वास्तुशास्त्रीय नगर नियोजन एवं राजा भोज पर केंद्रित त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ
भारतीय ज्ञान परम्परा के संवाहक हैं राजा भोज - प्रो पाण्डेय राजा भोज के वास्तुशास्त्रीय अवदान पर गहन शोध और नवाचारों की जरूरत – प्रो शर्मा प्राचीन ग्रन्थों के पुनः वाचन करने की आवश्यकता है – प्रो मेनन वास्तुशास्त्रीय नगर नियोजन एवं राजा भोज पर केंद्रित त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, उज्जैन, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में वास्तुशास्त्रीय नगर नियोजन एवं राजा भोज पर केंद्रित त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ। उद्घाटन सत्र में प्रभारी कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि राजाभोज पर अविराम शृंखला चल रही है। भारतीय विद्या एवं राजा भोज जैसा एक महत्वपूर्ण ग्रंथ पिछले वर्षों में आया है। राजा भोज के वास्तुशास्त्रीय अवदान से जुड़े अनेक पुरातात्विक साक्ष्य, सरोवर, देवालय की उपलब्धता, ऐतिहासिक साक्ष्य, साहित्यिक साक्ष्य, काव्य के माध्यम से रेखांकन, लोक साक्ष्य आदि मिलते हैं, जो अन्य शासकों से उनके वैशिष्ट्य को दर्शाते ह