Skip to main content

महिला-बाल विकास के कामों को गति देने का साल रहा-2019

मध्यप्रदेश विशेष लेख


भोपाल : गुरूवार, जनवरी 2, 2020, 12:37 IST


राज्य शासन ने महिलाओं और खास कर बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पोषण व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये पिछले एक साल में महत्वपूर्ण निर्णय लिये और उन्हें लागू किया। साथ ही नवाचारों को भी प्राथमिकता दी गयी। नयी बाल संरक्षण नीति का निर्धारण शुरू किया गया। राज्य के किशोर न्याय नियम बनाकर प्रचलन में लाये गये। समेकित बाल संरक्षण योजना में 11 नई संस्थाएँ स्वीकृत की गईं। अटल बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन में अति कम एवं कम वजन के बच्चों के परिवारों को सोयाबड़ी का प्रदाय शुरू किया गया। तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को चप्पल प्रदाय की गई। बाल भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए भोपाल संभाग से 'खुशहाल नौनिहाल' अभियान शुरू किया गया। आँगनवाड़ी सेवाओं के सुचारु संचालन और वहाँ गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए व्हॉट्सअप नंबर 8305101188 पर शिकायत निवारण व्यवस्था लागू की गई।


बाल शिक्षा केन्द्र


राज्य सरकार ने प्रत्येक विकासखण्ड के एक ऑगनवाड़ी केन्द्र को बाल शिक्षा केन्द्र के रूप में विकसित करने की शुरूआत की है। पहले चरण में 313 ऑगनवाड़ी में बाल शिक्षा केन्द्र शुरू किये गये हैं। इन केन्द्रों में 6 वर्ष तक के नौनिहालों को प्री-प्रायमरी शिक्षा की तैयारी कराई जा रही है। बच्चों की प्रारंभिक बाल्यावस्था में देख-रेख और शिक्षा के संबंध में रेग्युलेटरी दिशा-निर्देश तैयार किये जा रहे हैं। इनके माध्यम से शासकीय एवं निजी क्षेत्रों में 6 वर्ष तक के बच्चों के समुचित विकास के लिए संचालित की प्री-प्रायमरी संस्थाओं का नियमन, निगरानी और मूल्यांकन किया जाएगा। प्रदेश स्तर पर भी शाला पूर्व शिक्षा नीति तथा नियामक दिशा-निर्देश बनाये जा रहे हैं।


संपर्क एप


आँगनवाड़ी केंद्र के निरीक्षण को अधिक प्रभावी बनाने के लिए 'संपर्क एप' लागू किया गया है। इसमें आँगनवाड़ी केंद्रों के निरीक्षण भ्रमण की जानकारी ऑनलाइन दर्ज की जाती है। दर्ज जानकारी विभिन्न स्तरों पर परियोजना, जिला, संभाग और राज्य से विभागीय लॉगिन से डैशबोर्ड पर उपलब्ध होती है। साथ ही जीआईएस टैगिंग तकनीक से प्रत्येक लॉगिन स्तर पर आँगनवाड़ी केन्द्र एवं सहयोगी संस्थाओं के भ्रमण का मानचित्र देखा जा सकता है। वर्तमान में 10 संभागीय, 52 जिला, 453 परियोजना कार्यालयों से नियमित 97 हजार से ज्यादा आंगनवाड़ी केन्द्रों की निगरानी सुनिश्चित की जा रही है।


पोषण सखी


पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा परामर्श के जरिये कुपोषण में कमी लाने के उद्देश्य से पोषण सखी योजना लागू की गई है। योजना में 15 से 18 वर्ष तक आयु की किशोरी बालिकाओं अथवा स्व- प्रेरित किशोरी बालिका या गाँव की शिक्षित बहू, जो भविष्य की संभावित माता होती है ,को चिन्हित कर 8 माह के दौरान 4 चरण में प्रशिक्षित किया जायेगा। चयनित 10 जिलों की 78 परियोजनाओं के 19 हजार 774 आँगनवाड़ी केन्द्रों से प्रति केन्द्र दो पोषण सखी का चयन कर प्रशिक्षित किया जायेगा।


लाड़ली लक्ष्मी योजना


इस वर्ष बलात्कार पीड़ित बालिका अथवा महिला से जन्मी बालिका संतान को लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ दिये जाने का निर्णय लिया गया है। परियोजना अधिकारी स्वयं सम्बंधित बलात्कार पीड़ित बालिका/महिला से आवेदन प्राप्त करते हुए सक्षम स्तर से स्वीकृति प्राप्त कर बालिका को पंजीकृत करते हुए योजना का लाभ दिलाएंगे। लाड़ली लक्ष्मी योजना में इस वित्त वर्ष में कक्षा 6 में प्रवेश लेने वाली 1 लाख 15 हज़ार बालिकाओं और कक्षा 9 में प्रवेश लेने वाली करीब 17 हजार 841 बालिकाओं को करीब पौने 30 करोड़ की छात्रवृत्ति दी गई। योजना की निधि में 1586 करोड़ 58 लाख की राशि जमा की गई।


वन स्टॉप सेंटर


सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही स्थान पर अस्थायी आश्रय, पुलिस-डेस्क, विधि सहायता, चिकित्सा एवं काउन्सलिंग की सुविधा वन स्टॉप सेन्टर में उपलब्ध करायी जा रही है। अठारह वर्ष से कम आयु की बालिकाओं की सहायता के लिए लैंगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अंतर्गत गठित संस्थाओं को सेन्टर से जोड़ा जायेगा। सतना जिले में संचालित वन स्टॉप सेंटर को देश में प्रथम आईएसओ प्रमाण-पत्र मिला है। बुरहानपुर ,रतलाम और उज्जैन जिले के वन स्टॉप सेंटर को भी आईएसओ प्रमाण-पत्र मिला है। योजना में कुल 7731 महिला/बालिकाओं का पंजीयन कर लाभान्वित किया गया है।


आँगनवाडी केन्द्रों में लगेंगे सोलर पैनल


प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों के ढाई हजार आँगनवाड़ी केन्द्रों में विद्युत व्यवस्था के लिये एक के.व्ही. क्षमता और 3 घंटे बैकअप के सोलर पैनल लगाये जाएंगे। इस कार्य पर लगभग 14 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। यह पैनल ऐसे आँगनवाड़ी केन्द्रों में लगाये जाएंगे, जहाँ बिजली उपलब्ध नहीं है अथवा बिजली की व्यवस्था करने पर लागत बहुत ज्यादा आती है।


डे-केयर सेन्टर 'आँगन'


प्रदेश में कुपोषण के शिकार अति कम वजन के बच्चों की सेहत में सुधार के लिए 3052 डे-केयर सेन्टर ''आँगन'' खोले जाएंगे। इन केन्द्रों में समुदाय स्तर पर इन बच्चों की देखभाल और पोषण प्रबंधन किया जाएगा। इस व्यवस्था पर लगभग साढ़े चार करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। हर ''आँगन'' केन्द्र में सहयोग के लिए पोषण सेविका का चिन्हांकन किया जाएगा।


मातृ वंदना योजना


मातृ वंदना योजना का मुख्य उद्देश्य कार्य करने वाली महिलाओं की मजदूरी के नुकसान की भरपाई करने के लिए आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में प्रोत्साहन राशि देना और उनके उचित आराम और पोषण की व्यवस्था सुनिश्चित करना है। प्रोत्साहन राशि का भुगतान हितग्राही के आधार से जुड़े बैंक खाते अथवा डाकघर खाते में सीधे जमा की जाती है। पात्र हितग्राही को तीन किश्त में पाँच हजार की राशि देय होती है।


पोषण अभियान की सफलता पर मिले राष्ट्रीय पुरस्कार


मध्यप्रदेश को पोषण अभियान में उल्लेखनीय कार्य के लिए महिला-बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा तीन श्रेणियों में राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये गये। दो श्रेणी में प्रदेश को देश में पहला तथा एक अन्य श्रेणी में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है।


'आँगनवाड़ी शिक्षा' ई-लर्निंग शुरू 


आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को और अधिक दक्ष बनाने के लिए ऑनलाइन 'आँगनवाड़ी शिक्षा' ई-लर्निंग प्रशिक्षण व्यवस्था शुरू की गई है। अन्तर्राष्ट्रीय संस्था जी.आई.जेड. के सहयोग से तैयार इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम से पूरे राज्य में सभी परियोजना अधिकारियों और पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित कर मास्टर ट्रेनर बनाया जा रहा है। अब तक तीन हजार मास्टर ट्रेनर तैयार हो गये है। आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को अब सुपरवाइजर ट्रेनिंग दी जाएगी। ये सुपरवाइजर अपने वार्ड और मोहल्ले की महिलाओं को मोबाईल पर वीडियो दिखाकर आसान तरीके से बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण आहार की जानकारी देगी।


 


बिन्दु सुनील

Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर


Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets - http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar


Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं