उज्जैन। सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में सांख्यिकीय विश्लेषणात्मक के रूप में बहुत अधिक प्रचलित है। एस.पी.एस.एस. के उपयोग के लिए पूर्ण तैयारी और अभ्यास की आवश्यकता है। विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए एस.पी.एस.एस. का प्रयोग सरल है, क्योंकि उन्हें जड़-पदार्थ पर आधारित शोध करना है लेकिन सामाजिक विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि सामाजिक परिवर्तन और गतिशीलता की तीव्रता में समाज को ठोस परिणाम देना होता है। स्पष्ट है एस.पी.एस.एस. के उपयोग के लिए बुद्धि, कौशल विकास की अधिक आवश्यकता है। उक्त विचार एम.पी.आई.एस.एस.आर. की मानसेवी प्रोफेसर प्रो. नलिनी रेवाड़ीकर ने डॉ. अम्बेडकर पीठ के चार दिवसीय एस.पी.एस.एस. कार्यशाला के समापन सत्र में व्यक्त किए।
प्रो. रेवाड़ीकर ने कहा एस.पी.एस.एस. एक प्रभावी डेटा प्रबंधन है, जिसे सीखना और उपयोग करना तो आसान है। क्षेत्र व्यापक होने के कारण इसके उपयोग में सावधानी की भी आवश्यकता है। सामाजिक विज्ञान में सांख्यिकी का उपयोग सिर्फ गुणात्मक परिवर्तन ही नहीं करता, बल्कि शोध की प्रामाणिकता को भी बढ़ाता है। इस साफ्टवेयर का उपयोग तभी सार्थक हो सकता है जब तर्क के आधार पर सही विश्लेषित करना और उसके निहितार्थ को जानना जाए। स्पष्ट है शोधार्थी को अपनी प्रतिभा का भी उपयोग करना होगा, क्योंकि कम्प्यूटर मानव के दिमाग से बड़ा नहीं है। कम्प्यूटर मानव का सहायक है और सहायकों से सहायकों का ही काम लिया जाना चाहिए। शोधपरक आयोजनों के लिए डॉ. अम्बेडकर पीठ को साधुवाद।
स्वागत भाषण देते हुए डॉ. अम्बेडकर पीठ के प्रभारी आचार्य डॉ. एस.के. मिश्रा ने कहा वर्तमान समय तकनीक का है। तकनीक के साथ चलना ही शोध की प्राथमिकता है। एस.पी.एस.एस. एक ऐसा साफ्टवेयर है जो डेटा को सांख्यिकी विश्लेषण का काम करता है। यह एक ऐसा सांख्यिकी पैकेज है जो जटिल से जटिल डेटा को कुशलता से विश्लेषण करता है। आवश्यक है शोधार्थियों को बहुत ईमानदारी निष्ठा और अपनी क्षमता को श्रेष्ठ साबित करना होगा, तभी उपयोग की गई तकनीक का उपयोग सार्थक परिणाम देगी।
समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि सांख्यिकी अध्ययनशाला के उपाचार्य, युवा सांख्यिकीविद् डॉ. राजेश टेलर ने कहा डॉ. अम्बेडकर पीठ शोध के क्षेत्र में नए-नए आयामों पर आयोजन कर रही है जो निश्चित ही विश्वविद्यालय की अध्ययनशालाओं-महाविद्यालयों के विद्यार्थी-शोधार्थियों के लिए बहुत महती योगदान है। वर्तमान की आवश्यकतानुसार विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास का कार्य डॉ. अम्बेडकर पीठ कर रही है। पीठ अपने उद्देश्यों को पूर्ण करने में निष्ठापूर्ण प्रयास कर रही है।
चार दिवसीय एस.पी.एस.एस. कार्यशाला में विश्वविद्यालय की अध्ययनशालाओं के 15 शोधार्थी व माधव कला व वाणिज्य महाविद्यालय के छ: शोधार्थियों ने प्रतिभागिता की। सांख्यिकी, समाजकार्य, अर्थशास्त्र, लोकप्रशासन, वाणिज्य, पुस्तकालय विज्ञान एवं सूचना तकनीक व भूगोल के शोधार्थी थे। 3 प्रतिभागी नेट पास, एक प्रतिभागी जे.आर.एफ. का। कार्यशाला में प्रतिभागियों को यूजर गाइड फॉर एस.पी. एस.एस. व यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त शोध जर्नल्स की सूची भी वितरित की गई। 13 तकनीकी सत्र सम्पन्न हुए, इनमें 7 सत्र सैद्धांतिक व 6 सत्र प्रायोगिक कार्यशाला में जिन विषय विशेषज्ञों ने एस.पी.एस.एस. के उपयोग की बारीकियाँ सिखाई, उनमें डॉ. एस.के. मिश्रा अर्थशास्त्र अध्ययनशाला, एम.पी.आई.एस.एस.आर. के डॉ. तापस दलपति, सांख्यिकी अध्ययनशाला के उपाचार्य डॉ. राजेश टेलर, वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इन्दौर की डॉ. प्रीति कथूरिया थीं।
कार्यशाला के अनुभव मनोज वर्मा, संगीता जटिया, नीतू बारोढ़, पूजा सेंगर, सौम्या दुबे, पलक पोरवाल, अलका मामोरिया व दिलीप किरार ने बाँटे। समापन सत्र का संचालन व कार्यशाला प्रतिवेदन पीठ की शोध अधिकारी डॉ. निवेदिता वर्मा ने प्रस्तुत किया। आभार सांख्यिकी अध्ययनशाला की छात्रा कु. करिश्मा जगताप ने माना।
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