✍️ हर्षा अत्रे, रिसर्च स्कॉलर , एन.आई.टी.टी.टी.आर. भोपाल यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता:। घर में बच्चो को संस्कार देने से लेकर , देश को समृद्धि तक ले जाने में नारी शक्ति का महत्वपूर्ण योगदान है। क्यो कि चंद्रयान का सफर हो या फिर किसी गृहणी का हर काम को परफेक्ट करने की होड़ या फिर एशिया गेम्स में गोल्ड मैडल की ब्यौछार, नारी शक्ति ने सदैव सशक्त और समृद्ध समाज का निर्माण किया है । वह सभी रूप में ब्रह्मांड की रचनात्मक शक्ति है। जीवन का आरंभ उसके गर्भ में शुरू होता है और फल फूल पाता है, उसके संस्कारो और मार्गदर्शन से। संस्कृति के माध्यम से, महिलाएं अपने परिवार और समाज में समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे अपने संस्कारों के माध्यम से आदर्श और मूल्यों का पालन करती हैं, जिससे समाज में एक सशक्त और समृद्ध संस्कृति का निर्माण होता है। लक्ष्मीबाई केलकर ने अपने एक सुन्दर में वाक्य में कहा है की "स्त्री का शारीरिक सामर्थ्य भले ही कम हो, परन्तु उसकी वाणी में असीम सामर्थ्य है", और इसी वाक्य को भारितीय नारी सदैव राष्ट्रीय तथा अंतर्रा...