Skip to main content

बिजली बिल का अग्रिम भुगतान करने पर छूट  

भोपाल : शुक्रवार, फरवरी 28, 2020, 16:12 IST

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के भोपाल, होशंगाबाद, ग्वालियर एवं चंबल संभाग के निम्न दाब उपभोक्ता बिजली बिल की राशि का ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन अग्रिम भुगतान भी कर सकते हैं। यह राशि कितनी भी हो सकती है। अग्रिम राशि जमा करने की कोई सीमा नहीं है। उपभोक्ताओं द्वारा जो अग्रिम राशि जमा की जाएगी, उसमें उपभोक्ता के चालू बिजली बिल की राशि को समायोजित कर शेष राशि पर माह के आखिर में एक प्रतिशत छूट प्रदान की जाएगी।


ऑनलाइन भुगतान पर 20 रूपये तक छूट


मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने निम्न दाब उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे ऑनलाईन बिजली बिल का भुगतान कर अधिकतम 20 रूपये तक अपने बिल में छूट प्राप्त कर सकते हैं। इसी प्रकार, उच्च दाब उपभोक्ता ऑनलाईन बिजली बिल का भुगतान कर अधिकतम एक हजार रूपये की छूट प्राप्त कर सकते हैं।


मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने बताया है कि यदि कोई उपभोक्ता ऑनलाईन बिजली बिल का भुगतान करता है, तो उसके द्वारा कुल जमा किए गए बिल पर आधा प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी। यह छूट अधिकतम 20 रूपये तक होगी और न्यूनतम 5 रूपये होगी। इसी प्रकार जो उच्च दाब उपभोक्ता ऑनलाईन बिजली बिल का भुगतान करते हैं, तो उनके द्वारा कुल जमा किए गए बिजली बिल पर आधा प्रतिशत छूट प्रदान की जाएगी। यह छूट अधिकतम एक हजार तक हो सकती है।


ऑनलाईन भुगतान के विकल्प


मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के निम्न दाब उपभोक्ताओं को ऑनलाइन बिजली बिलों के भुगतान की सुविधा एम.पी.ऑनलाईन, एटीपी मशीन, कॉमन सर्विस सेन्टर, कंपनी पोर्टल (नेट बैंकिंग, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, यूपीआई, ईसीएस, ईबीपीएस, बीबीपीएस, कैश कार्ड एवं वॉलेट आदि) पेटीएम एप एवं उपाय मोबाइल एप एवं कम्पनी की वेबसाइट portal.mpcz.in के माध्यम से उपलब्ध है। उपभोक्ता अपने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, कैश कार्ड या 50 से अधिक बैंकों की इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से बिजली बिलों का भुगतान कर सकते हैं।


Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...