अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में 26 अप्रैल 2020 को खुले गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट..... 14 और 15 मई 2020 को खुलेंगे केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम के कपाट
शुभ मुहूर्त में खुले गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट
#चारधाम_यात्रा_2020 :
■ पीएम मोदी के नाम से हुई पहली पूजा
■ गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए
नई दिल्ली, रविवार, 26 अप्रैल, 2020 । #गंगोत्री और #यमुनोत्री #धाम के कपाट खुलने के साथ ही आज विश्व प्रसिद्ध #चारधाम #यात्रा का भी आगाज हो गया है। शुभ मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर गंगोत्री धाम और 12 बजकर 41 मिनट पर यमुनोत्री धाम के कपाट खोल दिए गए हैं।
इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अक्षय तृतीया महापर्व की शुभ बेला पर मंदिर समिति गंगोत्री को 1100 रुपये दान स्वरूप दिए। वहीं, धाम में पहली पूजा प्रधानमंत्री मोदी के नाम से हुई।
इस दौरान मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सह सचिव राजेश सेमवाल, अध्यक्ष गंगा पुरोहित सभा पवन सेमवाल, सदस्य मंदिर समिति, राकेश सेमवाल, सचिव मंदिर समिति, दीपक सेमवाल, एसडीएम देवेंद्र नेगी, पुलिस उपाधीक्षक कमल सिंह पंवार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डीपी जोशी भी मौजूद रहे।
इससे पहले आज सुबह मां यमुना की डोली खरसाली से यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हुई थी। इस दौरान उन्हें विदा करने के लिए भाई शनिदेव की डोली भी निकली। परंपरा के अनुसार मुखबा गांव से मां गंगा की भोग मूर्ति को डोली यात्रा को शनिवार को ही गंगोत्री धाम के लिए रवाना कर दिया गया था। भैरोंघाटी स्थित प्राचीन भैरव मंदिर में रात्रि विश्राम के बाद डोली यात्रा आज दोपहर तक गंगोत्री धाम पहुंची।
💐 पूजा में 21-21 तीर्थ पुरोहित ही हुए शामिल
कोरोना संक्रमण की आशंका के मद्देनजर लॉकडाउन की पाबंदियों के चलते इस बार केवल 21-21 तीर्थ पुरोहित कपाटोद्घाटन में शामिल हो सके। डोली यात्रा के लिए भी यही प्रावधान किया गया था। डोली यात्रा के दौरान शारीरिक दूरी के नियम का भी पालन किया गया।
डीएम डॉ. आशीष चौहान और पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट ने बताया कि चार धाम यात्रा अभी प्रतिबंधित है। रविवार को भी जब डोली निकाली गई तो दो लोग ही डोली लेकर चले। उनके साथ दो से तीन और लोग सोशल डिस्टेंस बनाकर धाम के लिए रवाना हुए थे।
💐 श्रद्धालुओं को नहीं धाम में जाने की अनुमति
लॉकडाउन की पाबंदियों के चलते फिलहाल किसी भी श्रद्धालु को धाम में आने की अनुमति नहीं है। परंपराओं के निर्वहन के लिए सीमित संख्या में तीर्थ पुरोहितों को छोड़ कर अन्य किसी को भी धामों में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
मंदिर समिति के सचिव कृत्तेश्वर उनियाल के अनुसार मंदिर में चुनिंदा पुजारी ही नियमित रूप से पूजा-अर्चना करेंगे। बताया कि धाम में बिजली, पानी, शौचालय आदि बुनियादी व्यवस्थाएं करीब करीब पूरी हैं। जानकीचट्टी से धाम तक पांच किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग का निर्माण कार्य भी पूरा होने वाला है।
#कोरोना: चारधाम यात्रा के इतिहास में पहली बार बदली केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम मंदिर खुलने की तारीख
■ अब 14 और 15 मई को खुलेंगे कपाट
देहरादून, सोमवार, 27 अप्रैल, 2020 । #कोरोनावायरस #महामारी और #लॉकडाउन की स्थिति के चलते केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम मंदिर के कपाट खोलने की तिथि बदल दी गई है। यह संभवत: #चारधाम #यात्रा के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि जब केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खोलने की प्रस्तावित तिथियों को बदला गया है। उत्तराखंड स्थित भगवान #बद्रीधामधाममंदिरकेकपाट 15 मई 2020 को प्रात: साढ़े 4 बजे खुलेंगे। गाडु घड़ा परंपरा के लिए तिल का तेल निकालने के लिए 5 मई की तिथि तय की गई है। जबकि #केदारनाथधाममंदिरके_कपाट 14 मई 2020 को खुलेंगे। परंपरा के मुताबिक केदारनाथ के कपाट बद्रीनाथ के कपाट खुलने से एक दिन पहले ही खुलते हैं। चूंकि बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के रावल दोनों चौदह दिन के लिए क्वारंटाइन पर रहेंगे इसलिए टिहरी के राजा मनुजेंद्र शाह ने सोमवार को नई तिथियों की घोषणा की।
इससे पहले केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को खोले जाने थे जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट 30 अप्रैल को ब्रह्म मुहूर्त में 4 बजकर 30 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए खोल जाने थे।
चारों धामों में से #गंगोत्रीधाममंदिर व #यमुनोत्रीधाममंदिर के कपाट पहले से ही तय तिथि अनुसार अक्षय तृतीया के शुभ दिन रविवार 26 अप्रैल 2020 को खोल दिए गए हैं ।
मनुजेंद्र शाह ने कहा, 'हमारे रावल केरल से उत्तराखंड आ रहे हैं। उत्तराखंड में आने के बाद उन्हें 14 दिनों तक क्वारंटाइन रखा जाएगा। ऐसे में मैंने बद्रीनाथ और केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथियों में बदलाव किया है। कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग एवं चिकित्सा संबंधी नियमों का पालन किया जाएगा।'
क्या ऐसा पहली बार हो रहा है जब तिथि बदली गई है? इस प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा- 'मुझे याद नहीं है कि पहले कभी ऐसा हुआ हो। लेकिन इस बार बात कुछ और है, हमें हरेक के स्वास्थ्य का ध्यान रखना है।'
टेहरी राजपरिवार के राजा ने कहा, 'केवल रावल या फिर मेरे पास ही प्रतिमाओं को छूने और पूजा अर्चना करने का अधिकार है। बद्रीनाथ में दक्षिण भारतीय रीति रिवाजों के अनुसार पूजा पाठ होता है जिसके लिए रावल केरल से आते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई उत्तर भारत का पुजारी पूजा अर्चना करे क्योंकि रीति-रिवाज एक जैसे नहीं हैं। इस वजह से भी तिथियों में बदलाव करना पड़ा। नई तिथि तक रावल अपना क्वारंटाइन पीरियड खत्म कर लेंगे।'
परंपरा के मुताबिक, धामों के कपाट खुलने से पहले केदारनाथ और बद्रीनाथ के रावल श्रद्धालुओं से दान लेने और उन्हें धाम आने का न्योता देने के लिए अलग-अलग राज्यों में जाते हैं। लॉकडाउन के चलते रावल केरल और महाराष्ट्र में फंसे रह गए।
उत्तराखंड के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि स्थिति की समीक्षा करने के बाद धामों के खुलने की तिथि बदलने का फैसला लिया गया है।
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