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वन्य प्राणियों के महत्त्व एवं उनके संवर्धन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न

स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में वन्यप्राणियों के महत्त्व एवं उनके संरक्षण विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन वन्यप्राणी सप्ताह के अंतर्गत किया गया, जिसमें देश के विभिन्न भागों से लोगों ने सहभागिता की।                  विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा लगातार किये जा रहे स्वत्रंत्रता का अमृत महोत्सव अभियान के अंतर्गत प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा वन्यप्राणी सप्ताह के तत्वाधान में वन्यप्राणियों का महत्त्व एवं उनका संरक्षण विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे देश के विभिन्न भागों से  लगभग 300 लोगों ने सहभागिता की। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वन्यप्राणियों की लगातार घटती हुई संख्या को ध्यान में रखते हुए उनके संरक्षण हेतु  जान-जाग्रति अभियान एवं छात्रों को वन्यजीवों के महत्त्व तथा उनके संरक्षण की विधियों से अवगत करना था।  कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्भोधन देते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा की मानव समाज अपनी जीवन श

विशिष्ट व्याख्यानों का आयोजन 13 अक्टूबर को

विशिष्ट व्याख्यानों का आयोजन 13 अक्टूबर को  प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र, शोधार्थी एवं शिक्षकगण सहभागिता कर सकेंगे। उज्जैन: आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में दिनांक 13 अक्टूबर 2021 को दो विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किये जा रहे है, जिनमे महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र, शोधार्थी एवं शिक्षकगण सहभागिता कर सकते है। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय के दिशानिर्देश में सभी अध्ययनशालाएवं संस्थानों द्वारा आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन निरन्तर जारी है, जिसमे लगातार वेबिनार, सेमिनार, विशिष्ट व्याख्यान एवं कला-सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन छात्र हित के दृष्टिकोण से किया जा रहा है। इसी कार्यक्रम की निरंतरता में प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला द्वारा दिनांक 13 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से दो विशिष्ट व्याख्यानों का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे विश्वविद्यालय

नारी सशक्तीकरण का साक्षात उदाहरण हैं नवशक्ति - प्रो शर्मा

नारी सशक्तीकरण का साक्षात उदाहरण हैं नवशक्ति - प्रो शर्मा शक्ति उपासना : सांस्कृतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा शक्ति उपासना: सांस्कृतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजन के मुख्य अतिथि श्री ब्रजकिशोर शर्मा, मुख्य वक्ता, प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा, उज्जैन, विशिष्ट अतिथि डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे महाराष्ट्र, विशिष्ट वक्ता, डॉ प्रभु चौधरी, उज्जैन, अध्यक्षता, श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई  एवं संयोजक, संचालक, डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़ थीं। मुख्य वक्ता के रूप में  प्रोफ़ेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा,कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष, विक्रम विश्वविद्यालय,उज्जैन ने कहा कि नवशक्ति नारी सशक्तीकरण का साक्षात उदाहरण हैं। दिव्य शक्ति चराचर जगत में परिव्याप्त है। हर कारण-वस्तु में  शक्ति हैं। बोलना, सुनना, विचार, आदान-प्रदान सभी क्रियाएँ शक्ति द्वारा ही हो रहा है।सामाजिक कार्य भी शक्ति के माध्यम से सम्भव है। शक्ति सर्वव्यापक है। ग्राम

शक्ति उपासना : सांस्कृतिक और सामाजिक परिपेक्ष्य मे अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

  राष्ट्रीय प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा शक्ति उपासना: सांस्कृतिक और सामाजिक परिपेक्ष्य विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिस के मुख्य अतिथि श्री बृजकिशोर शर्मा, इंदौर, मुख्य वक्ता, प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा, उज्जैन, विशिष्ट अतिथि, डॉक्टर शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे महाराष्ट्र, विशिष्ट वक्ता, डॉ प्रभु चौधरी, उज्जैन, अध्यक्षता, श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा, इंदौर ने कहा, कि प्रकृति के गूढ़ शक्ति भारतीय संस्कृति में ही है। वंश,परिवेश,खानपान की परंपरा में नवरात्रि भी एक परिवारिक उत्सव है। नवरात्रि शक्ति की आराधना की आवश्यकता है। नवरात्रि में यह साधना नवशक्ति रूप में भय का नाश करती है। विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित प्राचार्य डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख,पुणे, महाराष्ट्र में कहा कि नवरात्रि संस्कृत शब्द है जिसमें नवरात्रि का उल्लेख है जो नौ दिन तक मनाया जाता है। और दसवीं दिन की विजयादशमी मनाते हैं। प्राचीन काल से महिषासुर ने ब्रह्मा से वरदान

राधा पूछे कौन है राधा... (राधारानी की महाभाव स्थिति)

एक बार श्री राधा अपनी सखियों के संग यमुना किनारे बैठी होती हैं। सभी सखी आपस में श्री राधा और श्यामसुन्दर के प्रेम की बातें करती हैं। कोई कहती है राधा के रोम रोम में श्यामसुन्दर बसे हैं। राधा के समान श्यामसुन्दर को कोई प्रेम नहीं कर सकता। राधा का हृदय केवल श्याम के लिए धड़कता है। कोई सखी श्यामसुन्दर का राधा से प्रेम बखान करती है। श्यामसुन्दर सदैव राधा जीकी सेवा को लालयित रहते हैं। श्याम को हर और राधा ही राधा लगती हैं। श्री जी बैठी बैठी सब सुनती हैं। उनके हृदय में राधा और श्याम के प्रेम का आस्वादन इतना बढ़ जाता है कि स्वयं को भूल ही जाती हैं। मन में राधा श्याम के प्रेम का ही चिंतन चलता रहता है। श्री जी बहुत उदास होकर बैठ जाती हैं। स्वयं का राधा होना ही भूल जाती हैं। मन में यही चिंतन श्याम राधा के हैं। राधा श्याम की है। दोनों का प्रेम नित्य है। हा ! मैं श्याम को प्रेम नहीं दे पाई। मुझसे श्याम को कोई सुख नहीं हुआ। राधा मेरे प्रियतम श्याम को प्रेम दे रही है। उनको सुखी कर रही है। मुझे इस बात से कितनी प्रसन्नता हो रही है। मेरे श्याम को सुख मिल रहा है। मुझे ये तो ज्ञात होना चाहिए ये राधा

नवरात्रि में देवी मां का सातवां रूप : मां कालरात्रि, जानें देवी मां का स्वरूप, पूजा विधि, मंत्र, भोग व मिलने वाला आशीर्वाद

 का लरात्रि एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरणी।। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयड्करी।। मां दुर्गा के सातवें स्वरूप को कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मानी जाती हैं। इसलिए इन्हें शुभड्करी भी कहा जाता है। दुर्गा पूजा के सप्तम दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। इस दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र में स्थित रहता है। उसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं। इस चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः मां कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश और ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली हैं। जिससे साधक भयमुक्त हो जाता है। नवरात्रि में देवी मां का सातवां (सप्तमी)रूप : मां कालरात्रि... मां का स्वरूप :   मां दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। मां कालरात्रि के पूरे शरीर का रंग एक अंधकार की तरह है, इसलिये शरीर काला रहता है। इनके सिर के बाल हमेशा खुले रहते हैं। गले में विद्युत की तरह

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा बी.ए.एल.एल.बी. (ऑनर्स) सहित 13 परीक्षाओं के परिणाम घोषित

  उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने बताया कि, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा बी.ए.एल.एल.बी. (ऑनर्स)  सहित 13 परीक्षाओं के परिणाम घोषित हुए हैं, जिसे विद्यार्थी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं... 

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा एम.ए. (सीबीसीएस) हिन्दी सहित 4 परीक्षाओं के परिणाम घोषित

उ ज्जैन  : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने बताया कि, विक्रम विश्वविद्यालय , उज्जैन  द्वारा  एम.ए. (सीबीसीएस) हिन्दी सहित 4 परीक्षाओं  के  परिणाम घोषित हुए हैं, जिसे विद्यार्थी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं... 

विक्रम विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों में रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए 14 अक्टूबर तक किए जा सकेंगे आवेदन

विक्रम विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों में रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए 14 अक्टूबर तक किए जा सकेंगे  आवेदन  अध्ययनशालाओं में संचालित 205 से अधिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पहली बार आए साढ़े तीन हजार से अधिक आवेदन उज्जैन : विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन  की विभिन्न अध्ययनशालाओं  एवं संस्थानों में संचालित 205 से अधिक स्नातकोत्तर, स्नातक, डिप्लोमा एवं प्रमाण पत्र पाठ्यक्रमों में मेरिट के आधार पर प्रवेश की प्रक्रिया  चल रही है। ये पाठ्यक्रम विज्ञान, जीव विज्ञान,  इंजीनियरिंग, व्यवसाय प्रबंधन, कला, समाज विज्ञान, विधि, वाणिज्य, शारीरिक शिक्षा, कृषि, कंप्यूटर विज्ञान,  नॉन फॉर्मल एजुकेशन, फॉरेंसिक साइंस, फूड टेक्नोलॉजी आदि संकाय और विषय क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं। विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पहली बार अब तक तीन हजार पाँच सौ से अधिक आवेदन पत्र आ चुके हैं। विक्रम विश्वविद्यालय की अध्ययनशालाओं एवं संस्थानों में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों में रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन 14 अक्टूबर तक किए जा सकते हैं।  प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा, कुलानुशासक, विक

मशरुम उत्पादन एवं उसके औद्योगिक उपयोग पर कुलपति प्रो पांडेय का व्याख्यान सम्पन्न

उज्जैन: पर्यावरण प्रबंधन अध्ययनशाला उज्जैन में प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा मशरुम खेती : परिचय, विकास एवं औद्योगिक उपयोग विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया गया, जिसमें वनस्पति विज्ञान अध्ययनशाला, प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, पर्यावरण प्रबंधन अध्ययनशाला, रसायन एवं जैवरसायन विज्ञान अध्ययनशाला के छात्र-छात्राएं, शोधार्थी एवं शिक्षकगण उपस्थित थे। स्वत्रंत्रता का अमृत महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन लगातार विक्रम विश्वविद्यालय की विभिन्न अधयनशालाओं में किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत विभिन्न विषयों पर वेबिनार, सेमिनार, शैक्षणिक व्याख्यान एवं अन्य कलात्मक कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर जारी है। इसी कार्यक्रम की निरंतरता में प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय, कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा पर्यावरण प्रबंधन अध्ययनशाला में मशरुम उत्पादन एवं उनके औद्योगिक उपयोग विषय पर व्याख्यान दिया गया, जिसमे विभिन्न अधयनशालाओ के छात्र-छात्राएं, शोधार्थी एवं शिक्षकगण उपस्थित थे।  प्रोफेसर पांडेय ने अपने उद्बोधन में बताया कि मशरुम खाने में स्वादिष्ट होने के सा

जैव प्रौद्योगिकी की छात्रा ने प्रारम्भ किया केंचुआ खाद का स्टार्टअप

उज्जैन: प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में अध्ययनरत छात्रा ने कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय के उद्बोधन से प्रेरित होकर केचुआखाद का निर्माण एवं स्टार्टअप प्रारम्भ किया। छात्रा का यह प्रयास रोजगार स्थापित कर दूसरों के लिए रोजगार निर्मित करने का एक अनुकरणीय उदाहरण बन गया है।  प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में एमएससी तृतीय  सेमेस्टर जैवप्रौद्योगिकी में अध्ययनरत छात्रा कु पार्वती लबवंशी मूलतः सारंगगढ़ क्षेत्र के ग्राम तरलाखेड़ी की निवासी है। लगभग 7-8 माह पूर्व एक कार्यक्रम में माननीय कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के स्वरोजगार से सम्बंधित व्याख्यान  से प्रेरित होकर अपने गांव मे वर्मीकल्चर की इकाई स्थापना करते हुए केचुआखाद का निर्माण प्रारम्भ किया, जिसमें अभी  लगभग 5-6 टन खाद का निर्माण किया जा चुका है। छात्रा ने अपने घर के आस-पास के किसानों एवं अपने कृषि फार्म से निकलने वाले कृषि अपशिष्ट पदार्थ एवं गोबर का संचय प्रारम्भ किया तथा वर्मीकल्चर यूनिट (वर्मीबेड़) का निर्माण करते हुए केचुए की केवल

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