Skip to main content

आयुध अधिनियम, 1959 मे जारी अधिसूचना तथा आयुध नियम, 2016 मे किए बदलाव के अनुसार खिलाडियों द्वारा रखे जा सकने वाले अग्नायुधों में काफी बढोतरी

गृह मंत्रालय


आयुध अधिनियम, 1959 मे जारी अधिसूचना तथा आयुध नियम, 2016 मे किए बदलाव के अनुसार खिलाडियों द्वारा रखे जा सकने वाले अग्नायुधों में काफी बढोतरी


शूटिंग भारत में एक महत्वपूर्ण ओलंपिक खेल है। भारतीय निशानेबाजो नें अंतराष्ट्रीय स्पर्धाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। इसे ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय ने आयुध अधिनियम, 1959 के अंतर्गत जारी अधिसूचना के तहत भारतीय निशानेबाज़ो को अभ्यास के लिए अब पर्याप्त मात्रा में अग्नायुधों तथा गोला बारूद की पहुँच होगी। गृह मंत्रालय ने दिनांक 12 फरवरी 2020 को आयुध अधिनियम, 1959 मे जारी अधिसूचना तथा आयुध नियम, 2016 मे किए बदलाव के अनुसार खिलाडियों के द्वारा रखे जा सकने वाले अग्नायुधों तथा वर्ष के दौरान तय की गयी गोला बारुद की मात्रा में काफी बढोतरी की गई है। इससे उनके शस्त्र अभ्यास में अत्याधिक सुविधा होगी।


नए नियमों के अनुसार अब अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता/विख्यात निशानेबाज को कुल बारह तक अतिरिक्त शस्त्र रखने की रियायत दी है जो पहले सात थी। यदि कोई निशानेबाज एक प्रतियोगिता में विख्यात है तो उसे अधिकतम आठ (पहले चार थी), यदि कोई निशानेबाज दो प्रतियोगिताओं में विख्यात है तो उसे अधिकतम दस (पहले सात थी) और यदि कोई निशानेबाज दो से अधिक प्रतियोगिताओं में विख्यात है तो उसे अधिकतम बारह (पहले सात थी) शस्त्र रखने की रियायत दी है। कनिष्ठ लक्ष्य/महत्वाकांक्षी निशानेबाज को अब किसी भी वर्ग के दो (पहले एक शस्त्र की थी) शस्त्र रखने की रियायत दी है। इस प्रावधान के उपरान्त खिलाड़ी तरह तरह के शस्त्रों से अभ्यास कर सकेंगे। इन रियायत वर्गों के शस्त्रों के अतिरिक्त भी खिलाड़ी दो शस्त्र आयुध अधिनियम, 1959 के अंतर्गत बतौर एक सामान्य नागरिक रख सकते हैं।


इसी तरह आयुध नियम - 40 में किए बदलाव के अनुसार खिलाडियों को अभ्यास के लिये वर्ष के दौरान क्रय की जा सकने वाली गोला बारूद की मात्रा में भी भारी बढोतरी की है। नए नियमों के अनुसार अब .22 LR राइफल / पिस्तौल के लिए 1000 के स्थान पर 5000, दूसरी तरह की पिस्तौल /रिवाल्वर के लिए 600 के स्थान पर 2000 तथा शॉटगन कैलिबर के लिए 500 के स्थान पर 5000 गोला बारूद की मात्रा खरीदी जा सकती है।


इसके अतिरिक्त गृह मंत्रालय ने आयुध अधिनियम, 1959 में आयुध अधिनियम (संशोधन), 2019 के तहत किये संशोधनों के कारण आयुध नियम, 2016 में अन्य ज़रूरी संशोधन भी किए हैं। इन संशोधनों के तहत यह भी स्पष्ट किया है कि भारतीय नागरिकों को 50 साल से पुराने दुर्लभ वस्तु की श्रेणी में आने वाले लघु आयुधों के अर्जन अथवा कब्जे के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी। परंतु ऐसे आयुधों के उपयोग, वहन या परिवहन के लिए उपयुक्त लाइसेंस की आवश्यकता होगी। इस तरह के आवश्यक लाइसेंस में प्रविष्टि के बिना धारक को उनके उपयोग हेतु गोला-बारूद की बिक्री नहीं की जाएगी।


ज्ञात हो कि आयुध (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा किए गये संशोधन के तहत किसी व्यक्ति द्वारा रखे जाने वाले अग्नायुधों की अधिकतम संख्या को तीन से घटाकर दो कर दिया गया है। जिन व्यक्तियों के पास लाइसेंस पर तीन अग्नायुध है उन्हें अपना कोई भी एक अग्नायुध 13.12.2020 तक अधिनियम में दिए गये प्रावधान के अनुसार जमा करने की सुविधा दी गयी है।




Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar




Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं