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समाज के वंचित दिव्यांगजनों को मुख्य धारा में लाना आवश्यक

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम का पालन करना अनिवार्य


दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम की संभाग स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न



उज्जैन 26 फरवरी। सामाजिक न्याय, नि:शक्तजन कल्याण विभाग के संचालक श्री कृष्णगोपाल तिवारी के मुख्य आतिथ्य में सिंहस्थ मेला कार्यालय के सभाकक्ष में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 की संभाग स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न हुई। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्री करण कुमारिया, नि:शक्तजन आयुक्त श्री संदीप रजक, उज्जैन संभाग के अपर आयुक्त श्री पीआर कतरोलिया, कलेक्टर श्री शशांक मिश्र आदि उपस्थित थे। कार्यशाला में विभाग के संचालक श्री तिवारी ने बताया कि समाज के वंचित दिव्यांगजनों को मुख्य धारा में लाना हम सबका दायित्व है। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम का पालन करना अनिवार्य है। पूर्व में दिव्यांगजनों को चिकित्सकों के द्वारा सात प्रकार की जांच कर उन्हें प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराया जाता था, अब अधिनियम के अन्तर्गत दिव्यांगता के 21 प्रकार हैं। दिव्यांगजनों को उनके अधिकार दिलाना हम सबका दायित्व है।



जिला पंचायत अध्यक्ष श्री करण कुमारिया ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिन दिव्यांगजनों के प्रमाण-पत्र नहीं बने हैं, उन सबको चिकित्सकों के द्वारा प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराया जाकर उन्हें सहयोग प्रदान कर शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचायें। अपर आयुक्त श्री कतरोलिया ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि दिव्यांगजनों को चिन्हित कर उन्हें अधिनियम के अन्तर्गत अधिकार दिलाना हम सबकी जिम्मेदारी है और कर्त्तव्य भी है। कलेक्टर श्री शशांक मिश्र ने कहा कि दिव्यांगजनों का अधिकार दिलाकर उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाना आवश्यक है। जिन दिव्यांगजनों के प्रमाण-पत्र नहीं बने हैं, उनके प्रमाण-पत्र बनाये जायें। दिव्यांगजनों के अधिकार दिलाने की हमारी नैतिक जिम्मेदारी होना चाहिये। कर्त्तव्यों के साथ-साथ जिम्मेदारी समझकर उन्हें उनका हक उपलब्ध कराकर लाभ पहुंचाने की महती भूमिका अदा की जाये।


नि:शक्तजन आयुक्त श्री संदीप रजक ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए अवगत कराया कि दिव्यांगजनों को उनके अधिकार और हकदारियां, शिक्षा, कौशल विकास और नियोजन, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, पुनर्वास और आमोद-प्रमोद, सन्दर्भित दिव्यांगजनों के लिये विशेष उपबंध, उनके विशेष उपबंध, सरकारों के कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व, दिव्यांगजनों के लिये संस्थाओं का रजिस्ट्रीकरण और अनुदान, दिव्यांगताओं का प्रमाणन, विशेष न्यायालय, राष्ट्रीय निधि, राज्य निधि, अपराध और शास्तियां आदि बिन्दुओं पर विस्तार से जानकारी देते हुए दिव्यांगजनों को समाज की मुख्य धारा में लाने का काम हम सबको मिलकर करना है।



कार्यशाला में सीआरसीसी भोपाल के डॉ.गणेश अरूण जोशी ने दिव्यांग प्रमाण-पत्र एवं युडीआईडी कार्ड जारी करने के विभिन्न प्रावधानों से अवगत कराया। साथ ही ऑटिज्म, बौद्धिक दिव्यांगता, स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी और मेंटल इलनेस थेलेसिमिया, हिमोफीलिया, पार्किंसन रोग, सिकल सेल रोग एवं बहुविकलांगता के आंकलन एवं प्रमाणीकरण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। छिंदवाड़ा के डॉ.संदीप ढोले ने लोकोमोटर दिव्यांगता जिसमें शामिल है सेरेब्रल पालसी कुष्ठ रोग मुक्त, बौनापन, एसिड अटेक पीड़ित, मस्कूलर डिस्ट्राफी का आंकलन एवं प्रमाणीकरण पर प्रकाश डाला। इन्दौर के श्री संकेत मेस्त्री ने मल्टीपल स्क्रोरियोसिस दिव्यांगता पर विस्तार से जानकारी दी।



दिव्यांगता के 21 प्रकार


कार्यशाला में अवगत कराया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 के अन्तर्गत दिव्यांगता के 21 प्रकार हैं, जिनमें चलन दिव्यांगता, बौनापन, मांसपेशी दुर्विकार, तेजाब हमला पीड़ित, दृष्टिबाधित, अल्पदृष्टि, श्रवणबाधिता, कम/ऊंचा सुनना, बोलने एवं भाषा की दिव्यांगता, कुष्ठ रोग से मुक्त, प्रमस्तिष्कघात, बहुदिव्यांगता, बौद्धिक दिव्यांगता, सीखने की दिव्यांगता, स्वलीनता, मानसिक रूग्णता, बहु-स्केलेरोसिस, पार्किंसंस, हिमोफिलिया, थेलेसिमिया एवं सिक्कल कोशिका रोग है।


बैठक के प्रारम्भ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यशाला प्रारम्भ की। इसके बाद सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक श्री सीएल पंथारी ने अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंटकर और अन्त में स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। कार्यशाला में कलेक्टर, सामाजिक न्याय विभाग के समस्त जिलों के जिला अधिकारी, जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, सामाजिक संस्थाएं आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन स्नेह संस्था नागदा के श्री पंकज मारू ने किया और कार्यशाला के अन्त में आभार विभाग के संयुक्त संचालक श्री सीएल पंथारी ने प्रकट किया।


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