपटने के लिए भोपाल मण्डल के भारी संख्या में रेलवे कर्मचारी अपना एक दिन से अधिक का वेतन प्रधानमंत्री आपदा कोष में दान दिए हैं।



सुरक्षित ट्रैन परिचालन में इंजीनियरिंग विभाग की अहम भूमिका
     भोपाल मंडल के करीब 1600 ट्रैक किलोमीटर पर निर्बाध ट्रेन परिचालन के लिए भोपाल मंडल के इंजीनियरिंग विभाग के 17 ऑफिसर,125 सुपरवाइजर और 3600 ट्रैक मैन दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस कठिन परिस्थिति में इनके द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए ट्रैक के सुरक्षित अनुरक्षण की जिम्मेवारी को बखूबी निभाते हुए ये काम किया जा रहा है। काम पर लगे सभी रेल कर्मियों को मास्क लगाने, सैनिटाइजर और साबुन का  उपयोग करने की जानकारी भी दी जा रही है। 


रेलवे के ट्रैक मैन कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपनी ड्यूटी करने के उपरांत अपने और अपने साथियों के लिए मास्क और सैनिटाइजर  भी बना रहे हैं। अब तक ट्रैक मैनों द्वारा 250 मास्क बना दिया गया है। इंजीनियरिंग विभाग द्वारा  ट्रैक को सही सलामत रखने के लिए ट्रैक मशीन का इस्तेमाल किया का रहा है। इन मशीनों के द्वारा ट्रैफिक ब्लॉक लेकर ट्रैक का रख रखाव किया जा रहा है। ट्रैक की गुणवत्ता देखने के लिए OMS Car का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक नवीनतम तकनीक(latest Technology)  है, जिससे  ट्रैक के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है। इस तकनीक द्वारा जहां काम करने की जरूरत होती है, पता चल जाता है और ट्रैक मेंटेनेंस की टीम वहां पहुँचकर ट्रैक को ठीक करती है या ट्रैक मशीन को भेज कर ठीक किया जाता है। बड़े ही कौशल पूर्ण तरीके से रेलवे ट्रैक का अनुरक्षण किया जा रहा है। 

     भोपाल रेल मंडल पर मालगाड़ियों की औसत गति 40 कि.मी. प्रति घंटा से अधिक है, जो भारतीय रेल में सर्वश्रेष्ठ है। इंजीनियरिंग विभाग द्वारा सभी कार्य स्थलों और रेलवे कॉलोनियों में निर्बाध रूप से पानी की आपूर्ति की जा रही है।


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